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This Article is From Aug 27, 2018

2002 का गोधरा रेल अग्निकांड : अहमदाबाद की विशेष अदालत ने सुनाई दो को उम्रकैद, 3 बरी

गुजरात की एक अदालत ने 2002 के गोधरा रेल कांड के मामले में दो लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई जबकि 3 लोगों को बरी कर दिया है. 

2002 का गोधरा रेल अग्निकांड : अहमदाबाद की विशेष अदालत ने सुनाई दो को उम्रकैद, 3 बरी
अहमदाबाद: गुजरात की एक अदालत ने 2002 के गोधरा रेल कांड के मामले में दो लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई जबकि 3 लोगों को बरी कर दिया है.  आपको बता दें कि साल 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने गोधरा स्टेशन पर वर्ष 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगाकर 59 लोगों की जान लेने के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए दोषी करार दिए जा चुके 11 लोगों की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में तब्दील कर दी थी.  जबकि 20 दोषियों को उम्रकैद तथा 63 आरोपियों को बरी करने के फैसले को नहीं पलटा था. विशेष अदालत ने इस मामले में कुल 94 में से 63 आरोपियों को बरी कर दिया था, और कुल 31 आरोपियों को दोषी करार देकर उनमें से 11 को फांसी तथा 20 को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी.

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गोधरा स्टेशन पर हुई इस वारदात के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 1,000 से भी ज़्यादा लोग मारे गए थे. इस मामले में सभी 94 आरोपी मुस्लिम थे, और उन पर हत्या तथा षड्यंत्र रचने के आरोप थे. वर्ष 2011 में विशेष अदालत ने आगज़नी की वारदात का मास्टरमाइंड माने जाने वाले मौलवी उमरजी समेत 63 लोगों को बरी कर दिया था, और हाईकोर्ट ने भी उस फैसले में कोई बदलाव नहीं किया था और 31 लोगों को हत्या, हत्या की कोशिश तथा आपराधिक षड्यंत्र रचने का दोषी करार दिया गया था, और उनमें से 11 को फांसी तथा 20 को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने फांसी की सज़ा पाए 11 दोषियों की सज़ा को भी उम्रकैद में तब्दील कर दिया.

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क्या थी घटना
अहमदाबाद से लगभग 130 किलोमीटर दूर गोधरा स्टेशन पर फरवरी, 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के जिस कोच (डिब्बे) में आग लगाई गई थी, उसमें 59 लोगों की जलकर मौत हो गई थी, जिनमें से ज़्यादातर अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे. मामले के आरोपियों का आखिर तक यही दावा रहा कि उन्होंने 27 फरवरी, 2002 को ट्रेन के कोच में आग नहीं लगाई थी.

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