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ऑस्ट्रेलिया ने कोआला को क्लैमाइडिया से बचाने के लिए दुनिया के पहले टीके को दी मंजूरी

ऑस्ट्रेलिया ने लुप्तप्राय कोआला को क्लैमाइडिया से बचाने के लिए दुनिया के पहले टीके को मंजूरी दे दी है. क्लैमाइडिया एक ऐसी बीमारी है जिसने मार्सुपियल्स (जीव जो अन्य स्तनधारियों की अपेक्षा बहुत कम समय के लिए गर्भधारण करते हैं और जन्म के बाद उनका बच्चा लगभग अविकसित होता है) की आबादी को तबाह कर दिया है.

ऑस्ट्रेलिया ने कोआला को क्लैमाइडिया से बचाने के लिए दुनिया के पहले टीके को दी मंजूरी
क्लैमाइडिया से बचाने के लिए दुनिया के पहले टीके को मिली मंजूरी.

ऑस्ट्रेलिया ने लुप्तप्राय कोआला को क्लैमाइडिया से बचाने के लिए दुनिया के पहले टीके को मंजूरी दे दी है. क्लैमाइडिया एक ऐसी बीमारी है जिसने मार्सुपियल्स (जीव जो अन्य स्तनधारियों की अपेक्षा बहुत कम समय के लिए गर्भधारण करते हैं और जन्म के बाद उनका बच्चा लगभग अविकसित होता है) की आबादी को तबाह कर दिया है. बुधवार को जारी यूनीएससी के एक बयान के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के सनशाइन कोस्ट विश्वविद्यालय (यूनीएससी) द्वारा 10 वर्षों से भी अधिक समय में विकसित इस टीके को ऑस्ट्रेलियाई कीटनाशक एवं पशु चिकित्सा औषधि प्राधिकरण द्वारा स्वीकृति मिलना, लुप्तप्राय कोआलाओं को क्लैमाइडिया संक्रमण और मृत्यु से बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

बयान में कहा गया है कि प्रजनन के माध्यम से फैलने वाली यह बीमारी दर्दनाक मूत्र मार्ग में संक्रमण, बांझपन, अंधापन और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकती है, कुछ मामलों में संक्रमण दर 70 प्रतिशत तक पहुंच जाती है. यूनीएससी के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि इस टीके ने प्रजनन काल के दौरान कोआलाओं में क्लैमाइडिया के लक्षण विकसित होने की संभावना को कम कर दिया और जंगली आबादी में इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर को कम से कम 65 प्रतिशत तक कम कर दिया.

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यूनीएससी के माइक्रोबायोलॉजी प्रोफेसर पीटर टिम्स ने कहा कि इस एकल-खुराक वाले टीके को पशु चिकित्सा नियामक ने वन्यजीव अस्पतालों, पशु चिकित्सालयों और खेतों में उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा, "हम जानते थे कि बिना किसी बूस्टर डोज के, सिंगल डोज वाला टीका ही इस बीमारी के तेज और विनाशकारी प्रसार को कम करने का उपाय है. ऑस्ट्रेलिया में सभी जंगली कोआलाओं की आधी से ज्यादा मौतें इसी बीमारी के कारण होती हैं."

अब तक, क्लैमाइडिया से संक्रमित कोआलाओं के लिए एंटीबायोटिक्स ही एकमात्र उपलब्ध उपचार थे, लेकिन ये कोआला के भोजन के एकमात्र स्रोत, यूकेलिप्टस के पत्तों को पचाने की क्षमता को बाधित कर सकते हैं, जिससे भूखमरी और कुछ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ये अक्सर भविष्य में होने वाले संक्रमण को रोकने में भी विफल रहते हैं. बयान के अनुसार, कई टीकाकरण परीक्षणों के माध्यम से एकत्र किए गए एक दशक के नैदानिक ​​आंकड़ों ने टीके की सुरक्षा और प्रभावशीलता की पुष्टि की है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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