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Monsoon में क्‍यों बढ़ते हैं Fungal Infections के मामले, जानें मानसून के दौरान फंगल संक्रमण को कैसे रोकें?

Fungal Infection in Monsoon: फंगल इंफेक्शन जिसे माइकोसिस भी कहते हैं फंगस के कारण होने वाली बीमारी है. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को फंगल इंफेक्शन का ज्यादा खतरा रहता है.

Monsoon में क्‍यों बढ़ते हैं Fungal Infections के मामले, जानें मानसून के दौरान फंगल संक्रमण को कैसे रोकें?
Fungal Infection in Monsoon: फंगल इंफेक्शन का खतरा किसे ज्यादा होता है?

Fungal Infections in monsoon: फंगल इंफेक्शन जिसे माइकोसिस भी कहते हैं फंगस के कारण होने वाली बीमारी है. आमतौर पर त्वचा, नाखून, बाल और म्यूकस मेम्ब्रेन फंगल इंफेक्शन से ज्यादा प्रभावित होते हैं. लेकिन मुंह, गला और यूरिनरी ट्रैक्ट सहित शरीर के कई और अंगों को भी संक्रमित कर सकता है. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को फंगल इंफेक्शन का ज्यादा खतरा रहता है. एंटीफंगल दवाओं के इस्तेमाल से फंगल संक्रमण को रोका जाता है.

फंगल इंफेक्शन का खतरा किसे ज्यादा होता है? (Who is at more risk of fungal infection?)

कोई भी व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. स्किन और नाखूनों में होने वाले फंगल इंफेक्शन सबसे ज्यादा आम होते हैं. शरीर के उन हिस्सों में इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है जहां नमी रहती है या ज्यादा फ्रिक्शन होता है. इसके अलावा डायबिटीज वाले लोगों को फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है. इसके अलावा एचआईवी और कैंसर जैसी बीमारियों की वजह से कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में भी फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है.

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फंगल इंफेक्शन के प्रकार (Types of fungal infections)

फंगल त्वचा के सतह और म्यूकस मेम्ब्रेन, त्वचा के नीचे या शरीर के किसी अंग जैसे फेफड़े, मस्तिष्क या दिल के अंदर हो सकता है.

1. सतही फंगल इंफेक्शन (Superficial fungal infections)

इस तरह का फंगल इंफेक्शन त्वचा, नाखून और म्यूकस मेम्ब्रेन (जैसे मुंह, गला या वेजाइना) को इंफेक्ट करता है. दाद, ओनिकोमाइकोसिस, वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन और पिटिरियासिस वर्सिकलर सतही फंगल इंफेक्शन के उदाहरण हैं.

2. त्वचा के नीचे के फंगल इंफेक्शन (Subcutaneous fungal infections)

घाव या कट की वजह से त्वचा के सतह के नीचे भी फंगल इंफेक्शन हो जाता है. पौधों के साथ काम करने के दौरान कट लगने से त्वचा के सतह के नीचे फंगल इंफेक्शन हो सकता है जिसमें चकत्ते और अल्सर सहित अन्य लक्षण दिखाई देते हैं. स्पोरोट्रीकोसिस, क्रोमोब्लास्टोमाइकोसिस और यूमाइसीटोमा त्वचा के नीचे होने वाले फंगल इंफेक्शन हैं.

3. डीप फंगल इंफेक्शन (Deep fungal infections)

त्वचा और त्वचा के सतह के अलावा शरीर के कई अंग भी फंगल इंफेक्शन से प्रभावित हो सकते हैं. फेफड़े, खून, मस्तिष्क या यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाले इन्फेक्शन को डीप फंगल इंफेक्शन के तौर पर वर्गीकृत किया गया है. इसमें से कुछ इंफेक्शन सिर्फ कमजोर इम्यूनिटी के कारण होते हैं. हिस्टोप्लाज्मोसिस, कोक्सीडायोडोमाइकोसिस, एस्परगिलोसिस, म्यूकोर्मिकोसिस, क्रिप्टोकॉकोसिस और ब्लास्टोमाइकोसिस डीप फंगल इंफेक्शन के उदाहरण हैं.

फंगल इंफेक्शन से बचाव के उपाय (Ways to prevent fungal infection)

फंगल इंफेक्शन के खतरे को कम करने के लिए अपने आसपास सफाई और शारीरिक स्वच्छता बनाए रखना बेहद जरूरी है.

  1. पब्लिक बाथरूम, शॉवर या लॉकर रूम में खाली पैर न चलें.
  2. गंदा होने या ज्यादा पसीना आने पर नहा लें.
  3. नहाने के बाद या पसीना आने पर शरीर को जरूर पोछें ताकि शरीर के किसी भी हिस्से में नमी न रहे.
  4. कॉटन अंडरवियर का ही इस्तेमाल करें साथ ही वह साफ और सूखा होना चाहिए.
  5. अपने मुंह और दांत की सफाई का खास ख्याल रखें.
  6. अगर कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करते हैं तो अपने आई केयर प्रोवाइडर के निर्देश के अनुसार लेंस को साफ करते रहें.
  7. नाखूनों को साफ और छोटा रखें.
  8. ज्यादा लंबे समय तक एंटिबायोटिक्स लेने से भी फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन पर ही एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करें.
  9. अपना तौलिया अलग रखें और किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शेयर न करें.
  10. अगर आपके क्षेत्र में नुकसान पहुंचाने वाले फंगस ज्यादा हैं तो मास्क पहनें और खिड़की-दरवाजे बंद कर ज्यादा समय घर में ही रहने की कोशिश करें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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