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This Article is From Apr 26, 2021

Corona Second Wave: AIIMS डायरेक्टर गुलेरिया ने बताई अस्पतालों में बढ़ती भीड़ की असली वजह, की ये अपील

AIIMS Director Told: कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश भर में एक ठहराव ला दिया है. एक्टिव केस और रिकवरी केस में काफी अंतर है. स्वास्थ्य सेवाओं पर पर असर पड़ रहा है, मरीजों को बेड्स, ऑक्सीजन मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

Corona Second Wave: AIIMS डायरेक्टर गुलेरिया ने बताई अस्पतालों में बढ़ती भीड़ की असली वजह, की ये अपील
Corona Second Wave: कोरोना वायरस की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है.

AIIMS Director Told: कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश भर में एक ठहराव ला दिया है. एक्टिव केस और रिकवरी केस में काफी अंतर है. रिसोर्सज़ कम पड़ रहे हैं, मृत्यु दर बढ़ रही है. आपको बता दें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है. लगातार बढ़ते मामलों के कारण मरीजों को बेड्स, ऑक्सीजन मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कई मरीज तो कई अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं, जिसके बावजूद भी उन्हें सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा. स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि कई दिन बीत जाने के बाद भी ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड्स की किल्लत जल्द दूर होती हुई नहीं दिखाई दे रही है. इन सबके बीच, एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को बताया है कि आखिर में कोरोना मरीजों को इलाज क्यों नहीं मिल पा रहा है. गुलेरिया ने एक दिन पहले भी कोरोना से लड़ने के लिए देशवासियों को कई तरह की सलाह दी थी. तो आइए जानते हैं कि रणदीप गुलेरिया इलाज न मिलने के क्या कारण बताए.

एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया के अनुसार ''जो कोरोना पॉजिटिव आता है, उसमें यह पैनिक हो जाता है कि कहीं मुझे बाद में ऑक्सीजन और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत न पड़ जाए, इस वजह से मैं अभी ही भर्ती हो जाता हूं. इस वजह से अस्पतालों के बाहर बहुत भीड़ हो जाती है और वास्तविक मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है.'' उन्होंने यह भी बताया कि इसी पैनिक की वजह से घर पर पहले से ही दवाइयां शुरू कर देते हैं उस वजह से मार्केट में ड्रग्स की कमी हो जाती है. पहले ही दिन सभी दवाई शुरू करने की वजह से साइड इफेक्ट होने लगते हैं और कोई फायदा नहीं होता है.

अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर भी गुलेरिया ने बताया कि कई लोग सोचते हैं कि अभी से ही ऑक्सीजन घर पर रख लेता हूं, जिससे आने वाले समय में कमी नहीं होगी. यह सब गलत धारणाएं हैं. ऑक्सीजन कोविड-19 में बहुत जरूरी है, लेकिन इसका मिसयूज बहुत बड़ा फैक्टर है. गुलेरिया ने यह भी बताया कि हमें कोरोना के मामलों में कमी लानी होगी और अस्पतालों के रिसोर्सेज का बेहतर इस्तेमाल करना होगा. ऑक्सीजन का विवेकपूर्ण इस्तेमाल काफी जरूरी है. 

किसको पड़ती है ऑक्सीजन-रेमडेसिविर की जरूरतः

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में लोगों के मन में चल रहे जर को लेकर रणदीप गुलेरिया ने रविवार को बताया था कि कोरोना वायरस एक सामान्य संक्रमण है. 85 से 90 फीसदी संक्रमितों में खांसी, जुकाम, बुखार और बदन दर्द जैसे मामूली लक्षण देखने को मिल रहे हैं. ऐसे मामलों में रेमडेसिविर जैसी दवाओं और ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती. डॉ. गुलेरिया ने कहा था, ''कोविड-19 को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. लोग डर के मारे रेमडेसिविर के इंजेक्शन इकट्ठे करने लगे हैं. इससे रेमडेसिविर और ऑक्सीजन सिलिंडर की जमाखोरी शुरू हो गई है. नतीजतन हम इस जीवनरक्षक दवा और ऑक्सीजन की किल्लत का सामना कर रहे हैं.'' गुलेरिया ने कहा कि 10 से 15 फीसदी मरीजों में संक्रमण गंभीर स्तर पर पहुंचता है. उन्हें रेमडेसिविर जैसी दवाओं, ऑक्सीजन या प्लाज्मा की आवश्यकता पड़ सकती है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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