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50 फीसदी भारतीय हेल्दी एजिंग कर रहे प्लान, 71 प्रतिशत टेक के सहारे खुद को रख रहे फिट: रिपोर्ट

मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 50 प्रतिशत भारतीय हेल्दी एजिंग का प्लान बना रहे हैं, जबकि 71 प्रतिशत लोग लंबे समय तक सक्रिय रहने के लिए टेक यानी तकनीक का उपयोग कर रहे हैं.

50 फीसदी भारतीय हेल्दी एजिंग कर रहे प्लान, 71 प्रतिशत टेक के सहारे खुद को रख रहे फिट: रिपोर्ट
50 प्रतिशत भारतीय हेल्दी एजिंग का प्लान बना रहे हैं.

मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 50 प्रतिशत भारतीय हेल्दी एजिंग का प्लान बना रहे हैं, जबकि 71 प्रतिशत लोग लंबे समय तक सक्रिय रहने के लिए टेक यानी तकनीक का उपयोग कर रहे हैं. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व की बड़ी आबादी बूढ़ी हो रही है, लेकिन ऐसे केवल 12 प्रतिशत लोग ही हैं जो हेल्दी एजिंग के हिसाब से अपना लाइफस्टाइल प्लान कर रहे हैं.

अच्छी बात ये है कि सर्वेक्षण में शामिल देशों की लिस्ट में भारत पहले स्थान पर है. रिपोर्ट दावा करती है कि यहां लोग लंबी उम्र की ख्वाहिश रखते हैं और स्वस्थ रहने के लिए कोई न कोई पॉजिटिव कदम उठा रहे हैं. 19 देशों के 9,350 लोगों को सर्वे में शामिल किया गया. सर्वेक्षण आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबी उम्र की इच्छा रखने वाले भारतीय विशेष रूप से प्राकृतिक उपचारों, हेल्थ ट्रैकर्स और एआई-सपोर्टेड सोल्यूशंस को अपनाने में आगे हैं.

बीसीजी की प्रबंध निदेशक और भागीदार तथा मार्केटिंग, सेल्स और प्राइसिंग प्रैक्टिस (एमएसपी) की इंडिया लीड, पारुल बजाज ने कहा, "दीर्घायु होने का विज्ञान तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन हमारे शोध से पता चलता है कि दुनिया भर में केवल 12 प्रतिशत लोग ही हेल्दी एजिंग का सक्रिय रूप से प्लान बना रहे हैं. हालांकि, भारत में, हम एक अनूठी चीज देखते हैं—यहां के उपभोक्ता डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को सबसे तेजी से अपनाने वालों में से हैं, लगभग 70 प्रतिशत उपभोक्ता पहनने योग्य उपकरण, ऐप्स और तकनीक-आधारित उपकरणों का उपयोग करते हैं, और हर चार में से एक उपभोक्ता पहले से ही एआई-संचालित स्वास्थ्य एजेंटों से जुड़ रहा है."

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बजाज ने आगे कहा, "डिजिटल-फर्स्ट माइंडसेट भारत को हेल्दी एजिंग की ओर बढ़ने को प्रेरित कर रहा है, हालांकि चुनौतियां कम नहीं हैं. लॉन्गेविटी पैराडॉक्स हमें याद दिलाता है कि लंबी उम्र का अर्थ केवल उम्र बढ़ना नहीं, बल्कि उन ढलती उम्र को उद्देश्यपूर्ण, जीवंत और स्वतंत्र रूप से जीना है—और भारत जिस तरह तकनीक को अपना रहा है उससे कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में हेल्दी एजिंग इनोवेशन्स के टेस्ट बेड (परीक्षण स्थल) के तौर पर दुनिया हमारी ओर देखेगी."

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत 25 प्रतिशत एआई-संचालित स्वास्थ्य उपकरणों को अपनाने में शीर्ष पर है.

यह देश 32 प्रतिशत के साथ, पहनने योग्य उपकरणों और ट्रैकर्स को सबसे ज्यादा अपनाने वाले शीर्ष तीन देशों में भी शामिल है.

वैश्विक औसत 55 प्रतिशत की तुलना में, भारत में 71 प्रतिशत लोगों ने कम से कम एक तकनीक के उपयोग की बात मानी.

भारत में 25 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कुछ अनहेल्दी विकल्पों को स्वस्थ या बहुत स्वस्थ बताया, जो वैश्विक औसत से 5-7 प्रतिशत अधिक है.

भारतीय उपभोक्ता गोपनीयता संबंधी चिंताओं से भी कम प्रभावित पाए गए, जिससे वे डिजिटल-प्रथम स्वास्थ्य जुड़ाव के प्रति अधिक खुले हुए हैं. हालांकि, निम्न-आय वर्ग के लिए सामर्थ्य और सुलभता अभी भी महत्वपूर्ण बाधाएं हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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