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6 महीने से नहीं खाया था एक भी निवाला, वजन कम करने के लिए की Water Fasting, 24 किलो की हो गई 18 साल की लड़की, नहीं बची जान...

एक्सट्रीम वाटर फास्टिंग के कारण केरल के थालास्सेरी की एक 18 वर्षीय लड़की की मृत्यु हो गई है. दरअसल लड़की ने वजन कम करने के लिए 6 महीने सिर्फ पानी पीकर ही गुजारे था. मृत्यु से पहले उसका वजन 24 किलो था.

6 महीने से नहीं खाया था एक भी निवाला, वजन कम करने के लिए की Water Fasting, 24 किलो की हो गई 18 साल की लड़की, नहीं बची जान...
वजन घटाने के नशे ने ले ली जान, 6 महीने पर वाटर फास्टिंग पर थी युवती

अब सोशल मीडिया का जमाना है और हम लोग इसके आदी भी हो गए हैं. इसी के साथ हम सोचते हैं, कि सोशल मीडिया पर बताई हर एक बात सत्य होती है और उन पर आंख मूंदकर विश्वास कर लेना चाहिए. लेकिन जरूरी नहीं है कि हर बात सही हो. बता दें, केरल के थालास्सेरी की एक 18 वर्षीय लड़की की मृत्यु सोशल मीडिया पर शेयर किए गए डाइट ट्रेंड को फॉलो करने के कारण हो गई है. दरअसल लड़की ने ऑनलाइन पोर्टलों से प्रभावित होकर एक्सट्रीम वाटर फास्टिंग शुरू कर दी थी, जिसके बाद एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia Nervosa) की जटिलताओं के कारण लड़की की मृत्यु हो गई.

आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन डाइटिंग करने के चक्कर में उन्होंने लगभग 6 महीने तक खाना छोड़ रखा था. लड़की हालत बिगड़ने लगी, तो उसकी मृत्यु से 12 दिन पहले थालास्सेरी सहकारी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. हालांकि वह बच न सकी.

24 किलो हो गया था वजन

अस्पताल के कंसल्टेंट फिजीशियन डॉ. नागेश मनोहर प्रभु ने बताया, "उसका वजन मुश्किल से 24 किलो था और वह बिस्तर पर थी. उसका शुगर लेवल, सोडियम और ब्लड प्रेशर बहुत कम था. वेंटिलेटर सपोर्ट के बावजूद उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और उसकी मौत हो गई.

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स्लिम- ट्रिम होना चाहती थी लड़की

डॉक्टरों ने बताया कि लड़की अपना वजन कम करना चाहती थी और  स्लिम- ट्रिम होने के लिए 6 महीने से खाना छोड़ रखा था. इस दौरान वह मुख्य रूप से गर्म पानी पर पिया करती थी. वहीं डॉक्टर ने बताया, एनोरेक्सिया नर्वोसा के कारण लड़की ने दम तोड़ दिया है. दरअसल ये खाने को लेकर एक तरह की बीमारी है, जिससे वो लोग पीड़ित होते हैं, जो अपने वजन को लेकर हद से ज्यादा सोचते हैं और खाने से दूरी बना लेता है. हालांकि इस बीमारी से पीड़ित होने वाले लोग कभी वजन को लेकर संतुष्ट नहीं होते हैं. क्योंकि इसमें पीड़ित व्यक्ति को हमेशा अपना वजन ज्यादा लगता है. ऐसे में शरीर का काफी नुकसान होता है. डॉक्टर ने बताया, वजन कम करने के लिए लोग अलग तरह की डाइट को फॉलो करते हैं, लेकिन ये स्थिति उस समय खतरनाक हो जाती है, जब कोई डाइट चार्ट को बिना चिकित्सकीय देखरेख के अपनाता है.
 

