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ADHD Disorder: इस बीमारी से जूझ रही हैं आलिया भट्ट, जान लीजिए इनके लक्षण और ट्रीटमेंट

बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने हाल ही में खुलासा किया है कि वो एडीएचडी डिसऑर्डर की शिकार हैं. आइए आपको इस डिसऑर्डर के बारे में बताते हैं.

ADHD Disorder: इस बीमारी से जूझ रही हैं आलिया भट्ट, जान लीजिए इनके लक्षण और ट्रीटमेंट

ADHD Disorder: बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) अपनी फिल्मों और पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. हाल ही में आलिया की फिल्म जिगरा (Jigra) रिलीज हुई थी. इस फिल्म के प्रमोशन के दौरान आलिया भट्ट ने एक खुलासा किया था. आलिया ने खुलासा किया था कि वो एडीएचडी (ADHD) बीमारी से जूझ रही हैं. इस बीमारी की फुल फॉर्म अटेंशन डिफीसिटएट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर है. इस बीमारी में इंसान जोन आउट हो जाता है. आलिया ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो बचपन से ही जोन आउट हो जाती थीं. मैं बचपन से ही क्लास में किसी से बात करते हुए ऑफ जोन हो जाती थीं. उन्होंने कुछ समय पहले ही एक साइकोलॉजिस्ट को दिखाया था. जिसने बताया कि वो एडीएचडी नाम की बीमारी से जूझ रही हैं. आइए आपको इस बीमारी के बारे में बताते हैं.

इस बीमारी से जूझ रही हैं आलिया भट्ट, जान लीजिए इनके लक्षण और ट्रीटमेंट

क्या होता एडीएचडी (What Is ADHD)

रिपोर्ट्स की माने तो इस डिसऑर्डर से हर साल लाखों बच्चे प्रभावित होते हैं. ये एक न्यूरो डेवलेपमेंट सिचुएशन है. इस बीमारी में बच्चे को ध्यान रखने में दिक्कत होती है और वो हाइपरएक्टिव होता है. कुछ बच्चों के साथ तो इस बीमारी में लो कॉन्फिडेंस, स्कूल में खराब परफॉर्मेंस जैसी परेशानियां भी होती हैं. बढ़ते बच्चे के साथ उनमें इसके लक्षण कम दिखने लगते हैं. कुछ बच्चे तो इससे उबर जाते हैं मगर कुछ बच्चे इससे बाहर नहीं आ पाते हैं जिसकी वजह से उन्हें आगे चलकर कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.

क्या होते हैं लक्षण (Symptoms)

अटेंशन डिफीसिटएट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर ज्यादातक 12 साल से कम बच्चों में नजर आने लगते हैं. ये बच्चे की कंडीशन पर डिपेंड करते हैं कि ये लक्षण कम हैं, मिड लेवल के हैं या ये समस्या गंभीर हो चुकी है. बच्चों में उनके लक्षण से पता चल जाता है कि ये उन्हें किस तरह से प्रभावित कर रहा है. ऐसा नहीं है कि ये समस्या बढ़ती उम्र के साथ कम हो जा सकती है. कई बच्चों में ये बढ़ती उम्र के साथ भी चलते रहते हैं.  इसके कुछ जरुरी लक्षण के बारे में बताते हैं.

1- काम या खेलते समय फोकस नहीं कर पाना
2- बात करते हुए ध्यान नहीं देना
3- अपना काम पूरा नहीं कर पाना और अगर किसी ने कोई निर्देश दिए हैं तो उन्हें पूरा करने में मुश्किल आना
4- रोज का काम भूल जाना या काम करते-करते भूल जाना कि क्या कर रहे हैं
5- बैचेनी होना या हाथ-पैरों का थपथपाना
6- पेशेंस लेवल की कमी होना. अपनी बारी का इंतजार करने में दिक्कत होता
7- शांत रहना या कुछ बच्चे बहुत ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं

इलाज (Treatment)

बच्चों को घर पर ही नॉर्मल बिहेव करके उसके रूटीन में थोड़ा बदलाव करके इस बीमारी को दूर किया जा सकता है. ये सारी चीजें उसके लक्षण पर डिपेंड करती हैं. अगर हल्के लक्षण हैं तो आप इसे घर और दोस्तों के साथ मिलकर और कुछ चीजें चेंज करके कर सकते हैं. अगर इसके लक्षण मध्यम और गंभीर हैं तो इसके लिए बच्चे को दवा और मनोचिकित्सक को दिखाना जरूरी है. वो दवाइयों के साथ थेरेपी से बच्चे को ठीक करने की कोशिश करेंगे. इस बीमारी को हल्के में लेने की जरूरत नहीं है इससे बच्चे के दिमाग पर काफी असर पड़ता है तो अपने बच्चे का खास ध्यान रखना आपकी ही जिम्मेदारी है.

बच्चे के बिहेवियर से उनके दिमाग में क्या चल रहा है इसके बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है अगर आप घर में उसे समझ नहीं पा रहे हैं तो उनकी टीचर से बात करिए और उनसे कहिए कि अगर बच्चे के अंदर उन्हें थोड़े से भी बदलाव नजर आएं तो वो तुरंत आपको बताएं ताकि आप उससे बात करके इसे समय से ठीक कर सकें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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