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बचपन का मोटापा बन सकता है चर्म रोग का कारण, शोध ने किए कई चौंकाने वाले खुलासे

मोटापे से पीड़ित बच्चों में सोरायसिस, एटोपिक डर्माटाइटिस और एलोपेसिया एरीटा जैसे इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होने वाले चर्म रोग (आईएमएसडी) होने की आशंका ज्यादा होती है. एक शोध में यह बात सामने आई है.

बचपन का मोटापा बन सकता है चर्म रोग का कारण, शोध ने किए कई चौंकाने वाले खुलासे
आईएमएसडी ऐसे रोग हैं जो शरीर की रोग इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होते हैं.

इस शोध के लिए 2009 से 2020 तक 21,61,900 कोरियाई बच्चों का विश्लेषण किया गया. इसमें कहा गया है कि संतुलित वजन बनाए रखने से कुछ चर्म रोगों की संभावना कम हो सकती है. शोध का उद्देश्य यह जानना था कि क्या मोटापा या शरीर के वजन में होने वाले बदलाओं का आईएमएसडी से कोई संबंध है. आईएमएसडी से पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों की जिंदगी में खुशहाली की कमी हो जाती है क्योंकि इसका असर भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक स्थितियों पर पड़ता है.

आईएमएसडी वाले रोग: 

बाल रोगियों में सोरायसिस (त्वचा का ज्यादा बढ़कर लटक जाना) और एटोपिक डर्मेटाइटिस (एक तरह की खुजली) के उपचार में कई जेनेरिक दवाओं के आशाजनक परिणाम सामने आए हैं, लेकिन अभी भी बच्चों में आईएमएसडी से जुड़ी कई जरूरी बाधाएं हैं. इसमें क्लिनिकल टेस्ट की कमी के साथ उपचार के विकल्पों की भी कमी है.

आईएमएसडी ऐसे रोग हैं जो शरीर की रोग इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होते हैं. कभी इम्यून सिस्टम जरूरत से ज्यादा सक्रिय होकर शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती है तो कभी यह सही तरीके से काम नहीं करती है.

छोटे बच्चों में मोटापा बढ़ने से खतरा:

हाल के वर्षों में बचपन में मोटापे में काफी वृद्धि हुई है, जिससे यह एक पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी बन गया है जिसे महामारी के प्रभावों और देशव्यापी लॉकडाउन ने और भी बदतर बना दिया है.

कोरिया में सोल नेशनल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के डर्मेटोलॉजी साइंस डिपार्टमेंट के सेओंग राय किम ने कहा, "इससे पहले कई अध्ययनों में बचपन के मोटापे और आईएमएसडी के बीच संबंध का अध्ययन किया गया है. हालांकि इनमें से ज्यादातर अध्ययनों में सिर्फ एक समय के डेटा को देखा गया या इस बीमारी से पीड़ित और इससे अक्षुण्ण समूहों की तुलना की गई है. बहुत कम अध्ययनों में बच्चों पर लंबे समय तक नजर रखी गई है ताकि यह देखा जा सके कि उनके शरीर का वजन इन त्वचा संबंधी स्थितियों के विकास को कैसे प्रभावित करता है."

किम ने कहा, "इसका मतलब यह है कि हम अब भी निश्चित रूप से नहीं जानते हैं कि मोटापा या ज्यादा वजन एटोपिक डर्मेटाइटिस और सोरायसिस का कारण बनता है या नहीं. इसके अलावा अभी तक किसी भी अध्ययन ने एलोपेसिया एरीटा (सूजन के साथ गंजापन) पर मोटापे या बच्चे के वजन में जल्दी-जल्दी होने वाले डायनामिक ट्रांसफॉर्मेशन से त्वचा रोग के विकास पर पड़ने वाले प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है."

जर्नल ऑफ इन्वेस्टिगेटिव डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, खासकर स्कूल जाने से पहले उनमें एटोपिक डर्मेटाइटिस की रोकथाम के लिए वजन को कंट्रोल रखने और हेल्दी डाइट स्ट्रेटजी को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया गया है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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