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This Article is From Dec 09, 2021

Irritable Bowel Syndrome (IBS) : पेट से जुड़ी एक बीमारी है आईबीएस, जानिए इसके बारे में सबकुछ

IBS से पीड़ित व्यक्ति को पेट में काफी तेज दर्द और मरोड़ होना स्वाभाविक सी बात है. इसके अलावा पेट में सूजन, गैस बनना, डायरिया और कब्ज जैसे हालात पैदा होना ही इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के मुख्य लक्षण होते हैं.

Irritable Bowel Syndrome (IBS) : पेट से जुड़ी एक बीमारी है आईबीएस, जानिए इसके बारे में सबकुछ
IBS का इलाज मरीज के लक्षणों के आधार पर होता है.

Irritable Bowel Syndrome (IBS) :इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आईबीएस पाचन तंत्र से जुड़ी एक समस्या है. IBS से पीड़ित व्यक्ति को पेट में काफी तेज दर्द और मरोड़ होना स्वाभाविक सी बात है. इसके अलावा पेट में सूजन, गैस बनना, डायरिया और कब्ज जैसे हालात पैदा होना ही इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के मुख्य लक्षण होते हैं. ज्यादा समय तक इसे नजरअंदाज किया गया तो यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है. कुछ केस में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की आंत में जख्म या क्षति हो सकती है, हालांकि ऐसी स्थिति कम ही पैदा होती है. इस समस्या के शुरुआती दौर में ही लाइफ स्टाइल और खान-पान  में कुछ बदलाव कर इस बीमारी के लक्षणों पर काबू पाया जा सकता है. इरिटेबल बाउल सिंड्रोम हर साल कम से कम 10 से 15 प्रतिशत लोगों को अपनी गिरफ्त में लेती है.

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IBS: क्या है, क्यों होता है, लक्षण, बचाव और इलाज | Irritable bowel syndrome - Diagnosis and treatment

क्यों होता है आईबीएस

स्वस्थ व्यक्ति के आंतों का संतुलन अचानक ही बिगड़ने के कई कारण होते हैं, उनमें तनाव, अनिद्रा या अधिक नशा करना शामिल है. आंतों की दीवार मांसपेशियों की परतों से जुड़ी होती हैं, जो खाने को पेट से आंत के माध्यम से पाचन नली में ले जाती हैं. अगर आप IBS से पीड़ित हैं तो संकुचन के समय में सामान्य से अधिक समय लग सकता है, इसी वजह से पेट में दर्द, गैस और दस्त आदि की शिकायत होती है.

आईबीएस के प्रमुख लक्षण

  • पेट में दर्द या फिर ऐंठन और मरोड़, हद से ज्यादा गैस बनना. 
  • आंत का ठीक से काम न करना, दस्त की शिकायत या फिर कब्ज की परेशानी.
  • तनाव, उलझन, नींद न आना
  • शरीर में खून की मात्रा कम हो जाना, शरीर में पानी की कमी होना.
  •  जी मिचलाना,  बार-बार पेट में मरोड़ होना आदि.

बचाव के लिए जरूरी टिप्स

  • खाने को हमेशा धीरे-धीरे चबाकर खाना अच्छा है. मुंह की लार में सैलवरी एमलेज़ नामक एंजाइम होता है जो तकलीफदेह स्टार्च को मैलटोस में बदल देता है. लिहाजा धीरे-धीरे, आराम से खाने की आदत डालें.तनाव से खुद को मुक्त रखना है. 
  • नियमित योग और व्यायाम करें. मेडिटेशन का सहारा लें. 
  • कैफीन युक्त चीजें जैसे कॉफी, चाय या फिर सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन ज्यादा न करें.
  • हर दिन  8 से 9 गिलास पानी पीना है.
  • ऐसे फूड जिनसे कब्ज बनता है उनसे दूर रहें, फाइबर युक्त फल जैसे केला, सेब या फिर गाजर आदि खाएं.
  • ज्यादा ऑयली और स्पाइसी खाने से बचना है.
  •  फूलगोभी या पत्ता गोभी और मिर्च अधिक न खाएं.

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आईबीएस का इलाज

IBS का इलाज मरीज के लक्षणों के आधार पर होता है. प्लेसिबो तकनीक से मरीज का इलाज किया जाता है. मरीज की मानसिक कार्यप्रणाली सुचारू करने के लिए दवाएं भी दी जाती हैं. पेट में दर्द या ऐंठन, कब्ज या दस्त, बुखार जैसी समस्याओं में उसके अनुसार दवाएं दी जाती हैं. शरीर में पानी की कमी हो गई हो तो इंट्रावेनस फ्लूइड बाहरी रूप से देते हैं. दिमाग को तंदुरुस्त बनाने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त फूड खाने और मेडिटेशन आदि करने की भी सलाह दी जाती है.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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