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This Article is From Oct 18, 2023

क्या आप पुराने गद्दे पर सोने से बीमार हो सकते हैं? कितनी होती है मैट्रेस की लाइफ और इन्हें कब बदलना चाह‍िए

नींद से सेहत का सीधा संबंध है. अच्छी नींद के लिए सही मैट्रेस पर सोना जरूरी है. पुराने मैट्रेस रीढ़ की हड्‌डी को पूरा सपोर्ट नहीं दे पाते हैं जिससे सेहत पर असर पड़ सकता है.

क्या आप पुराने गद्दे पर सोने से बीमार हो सकते हैं? कितनी होती है मैट्रेस की लाइफ और इन्हें कब बदलना चाह‍िए
जानिए कब आपको बदल देना चाबिए अपना गद्दा

Is it safe to sleep on old mattress? नींद से सेहत (Health)  का सीधा संबंध है. दिन भर एनर्जी से भरपूर रहने और काम के लिए बेहतर मानसिक स्थिति के लिए रात में ठीक से सोना जरूरी होता है. यही नहीं इससे बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है और मूड अच्छा रहता है. बेहतर नींद (Better Sleep) के लिए सोने का समय तय करने और बेड को साफ सुथरा रखने से काफी मदद मिलती है लेकिन गलत मैट्रेस पर सोना आपकी नींद को पूरी तरह से डिस्टर्ब कर सकता है. अगर आपने अपनी सोने की आदत और अपनी बॉडी टाइप के अनुसार गद्दे का चुनाव नहीं किया तो यह परेशानी का कारण हो सकता है लेकिन कभी कभी मैट्रेस की समयसीमा समाप्त हो चुकी होती है और यह नींद ही नहीं पूरे सेहत पर असर डालता है. आइए जानते हैं पुराने और खराब हो चुके मैट्रेस (Old Mattress) पर सोने से हेल्थ पर क्या असर (Effects of old mattress on health) होता है और कैसे जानें कि कब है मैट्रेस को बदल  देने का समय....

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पुराने गद्दे का सेहत पर असर | Ways an Old Mattress Can be Bad for Your Health

  1. पीठ में दर्द : पुराने मैट्रेस पर सोने से पीठ और कमर में दर्द की परेशानी हो सकती है. जैसे-जैसे मैट्रेस पूराना होता है वह अपनी मजबूती खोने लगता है जिसके कारण रीढ़ की हड्‌डी को ठीक से सहारा नहीं दे पाता है. ऐसे में पीठ, गर्दन और कमर में दर्द की परेशानी होने लगती है.
  2. एलर्जी : पुराने मैट्रेस से एलर्जी की समस्या भी हो सकती है. मैट्रेस को चादर की तरह धोना या धूप में रखना संभव नहीं होता है जिसके कारण समय के साथ उनमें धूल और एलर्जी पैदा करने वाली कीटाणु जमा होने लगते हैं. इसके कारण सांस संबंधी परेशानियों जैसे अस्थमा के बढ़ने का खतरा होता है.
  3. थकान : पुराने मैट्रेस बॉडी को सही सपोर्ट नहीं दे पाते हैं जिसके कारण नींद आने में परेशानी होती है. नींद नहीं पूरी होने के कारण दिन के समय थकान और एनर्जी की कमी महसूस करना आम है. नींद पूरी नहीं होने के कारण सेहत संबंधी अन्य परेशानियां जैसे हार्ट डिजीज और डायबिटिज का खतरा बढ़ सकता है.
  4. मानसिक परेशानियां : मेंटल हेल्थ पर नींद पूरी नहीं होने का असर पड़ता है जिसके कारण एंग्जायटी, डिप्रेशन और मूड स्विंग हो सकता है. इन सभी का असर याद रखने की क्षमता पर हो सकता है.

कब होती है मैट्रेस बदलने की जरूरत | How Often You Should Change Your Mattress

 हर 7 से 10 साल के बाद मैट्रेस को बदल देना चाहिए. अगर आपको ये संकेत मिले तो समझ लें कि मैट्रेस बदलने का समय आ गया है

  1. सुबह पीठ में दर्द के साथ नींद खुले.
  2. रात में ठीक से नींद नहीं आए या बार बार नींद उचट जाए.
  3. आपकी एलर्जी या अस्थमा बिगड़ रही हो.
  4. बेडरूम के बेड की जगह आप सोफे पर सोना पसंद करने लगे हों.

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मैट्रेस की लाइफ बढ़ाने के उपाय | How to make your mattress last longer

    1. मैट्रेस को हर 3 महीने में पलट दें.
    2. मैट्रेस पर कवर लगाएं और समय समय पर कवर की साफ सफाई करें
    3. मैट्रेस को समय-समय पर धूप में रखें

    (अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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