
Eagle Syndrome in Hindi: बहुत ही कम चर्चा में आने वाला ईगल सिंड्रोम एक दुर्लभ किस्म की बीमारी है. आमतौर पर लोगों को इस बीमारी के बारे में पता नहीं होता. क्योंकि इस खतरनाक बीमारी के चपेट में बेहद कम लोग आते हैं. ज्यादातर मामले में इस बीमारी का पता भी काफी देर से लग पाता है. इसके बावजूद इस बीमारी के बारे में लोगों को जरूर जागरूक होना चाहिए. आइए, हेल्थ एक्सपर्ट से जानते हैं कि ईगल सिंड्रोम क्या है और क्यों होता है? इस दुर्लभ बीमारी के लक्षण कैसे होते हैं? इस दर्दनाक बीमारी का इलाज कैसे होता है?
ईगल सिंड्रोम क्या है? (What is Eagle Syndrome?)
डॉक्टर्स के मुताबिक, दोनों कान के नीचे स्थित एक छोटी सी सुई जैसी हड्डी एक लम्बी स्टाइलॉयड प्रक्रिया या जबड़े के बीच एक सख्त स्टाइलोहाइड लिगामेंट के बढ़ने के कारण चेहरे के इन हिस्सों के आसपास की नसों पर अचानक दबाव बनता है. इससे पीड़ित इंसान को तेज दर्द का अहसास होता है. मेडिकल साइंस में इस शारीरिक समस्या को ईगल सिंड्रोम कहा जाता है. इस दुर्लभ बीमारी का पता लगाने वाले डॉ. वाट डब्ल्यू ईगल के ही नाम पर इसे ईगल सिंड्रोम कहते हैं.
क्यों होता है ईगल सिंड्रोम? (Why does Eagle Syndrome Occur?)
डॉ. वाट ईगल ने 1937 में बताया था कि कभी-कभी, टॉन्सिलेक्टॉमी के बाद स्टाइलोहाइड लिगामेंट हड्डी में बदल जाता है. इसके दूसरे संभावित कारणों में संक्रमण, गर्दन की चोटें या उम्र बढ़ने के कारण लिगामेंट के लचीलेपन में आई कमी भी शामिल है. इस बीमारी से पीड़ित के सिर या गर्दन में अजीब संरचनाएं बन जाती है. उसके चलते चेहरे या गर्दन के अलग-अलग हिस्से में दर्द होने लगता है. हालांकि, ईएनटी एक्सपर्ट्स के बीच इस बात पर अब भी बहस जारी है कि इन अजीब संरचनाओं का असली कारण क्या है.
ईगल सिंड्रोम के लक्षण क्या-क्या हैं ? (What are the symptoms of Eagle Syndrome?)
ईगल सिंड्रोम के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि स्टाइलॉयड प्रक्रिया या स्टाइलोहाइड लिगामेंट के संपर्क में कौन सी नसें या रक्त वाहिकाएं आती हैं. इसके प्रमुख लक्षणों में अक्सर चबाने, जम्हाई लेने, बात करने या अपना सिर घुमाने पर चेहरे, गर्दन या गले में बढ़ने वाला दर्द, गले में कुछ फंसने का अहसास, कुछ भी निगलने में कठिनाई (डिस्फेजिया), कानों का बजना (टिनिटस), आंखों में दर्द, सिर दर्द और चक्कर आना वगैरह शामिल है.
ईगल सिंड्रोम वाले ज्यादातर लोगों के सिर के दोनों तरफ एक लम्बी स्टाइलॉयड प्रक्रिया होती है, लेकिन कई लोगों को केवल एक तरफ दर्द का अनुभव होता है. डॉक्टर्स का कहना है कि ईगल सिंड्रोम में ग्लोसोफेरींजल न्यूराल्जिया की तरह ही दर्द होते हैं. इस बीमारी में स्टाइलॉयड प्रक्रिया गर्दन के एक प्रमुख नर्व ग्लोसोफेरींजल तंत्रिका को निचोड़ती है. इससे टॉन्सिल या जीभ के पीछे तेज या सिलसिलेवार दर्द पैदा हो जाता है. कई बार यह दर्द दोनों कान तक फैल सकता है.
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क्या हैं ईगल सिंड्रोम की जटिलताएं ? (What are the complications of Eagle syndrome?)
एक लम्बी स्टाइलॉयड प्रक्रिया से कैरोटिड धमनियों जैसी आस-पास की रक्त वाहिकाओं पर दबाव के चलते होने वाले ईगल सिंड्रोम की जटिलताओं में आंखों के नीचे तेज दर्द, क्षणिक इस्केमिक अटैक (TIA) या स्ट्रोक, चेहरे के एक तरफ सुन्नपन (हेमिपैरेसिस), लगातर चक्कर आने की शिकायत, धुंधला दिखाई देना, अचानक बेहोश हो जाना (सिंकोप) और बोली यानी आवाज और शब्दों के उच्चारण में बदलाव हो सकता है.
कैसे किया जाता है ईगल सिंड्रोम का इलाज ? (How is Eagle Syndrome treated?)
ईगल सिंड्रोम के लक्षण अक्सर एपिसोडिक होते हैं. इसका मतलब है कि वे जल्दी दूर हो जाते हैं. लेकिन इसके चलते कभी-कभी, मेडिकल इमरजेंसी जैसी हालत पैदा हो जाती है. इनमें गिरने, चोट लगने और धमनी या नसों समेत कई अंगों में नुकसान हो जाता है. ऐसी नौबत आने पर फौरन डॉक्टर्स के पास पहुंचने की जरूरत होती है. आमतौर पर डॉक्टर ईगल सिंड्रोम के लक्षणों को देखकर मरीज को दर्द से राहत देने के लिए स्टेरॉएड इंजेक्शन लगाते हैं. वहीं, गंभीरता ज्यादा होने पर एक्सरे, सीटी-स्कैन और एमआरआई जैसी जांच के बाद सर्जरी की मदद से इस बीमारी का इलाज किया जाता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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