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6 साल की बच्ची को कुत्ते ने काटा, लगवाया टीका, एक महीने बाद दर्दनाक मौत, जानें रेबीज वैक्सीन के बाद भी क्यों हो जाती है रेबीज

कई बार ऐसी खबरें आती हैं कि वैक्सीन लगवाने के बावजूद मरीज की जान नहीं बच पाई. हालांकि ऐसा बहुत कम होता है, लेकिन इसके पीछे कुछ गंभीर तकनीकी और मेडिकल कारण हो सकते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर वो कौन सी वजहें हैं जिनसे रेबीज का टीका बेअसर हो सकता है.

6 साल की बच्ची को कुत्ते ने काटा, लगवाया टीका, एक महीने बाद दर्दनाक मौत, जानें रेबीज वैक्सीन के बाद भी क्यों हो जाती है रेबीज

हाल ही में महाराष्ट्र के ठाणे से एक दिल दहला देने वाली खबर आई है. एक 6 साल की बच्ची, निशा शिंदे की कुत्ते के काटने के एक महीने बाद मौत हो गई. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बच्ची को एंटी-रेबीज वैक्सीन की 4 खुराकें (Doses) दी जा चुकी थीं. 17 नवंबर को गली के कुत्ते ने उसे काटा था, समय पर इलाज भी शुरू हुआ, लेकिन आखिरी डोज के बाद अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और उसे बचाया नहीं जा सका.

यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि वैक्सीन लगने के बावजूद मौत क्यों हो सकती है? आइए जानते हैं इसके पीछे के 7 मुमकिन कारण.

वैक्सीन के बावजूद क्यों जानलेवा हो सकता है रेबीज? | Fatal outcomes despite vaccination: Know possible causes

कुत्ते के काटने के बाद रेबीज की वैक्सीन लगवाना जान बचाने के लिए सबसे जरूरी कदम है. लेकिन कई बार ऐसी खबरें आती हैं कि वैक्सीन लगवाने के बावजूद मरीज की जान नहीं बच पाई. हालांकि ऐसा बहुत कम होता है, लेकिन इसके पीछे कुछ गंभीर तकनीकी और मेडिकल कारण हो सकते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर वो कौन सी वजहें हैं जिनसे रेबीज का टीका बेअसर हो सकता है.

वैक्सीन के बावजूद मौत होने के 7 मुख्य कारण

1. इलाज शुरू करने में देरी (Delayed Vaccination)

कुत्ते के काटने के तुरंत बाद (हो सके तो कुछ ही घंटों के भीतर) इलाज शुरू करना चाहिए. अगर वायरस नसों (Nervous System) तक पहुँच गया, तो उसके बाद टीका या इंजेक्शन कोई काम नहीं करते. एक बार वायरस दिमाग तक पहुँचा, तो वह लाइलाज हो जाता है.

2. इम्यून रिस्पॉन्स का कमजोर होना

हर किसी का शरीर वैक्सीन पर एक जैसी प्रतिक्रिया नहीं देता. अगर किसी की सेहत पहले से खराब है या उसका इम्यून सिस्टम (बीमारियों से लड़ने की शक्ति) कमजोर है, तो मुमकिन है कि वैक्सीन लगने के बाद भी उसका शरीर पर्याप्त एंटीबॉडी न बना पाए.

3. जख्म का गंभीर होना (Severity of Exposure)

अगर कुत्ते ने चेहरे, गर्दन या हाथों पर काटा है, तो खतरा बहुत ज्यादा होता है. इन हिस्सों में नसें बहुत ज्यादा होती हैं, जिसकी वजह से वायरस पैरों या शरीर के निचले हिस्सों के मुकाबले बहुत तेजी से दिमाग तक पहुँच जाता है. ऐसी स्थिति में तुरंत और आक्रामक इलाज की जरूरत होती है.

4. वैक्सीन के कोर्स में चूक

रेबीज की वैक्सीन कई डोज की एक सीरीज होती है. अगर कोई डोज मिस हो जाए, समय पर न लगे या वैक्सीन का तरीका गलत हो, तो शरीर में पूरी इम्यूनिटी नहीं बन पाती.

5. रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन (RIG) का न लगना

गंभीर मामलों में सिर्फ वैक्सीन काफी नहीं होती. RIG एक खास इंजेक्शन होता है जो सीधे जख्म वाली जगह पर तुरंत सुरक्षा (Antibodies) देता है. अगर मरीज को सिर्फ वैक्सीन दी गई और RIG नहीं, तो वायरस वैक्सीन का असर शुरू होने से पहले ही नसों पर कब्जा कर सकता है.

6. घाव की सही सफाई न होना

कुत्ते के काटने पर पहला कदम घाव को बहते पानी और साबुन से कम से कम 15 मिनट तक धोना है. अगर सफाई ठीक से नहीं हुई, तो वायरस के कण शरीर में रह जाते हैं जो इन्फेक्शन फैला सकते हैं.

7. वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन

कभी-कभी रेबीज वायरस के कुछ अलग स्ट्रेन इतने ताकतवर होते हैं कि वे वैक्सीन से बनी सुरक्षा को भी चकमा देने में कामयाब हो जाते हैं.

रेबीज के शुरुआती लक्षण और गंभीरता | Initial symptoms of rabies

रेबीज एक जानलेवा दिमागी बीमारी है जो आमतौर पर संक्रमित कुत्ते के काटने से फैलती है. इसके शुरुआती लक्षण संपर्क में आने के 1 से 3 महीने बाद दिखना शुरू होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. बुखार और सिरदर्द.
  2. थकान और जी मिचलाना.
  3. जहां कुत्ते ने काटा है, वहां दर्द या चुभन होना.

बीमारी बढ़ने पर दिखने वाले लक्षण:

एंग्जायटी और घबराहट: मरीज बहुत ज्यादा डरा हुआ महसूस करता है.
हाइड्रोफोबिया: पानी निगलते समय गले में तेज दर्द और ऐंठन की वजह से पानी से डर लगने लगता है.
एयरोफोबिया: हवा के झोंकों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाना.
लकवा (Paralysis): अंत में शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है.

रेबीज से बचने का एकमात्र तरीका 'जागरूकता' और 'सही समय पर इलाज' है. अगर आप सही प्रोटोकॉल का पालन करते हैं, तो रेबीज वैक्सीन जान बचाने में पूरी तरह कारगर है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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