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This Article is From Jan 10, 2020

Health Tips for Monsoon: मानसून में होने वाली बीमारियां: मलेरिया, डेंगू, डायरिया, हैजा और चिकनगुनिया से कैसे बचें

Monsoon Diseases: बरसात में होने वाली 5 आम बीमारियां हैं मलेरिया, डेंगू, डायरिया, हैजा और चिकनगुनिया. इन रोगों से बचने के लिए आप स्वास्थ्य सावधानियां बरत सकते हैं.

Health Tips for Monsoon: मानसून में होने वाली बीमारियां: मलेरिया, डेंगू, डायरिया, हैजा और चिकनगुनिया से कैसे बचें
मानसून में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए उपाय जरूर करें.

बरसात या मानसून अजीब सी खुशी और ठंडक महसूस होती है. भागमभाग जिंदगी में कहीं एक ठंडा और नम सा पड़ाव आता है और सभी परेशानियों से दूर सब रिलेक्स हो जाते हैं. शायद यही वजह है कि मानसून का इंतजार हर किसी को रहता है. बरसात का मौसम एक ओर जहां गर्मी से राहत दिलाता है वहीं, दूसरी ओर वह कई बीमारियां भी साथ लाता है. कई बार मन को खुश करने के लिए आप बरसात में भीग लेते हैं, सावन के गाने भी खूब गुनगुना लेते हैं और इसके बाद किसी तरह के हेल्थ इशु से बचने के लिए सावधानी भी पूरी बरत लेते हैं. लेकिन फिर भी कुछ परेशानियां हैं जिनका बरसात के मौसम में खतरा बना रहता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि बरसात का मौसम बीमारियों को बुलावा देने वाला होता है. इस मौसम में जलभराव, कीचड़ और गंदगी से बीमारियां पैदा होती हैं. बरसात के मौसम में पैदा होने वाले मच्छर और बैक्टीरिया बीमारियां फैलाते हैं. इसके अलावा अस्थमा के रोगियों के लिए बरसात का मौसम नई मुश्किल दे सकता है. इस दौरान हवा में नमी होती है और बैक्टीरिया भी ज्यादा पनपते हैं, जो बीमारियां फैलाने का काम कर सकते हैं.

मानसून में होने वाली 5 बीमारियां और बचाव के लिए स्वास्थ्य सावधानियां

1. बरसात में होने वाली बीमारियों में से एक है मलेरिया -

डॉक्टर्स के अनुसार मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाला एक जानलेवा रक्त रोग है. यह एनोफिलीज मच्छर के काटने से इंसानों में फैलता है. जब संक्रमित मच्छर इंसान को काटता है, तो परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित और नष्ट करने से पहले मेजबान के लिवर में मल्टीप्लाई हो जाता है. और यह मच्छर बरसात के बाद बढ़ जाते हैं. मादा ऐनाफिलिज मच्छर इकट्ठे हुए पानी में पनपती है. इससे बचने के लिए आप ध्यान रखें कि घर और आसपास पानी का जमाव न होने दें. 

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2. डेंगू बरसात में होने वाली बीमारियों में से एक है -

डेंगू भी मच्छरों के काटने से फैलता है. फर्क यह है कि डेंगू का मंच्छर एडिज साफ पानी में पनपता है. इससे बचाव के लिए कूलर के पानी को जरूर साफ रखें. रात में पूरी बाहों के कपड़े पहनकर सोयें या फिर मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. गमलों के पानी का जरूर ध्यान रखें. आसपास कहीं भी पानी इकट्ठा न होने दें. बुखार आये तो बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न खाएं. बुखार आए तो गर्माकर साफ पानी खूब पियें.

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3. चिकनगुनिया बरसात में होने वाली बीमारियों में से एक है - 

 बारिश के मौसम में सिर्फ डेंगू ही नहीं बल्कि चिकनगुनिया भी आम हो गया है. हर साल चिकनगुनिया से पीड़ित लोगों की संख्या में बढ़त देखने को मिलती हैं. यह बहुत चिंता का विषय हैं और सही रोकथाम के लिए सावधानी बरतना समय की जरूरत बन गयी है. चिकनगुनिया के रोकथाम के लिए बहुत आवश्यक है की हम इस बीमारी के बारें में सही जानकारी रखें. सही जानकारी हमें सही सावधानी और बीमारी की रोकथाम में मदद करेगा. 

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4. बरसात में होने वाली बीमारियों में से एक है डायरिया -

बरसात के मौसम में डायरिया एक आम समस्या है. यह संक्रमण से फैलता है. डायरिया से बचने के लिए खाने की चीजों को ढंककर रखें, साफ पानी पिएं.  

cholera outbreak in rohingya camps in bangladesh

Monsoon Diseases: बरसात के मौसम में डायरिया एक आम समस्या है.

5 बरसात में होने वाली बीमारियों में से एक है हैजा- 

हैजा (Cholera) बैक्टीरिया से होने वाला एक रोग. हैजा दूषित पानी से फैलता है. हैजा होने के बाद दस्त और शरीर में पानी की कमी हो सकती है और अगर इलाज न हो तो मृत्यु भी हो सकती है. हैजा को विसूचिका के नाम से भी जाता जाता है. हैजा एक संक्रामक आंत्रशोथ है, जो विब्रियो कोलेर नाम के जीवाणु के एंटेरोटॉक्सिन पैदा करने वाले उपभेदों के चलते होता है. हैजा एक एक्यूट डायरिया संक्रमण है, जो विब्रियो कोलेरा नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. असल में हैजा एक संक्रामक रोग है. विब्रियो कोलेरे जीवाणु हैजा का कारण बनता है. यह संक्रमण से एक व्यक्ति के मल से दूषित भोजन या पानी में संक्रमण कर सकता है. हैजा के संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क में आने से सीधे नहीं फैलता. 

हैजा से बचाव के उपाय : हैजा दूषित भोजन या जल से फैलने वाला संक्रमण है, जो आंतों को प्रभावित करता है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि रोगी को साफ और स्वच्छ आहार दिया जाए. रोगी को साफ व उबला हुआ पानी दें. समय-समय पर ओआरएस का घोल दें. नींबू पानी देना भी फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा सौंफ का पानी या तुलसी की पत्तियों को उबाल कर ठंडा कर यह पानी भी दे सकते हैं. क्योंकि पेट पहले ही कमजोर हो चुका होता है, तो रोगी को अधिक भारी आहार न दें. ताजा फलों का जूस दें और आहार में कोई भी चीज बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें. बिना डॉक्टर की सलाह के आहार में बदलाव न करें.

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