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आपको बता दें, क्रैश डाइट (Crash Diets) और वाटर फास्टिंग (Water Fasting) तेजी से वजन घटाने के लिए लोगों के बीच काफी फेमस हो रहा है, लेकिन ये अत्यधिक जोखिम भरे तरीके के रूप में उभरे हैं. एक्सपर्ट इन डाइट्स को खतरनाक मानते हैं और उनका कहना है कि इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने की संभावना रहती है.

क्रैश डाइट और वॉटर फास्टिंग के पीछे छिपे हैं ये खतरे (These dangers are hidden behind crash diet and water fasting)

 फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव की मुख्य क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट दीप्ति खटूजा ने इंडिया टुडे को बताया, क्रैश डाइट के जरिए भले ही तेजी वजन घटाने का दावा किया जाता है, लेकिन यह स्थायी नहीं है और इससे स्वास्थ्य पर लंबा असर पड़ता है.

न्यूज वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया, "क्रैश डाइटिंग के कारण वजन तो कम हो जाता है,लेकिन अस्वस्थ तरीके से. इसमें लोगों को थकान होती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और खाने-पीने से जुड़ी बीमारियां भी होती हैं. यही नहीं इससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है और डिप्रेशन, एंग्जाइटी और समय से पहले बुढ़ापा जैसी समस्याएं हो सकती हैं. हालांकि ये डाइट किफायती लग सकती हैं और तुरंत नतीजे देती हैं, लेकिन स्वास्थ्य पर इसका असर बहुत ज्यादा बुरा होता है.

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वाटर फास्टिंग का तरीका

न्यूज वेबसाइट के अनुसार चेन्नई के रेला अस्पताल की सीनियर क्लीनिकल डाइटीशियन रेशमा अलीम ने जल उपवास यानी वाटर फास्टिंग से जुड़े खतरों पर जोर दिया, जिसे केरल के लड़की फॉलो कर रही थी. उन्होंने इसे " जीरो-कैलोरी डाइट" बताया है, जिसे अक्सर वजन घटाने या आध्यात्मिक कारणों से अपनाया जाता है. अलीम ने कहा कि वाटर फास्टिंग ऑटोफैगी के सिद्धांत पर काम करता है, जहां पुरानी कोशिकाओं की मरम्मत और पुनर्चक्रण किया जाता है.

"हालांकि वाटर फास्टिंग हर किसी के लिए सही नहीं मानी जाती. आम तौर पर, वाटर फास्टिंग 24 से 72 घंटे तक की जा सकती है, लेकिन अगर कोई इससे अधिक समय तक करने का सोचते हैं, तो उन्हें बिना चिकित्सकीय देखरेख के नहीं करना चाहिए. अगर इसे लंबे समय तक किया जाता है तो यह काफी खतरनाक है.  

इसी के साथ वाटर फास्टिंग उन लोगों के खतरनाक है जिन्हें गाउट (Gout), डायबिटीज या खाने संबंधी विकार जैसी पहले से ही कोई बीमारी है. उन्होंने कहा, अगर कोई व्यक्ति वजन कम करना चाहता है, तो उसे  स्वस्थ तरीका अपनाना चाहिए, जिससे शरीर को नुकसान पहुंचे. वजन कम करने का मतलब ये नहीं है कि आप खाना पीना ही छोड़ दें. ऐसा करने से शरीर के अन्य हिस्सों को काफी नुकसान पहुंचता है. वजन कम करने के लिए संतुलित आहार लेना जरूरी है ताकि स्वस्थ तरीके से व्यक्ति शारीरिक गतिविधि कर सके.

उन्होंने आगे कहा, "कभी-कभी वजन कम करने के लिए लोग कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को थोड़ा सीमित कर देते हैं, या प्रतिदिन 500 कैलोरी से कम वाला खाना खाते हैं, ताकि वे प्रति सप्ताह 0.5 किलोग्राम वजन कम कर सकें. हालांकि हर महीने 2 किलोग्राम वजन कम करना एक सुरक्षित सीमा है, लेकिन अपने शरीर को नुकसान देखकर वजन कम करने में कोई समझदारी नहीं है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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