
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सहायक प्रजनन तकनीक (नियमन) विधेयक-2020 (Assisted Reproductive Technology Bill 2020) को मंजूरी दे दी है, जिसमें महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने इसे ऐतिहासिक विधेयक बताते हुए कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य देश में महिलाओं के कल्याण के लिए है, क्योंकि यह राष्ट्रीय रजिस्ट्री स्थापित करने के लिए कानून का प्रस्ताव करता है.
क्या सिजेरियन डिलीवरी के बाद नार्मल डिलीवरी हो सकती है? क्या कहते हैं डॉक्टर्स
इसके तहत एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री और पंजीकरण प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव किया गया है, जो सभी चिकित्सा पेशेवरों एवं इससे जुड़ी तकनीक का उपयोग करने वाले प्रतिनिधियों पर लागू होगा. इसमें एक राष्ट्रीय बोर्ड और राज्य बोर्ड गठन की बात कही गयी है, जो कानूनी रूपरेखा को लागू करने में मदद करेगा. इसमें एक सेंट्रल डाटा बेस बनाने की भी बात कही गई है. इस डाटा का उपयोग शोध उद्देश्यों के लिये किया जायेगा.
क्या पीरियड के दौरान सेक्स सही है या ग़लत? डॉक्टर से जानें क्या करें और क्या नहीं
ईरानी ने कहा, "कानूनी ढांचे को लागू करने में मदद करने के लिए एक राष्ट्रीय बोर्ड और राज्य बोर्ड की स्थापना की जाएगी. क्लीनिक और बैंकों का एक केंद्रीय डेटाबेस भी स्थापित किया जाएगा."
ईरानी ने कहा कि बिल के प्रावधानों के अनुसार, भ्रूण बिक्री और तस्करी में शामिल लोगों पर जुर्माने के साथ ही उन्हें सलाखों के पीछे भी भेजा जा सकेगा.
विधेयक को संसद के बजट सत्र के अगले चरण में पेश किए जाने की उम्मीद है, जो दो मार्च से शुरू होकर तीन अप्रैल तक जारी रहेगा. ईरानी ने कहा कि सरकार ने महिलाओं के प्रजनन अधिकारों की रक्षा के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं. (इनपुट- आईएएनएस और भाषा)
और खबरों के लिए क्लिक करें.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं