नई दिल्ली:
एनडीटीवी के मध्यावधि चुनावी सर्वे के मुताबिक अगर आज के हालात में चुनाव हुए, तो नरेंद्र मोदी की बढ़ती ताकत को कोई नजरअंदाज नहीं कर पाएगा। सर्वे के मुताबिक गुजरात में विधानसभा और लोकसभा की सीटों पर नरेंद्र मोदी सब पर भारी पड़ेंगे।
यही नहीं प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी नकारना बीजेपी के लिए कठिन होगा। सर्वे के मुताबिक गुजरात के 83 फीसदी लोग चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए और मौजूदा हालात में अगर मध्यावधि चुनाव हो जाएं, तो गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन एक सीट सुधरकर 15 से 16 हो जाएगा, जबकि कांग्रेस को एक सीट के नुकसान के साथ कुल 10 सीटें मिलने का अनुमान है।
इस साल के आखिर में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनावों में भी मोदी काफ़ी ताकतवर दिखाई दे रहे हैं। 82 फीसदी लोग उन्हें बेहतरीन मुख्यमंत्री बता रहे हैं और 84 प्रतिशत उनकी सरकार को अच्छी बता रहे हैं। गुजरात में विधानसभा चुनाव होने की स्थिति में नरेंद्र मोदी को दो-तिहाई बहुमत मिलता दिख रहा है। विधानसभा की 182 सीटों में से बीजेपी तीन सीटों के फायदे के साथ 120 के आंकड़े पर पहुंचती दिख रही है, जबकि कांग्रेस तीन सीट के नुकसान के साथ 59 पर जा सकती है। इससे जाहिर है कि लगातार तीसरे विधानसभा चुनाव में मोदी का जादू गुजरात पर चलने जा रहा है, जिसका असर केंद्र तक भी दिखाई देगा।
मध्यावधि चुनाव सर्वे में अभी तक 543 में से 259 सीटों के अनुमान हमारे सामने हैं। इनमें से कांग्रेस को 58 और बीजेपी को 51 सीटें मिल रही है। इसके अलावा यूपी में समाजवादी पार्टी को 33 और बीएसपी को 15 सीटें मिल सकती हैं। बंगाल में ममता बनर्जी अपनी बढ़त बनाते हुए 27 पर पहुंच रही हैं। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी 21 सीटें लेकर कांग्रेस का सफाया कर रहे हैं। टीआरएस की 10 सीटें कांग्रेस-बीजेपी को नचाएंगी। उड़ीसा में बीजेडी 16 और बंगाल-केरल में लेफ्ट 20 सीटें पाती दिख रही हैं।
दिल्ली के दावेदार नरेंद्र मोदी की गुजरात में आंधी चल रही है या नहीं। मंगलवार के पोल में 58 फीसदी बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मोदी को पसंद किया था।
मोदी बेहतरीन मुख्यमंत्री?
जहां तक गुजरात में नरेंद्र मोदी की बात है तो मोदी आज भी बेहतरीन मुख्यमंत्री माने जा रहे हैं। राज्य के 82 फीसदी लोग उनके काम से संतुष्ट हैं और सरकार को 84 फीसदी लोग अच्छी बता रहे हैं।
क्या नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए?
इस सवाल के जवाब में 83 फीसदी लोगों का जवाब हां में है। मध्यावधि चुनाव की नौबत में गुजरात की 26 सीटें में से बीजेपी 16 सीटें जीतेगी (2009 में 15) वहीं कांग्रेस को एक सीट का नुकसान दिख रहा है। कांग्रेस की सीट 11 से 10 होने की आशंका है।
जहां तक गुजरात के विधानसभा चुनाव की 182 सीटें का सवाल है 2007 में जहां बीजेपी को 117 सीटें मिली थी वहीं पूर्वानुमान है कि अब 120 सीटें आएंगी। वहीं कांग्रेस की सीटें 62 से घटकर 59 सीटें होने की संभावना है।
जब सर्वे में गुजरात के लोगों से पूछा गया कि नरेंद्र मोदी को पीएम बनना चाहिए तो 83 फीसदी लोगों का जवाब हां ही था।
महाराष्ट्र का हाल
महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार का प्रदर्शन भी औसत से ऊपर ही है। 57 फीसदी लोग मुख्यमंत्री के प्रदर्शन से खुश हैं तो 55 फीसदी लोग सरकार से खुश हैं।
कांग्रेस-एनसीपी में दरार पर जब पूछा गया कि क्या कांग्रेस−एनसीपी मिलकर चुनाव लड़ें, तब कांग्रेस के वोटरों में 58 फीसदी का जवाब हां में था, वहीं एनसीपी के वोटरों में इतने ही लोगों का जवाब न में था।
जब राज ठाकरे बनाम उद्धव ठाकरे के बारे में पूछा गया कि असली मराठी मानुष कौन है। तब एमएनएस के पक्ष में 49 फीसदी लोगों ने अपनी राय दी वहीं शिवसेना के पक्ष में 51 फीसदी लोग थे।
उधर, शिवसेना और एमएनएस के बीच में बीजेपी वोटरों का परेशान है। एमएनएस के साथ जाने के लिए 40 प्रतिशत लोग राय दे रहे हैं वहीं, शिवसेना के साथ जाने के लिए 60 प्रतिशत लोगों ने अपनी राय दी।
मध्यावधि चुनाव होने की सूरत में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 2009 की अपेक्षा 20 से बढ़कर 23 सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं इसके उलट कांग्रेस को 25 की स्थान पर 21 सीटों से संतोष करना पड़ेगा।
कर्नाटक का हाल
येदियुरप्पा बीजेपी के सिरदर्द बने हुए हैं? तीन में से एक बीजेपी मतदाता कहता है कि येदियुरप्पा को नई पार्टी बना लेनी चाहिए। दो में से एक बीजेपी मतदाता मानता है येदियुरप्पा के साथ अन्याय हुआ। सर्वे बता रहा है कि येदियुरप्पा के जाने से बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ेगा। 82 फीसदी लोगों की राय में येदियुरप्पा के जाने से बीजेपी का नुकसान होगा। कर्नाटक में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में 58 फीसदी लोग बीजेपी को और 42 फीसदी लोग कांग्रेस को भ्रष्ट मानते हैं।
सर्वे के मुताबिक यदि मध्यावधि चुनाव होते हैं तब कर्नाटक की 48 सीटें में से बीजेपी को 2009 में 19 के मुकाबले अब 12 सीटें ही मिल पाएंगी। वहीं, कांग्रेस पार्टी को इसका सीधा लाग मिलेगा और उसका ग्राफ छह से 11 तक पहुंच जाएगा। उधर, जेडीएस भी तीन के मुकाबले पांच सीटों पर आ जाएगी।
बता दें कि येदियुरप्पा लिंगायत हैं, सदानंद गौडा वोक्कालिंगा है। जेडीयू का प्रभाव वोक्कालिंगा पर रहता है। बीजेपी को लिंगायत ने सपोर्ट किया था। कर्नाटक विधानसभा की 90 सीटें लिंगायत प्रभाव वाली थीं। जेडीएस ने 26 में से 22 वोक्कालिंगा प्रभाव वाली सीटें जीत ली थीं। कांग्रेस को हर इलाके में वोट मिला था लेकिन सरकार से बाहर हो गई थी।
क्या प्रियंका गांधी को राजनीति में आना चाहिए?
देशभर में कांग्रेस वोटरों में 65 फीसदी लोगों का कहना है कि वह राजनीति में आएं। सर्वे बता रहा है कि प्रियंका गांधी हिन्दी पट्टी में काफी लोकप्रिय हैं। हिन्दी पट्टी के 80 फीसदी लोग प्रियंका गांधी को राजनीति में देखना चाहते हैं वहीं, बाकी भारत के 53 फीसदी लोग ऐसी राय रखते हैं।
सर्वे में एक प्रश्न यह भी था कि क्या भारत अमेरिका समर्थक हो?
इस प्रश्न के जवाब में 61 फीसदी लोगों ने हां कहा, वहीं 16 फीसदी लोग तटस्थ रहे। इसके अलावा 23 फीसदी लोगों ने अमेरिका के विरोध में मत दिया।
क्या पाकिस्तान से दोस्ती होनी चाहिए?
पाकिस्तान से दोस्ती के सवाल पर 43 फीसदी लोग सहमत दिखे तो 57 फीसदी इसे स्वीकारने में हिचके। इस मामले में राज्यवार अलग-अलग राय दिखी। महाराष्ट्र में 80 फीसदी लोग पाक विरोधी थे वहीं हरियाणा में 80 फिसदी लोग पाकिस्तान के समर्थन में भी थे। मध्य प्रदेश में 75 फीसदी विरोध में तो केरल में 77 फीसदी लोग समर्थन की बात कर रहे थे। उत्तर प्रदेश में 72 फीसदी विरोध में तो पंजाब में 72 फीसदी लोगों का पाक की ओर नरम रुख है। ऐसे गुजरात में 69 फीसदी लोगों की पाक के विरोध में स्वर निकलता है तो दिल्ली के 66 फीसदी लोग समर्थन की बात करते हैं।
क्या आतंकियों के आगे झुके भारत?
आतंकवादियों की मांगों के आगे झुकने के सवाल पर 84 फीसदी लोग कहते हैं कि हमें नहीं झुकना चाहिए।
आतंकवाद से लड़ने में केंद्र राज्यों से बेहतर?
लोगों का मत केंद्र के पक्ष में 69 फीसदी और राज्यों के पक्ष में 31 फीसदी है।
क्या भारत अंतरजातीय विवाहों से सहमत?
इसके अलावा एनडीटीवी-इप्सोस के सर्वे में सामाजिक सवाल भी पूछे गए। मंगलवार के पोल में आज के हिन्दुस्तान ने एकाकी की जगह संयुक्त परिवार को पसंद किया था। तो क्या यह हिन्दुस्तान अंतरजातीय विवाह को भी पसंद करता होगा? हमारे देश में अंतरजातीय विवाह का सबसे बड़ा प्रतीक कौन हो सकता है, जो आज के सामाजिक राजनीतिक जीवन में भी प्रासंगिक यानी महत्वपूर्ण है। संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की दूसरी पत्नी सविता अंबेडकर थीं। 1948 में डॉ अंबेडकर ने जाति से सारस्वत ब्राह्मण डॉ शारदा कबीर से शादी की थी। शादी के बाद शारदा सविता अंबेडकर बन गईं।
1936 में डॉ अंबेडकर ने जाति खत्म करने के लिए एक लेख में अंतरजातीय विवाह को रास्ता बताया था। हमारे सार्वजनिक जीवन अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह करने वाले कई जोड़े मिल जाएंगे। इनमें कई लोग फिल्म से हैं, राजनीति से हैं, खेल से हैं, लेकिन, आम लड़के-लड़कियां जब यह फैसला करते हैं, तो घर में कैसा कोहराम मचता होगा, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। कई लोग तो साहस ही नहीं कर पाते हैं।
इस प्रश्न का जवाब आज भी हताश करने वाला है। देश में अंतरजातीय विवाह के विरुद्ध 76 फीसदी लोग हैं। हरियाणा, राजस्थान में 90 फीसदी लोग इसके खिलाफ हैं। झारखंड, पश्चिम बंगाल में 57 फीसदी लोग राज़ी नहीं हैं। गुजरात की बेटियों में 94 फीसदी लोग इसके विरोध में हैं, तो बेटों में 77 फीसदी इससे सहमत नहीं हैं।
मोटापा बीमारी या खाते−पीते घर की निशानी?
मोटे यानी खाते−पीते एक−तिहाई भारतीय मानते हैं कि मोटा होना खाते−पीते घर का होने की निशानी है। महाराष्ट्र के 60 फीसदी, मध्य प्रदेश के 52, ओडिशा के 45 और पश्चिम बंगाल के 40 फीसदी लोग यही मानते हैं।
बॉलीवुड के पांच अब तक के सबसे अच्छे गाने कौन से हैं?
सर्वकालीन महानतम पांच फिल्मी गीतों में कुछ−कुछ होता है ने बाजी मारी है। फिर एक−दो−तीन, मुन्नी बदनाम हुई, जय हो और रूप तेरा मस्ताना क्रमश: आते हैं।
यही नहीं प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी नकारना बीजेपी के लिए कठिन होगा। सर्वे के मुताबिक गुजरात के 83 फीसदी लोग चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए और मौजूदा हालात में अगर मध्यावधि चुनाव हो जाएं, तो गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन एक सीट सुधरकर 15 से 16 हो जाएगा, जबकि कांग्रेस को एक सीट के नुकसान के साथ कुल 10 सीटें मिलने का अनुमान है।
इस साल के आखिर में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनावों में भी मोदी काफ़ी ताकतवर दिखाई दे रहे हैं। 82 फीसदी लोग उन्हें बेहतरीन मुख्यमंत्री बता रहे हैं और 84 प्रतिशत उनकी सरकार को अच्छी बता रहे हैं। गुजरात में विधानसभा चुनाव होने की स्थिति में नरेंद्र मोदी को दो-तिहाई बहुमत मिलता दिख रहा है। विधानसभा की 182 सीटों में से बीजेपी तीन सीटों के फायदे के साथ 120 के आंकड़े पर पहुंचती दिख रही है, जबकि कांग्रेस तीन सीट के नुकसान के साथ 59 पर जा सकती है। इससे जाहिर है कि लगातार तीसरे विधानसभा चुनाव में मोदी का जादू गुजरात पर चलने जा रहा है, जिसका असर केंद्र तक भी दिखाई देगा।
मध्यावधि चुनाव सर्वे में अभी तक 543 में से 259 सीटों के अनुमान हमारे सामने हैं। इनमें से कांग्रेस को 58 और बीजेपी को 51 सीटें मिल रही है। इसके अलावा यूपी में समाजवादी पार्टी को 33 और बीएसपी को 15 सीटें मिल सकती हैं। बंगाल में ममता बनर्जी अपनी बढ़त बनाते हुए 27 पर पहुंच रही हैं। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी 21 सीटें लेकर कांग्रेस का सफाया कर रहे हैं। टीआरएस की 10 सीटें कांग्रेस-बीजेपी को नचाएंगी। उड़ीसा में बीजेडी 16 और बंगाल-केरल में लेफ्ट 20 सीटें पाती दिख रही हैं।
दिल्ली के दावेदार नरेंद्र मोदी की गुजरात में आंधी चल रही है या नहीं। मंगलवार के पोल में 58 फीसदी बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मोदी को पसंद किया था।
मोदी बेहतरीन मुख्यमंत्री?
जहां तक गुजरात में नरेंद्र मोदी की बात है तो मोदी आज भी बेहतरीन मुख्यमंत्री माने जा रहे हैं। राज्य के 82 फीसदी लोग उनके काम से संतुष्ट हैं और सरकार को 84 फीसदी लोग अच्छी बता रहे हैं।
क्या नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए?
इस सवाल के जवाब में 83 फीसदी लोगों का जवाब हां में है। मध्यावधि चुनाव की नौबत में गुजरात की 26 सीटें में से बीजेपी 16 सीटें जीतेगी (2009 में 15) वहीं कांग्रेस को एक सीट का नुकसान दिख रहा है। कांग्रेस की सीट 11 से 10 होने की आशंका है।
जहां तक गुजरात के विधानसभा चुनाव की 182 सीटें का सवाल है 2007 में जहां बीजेपी को 117 सीटें मिली थी वहीं पूर्वानुमान है कि अब 120 सीटें आएंगी। वहीं कांग्रेस की सीटें 62 से घटकर 59 सीटें होने की संभावना है।
जब सर्वे में गुजरात के लोगों से पूछा गया कि नरेंद्र मोदी को पीएम बनना चाहिए तो 83 फीसदी लोगों का जवाब हां ही था।
महाराष्ट्र का हाल
महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार का प्रदर्शन भी औसत से ऊपर ही है। 57 फीसदी लोग मुख्यमंत्री के प्रदर्शन से खुश हैं तो 55 फीसदी लोग सरकार से खुश हैं।
कांग्रेस-एनसीपी में दरार पर जब पूछा गया कि क्या कांग्रेस−एनसीपी मिलकर चुनाव लड़ें, तब कांग्रेस के वोटरों में 58 फीसदी का जवाब हां में था, वहीं एनसीपी के वोटरों में इतने ही लोगों का जवाब न में था।
जब राज ठाकरे बनाम उद्धव ठाकरे के बारे में पूछा गया कि असली मराठी मानुष कौन है। तब एमएनएस के पक्ष में 49 फीसदी लोगों ने अपनी राय दी वहीं शिवसेना के पक्ष में 51 फीसदी लोग थे।
उधर, शिवसेना और एमएनएस के बीच में बीजेपी वोटरों का परेशान है। एमएनएस के साथ जाने के लिए 40 प्रतिशत लोग राय दे रहे हैं वहीं, शिवसेना के साथ जाने के लिए 60 प्रतिशत लोगों ने अपनी राय दी।
मध्यावधि चुनाव होने की सूरत में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 2009 की अपेक्षा 20 से बढ़कर 23 सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं इसके उलट कांग्रेस को 25 की स्थान पर 21 सीटों से संतोष करना पड़ेगा।
कर्नाटक का हाल
येदियुरप्पा बीजेपी के सिरदर्द बने हुए हैं? तीन में से एक बीजेपी मतदाता कहता है कि येदियुरप्पा को नई पार्टी बना लेनी चाहिए। दो में से एक बीजेपी मतदाता मानता है येदियुरप्पा के साथ अन्याय हुआ। सर्वे बता रहा है कि येदियुरप्पा के जाने से बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ेगा। 82 फीसदी लोगों की राय में येदियुरप्पा के जाने से बीजेपी का नुकसान होगा। कर्नाटक में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में 58 फीसदी लोग बीजेपी को और 42 फीसदी लोग कांग्रेस को भ्रष्ट मानते हैं।
सर्वे के मुताबिक यदि मध्यावधि चुनाव होते हैं तब कर्नाटक की 48 सीटें में से बीजेपी को 2009 में 19 के मुकाबले अब 12 सीटें ही मिल पाएंगी। वहीं, कांग्रेस पार्टी को इसका सीधा लाग मिलेगा और उसका ग्राफ छह से 11 तक पहुंच जाएगा। उधर, जेडीएस भी तीन के मुकाबले पांच सीटों पर आ जाएगी।
बता दें कि येदियुरप्पा लिंगायत हैं, सदानंद गौडा वोक्कालिंगा है। जेडीयू का प्रभाव वोक्कालिंगा पर रहता है। बीजेपी को लिंगायत ने सपोर्ट किया था। कर्नाटक विधानसभा की 90 सीटें लिंगायत प्रभाव वाली थीं। जेडीएस ने 26 में से 22 वोक्कालिंगा प्रभाव वाली सीटें जीत ली थीं। कांग्रेस को हर इलाके में वोट मिला था लेकिन सरकार से बाहर हो गई थी।
क्या प्रियंका गांधी को राजनीति में आना चाहिए?
देशभर में कांग्रेस वोटरों में 65 फीसदी लोगों का कहना है कि वह राजनीति में आएं। सर्वे बता रहा है कि प्रियंका गांधी हिन्दी पट्टी में काफी लोकप्रिय हैं। हिन्दी पट्टी के 80 फीसदी लोग प्रियंका गांधी को राजनीति में देखना चाहते हैं वहीं, बाकी भारत के 53 फीसदी लोग ऐसी राय रखते हैं।
सर्वे में एक प्रश्न यह भी था कि क्या भारत अमेरिका समर्थक हो?
इस प्रश्न के जवाब में 61 फीसदी लोगों ने हां कहा, वहीं 16 फीसदी लोग तटस्थ रहे। इसके अलावा 23 फीसदी लोगों ने अमेरिका के विरोध में मत दिया।
क्या पाकिस्तान से दोस्ती होनी चाहिए?
पाकिस्तान से दोस्ती के सवाल पर 43 फीसदी लोग सहमत दिखे तो 57 फीसदी इसे स्वीकारने में हिचके। इस मामले में राज्यवार अलग-अलग राय दिखी। महाराष्ट्र में 80 फीसदी लोग पाक विरोधी थे वहीं हरियाणा में 80 फिसदी लोग पाकिस्तान के समर्थन में भी थे। मध्य प्रदेश में 75 फीसदी विरोध में तो केरल में 77 फीसदी लोग समर्थन की बात कर रहे थे। उत्तर प्रदेश में 72 फीसदी विरोध में तो पंजाब में 72 फीसदी लोगों का पाक की ओर नरम रुख है। ऐसे गुजरात में 69 फीसदी लोगों की पाक के विरोध में स्वर निकलता है तो दिल्ली के 66 फीसदी लोग समर्थन की बात करते हैं।
क्या आतंकियों के आगे झुके भारत?
आतंकवादियों की मांगों के आगे झुकने के सवाल पर 84 फीसदी लोग कहते हैं कि हमें नहीं झुकना चाहिए।
आतंकवाद से लड़ने में केंद्र राज्यों से बेहतर?
लोगों का मत केंद्र के पक्ष में 69 फीसदी और राज्यों के पक्ष में 31 फीसदी है।
क्या भारत अंतरजातीय विवाहों से सहमत?
इसके अलावा एनडीटीवी-इप्सोस के सर्वे में सामाजिक सवाल भी पूछे गए। मंगलवार के पोल में आज के हिन्दुस्तान ने एकाकी की जगह संयुक्त परिवार को पसंद किया था। तो क्या यह हिन्दुस्तान अंतरजातीय विवाह को भी पसंद करता होगा? हमारे देश में अंतरजातीय विवाह का सबसे बड़ा प्रतीक कौन हो सकता है, जो आज के सामाजिक राजनीतिक जीवन में भी प्रासंगिक यानी महत्वपूर्ण है। संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की दूसरी पत्नी सविता अंबेडकर थीं। 1948 में डॉ अंबेडकर ने जाति से सारस्वत ब्राह्मण डॉ शारदा कबीर से शादी की थी। शादी के बाद शारदा सविता अंबेडकर बन गईं।
1936 में डॉ अंबेडकर ने जाति खत्म करने के लिए एक लेख में अंतरजातीय विवाह को रास्ता बताया था। हमारे सार्वजनिक जीवन अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह करने वाले कई जोड़े मिल जाएंगे। इनमें कई लोग फिल्म से हैं, राजनीति से हैं, खेल से हैं, लेकिन, आम लड़के-लड़कियां जब यह फैसला करते हैं, तो घर में कैसा कोहराम मचता होगा, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। कई लोग तो साहस ही नहीं कर पाते हैं।
इस प्रश्न का जवाब आज भी हताश करने वाला है। देश में अंतरजातीय विवाह के विरुद्ध 76 फीसदी लोग हैं। हरियाणा, राजस्थान में 90 फीसदी लोग इसके खिलाफ हैं। झारखंड, पश्चिम बंगाल में 57 फीसदी लोग राज़ी नहीं हैं। गुजरात की बेटियों में 94 फीसदी लोग इसके विरोध में हैं, तो बेटों में 77 फीसदी इससे सहमत नहीं हैं।
मोटापा बीमारी या खाते−पीते घर की निशानी?
मोटे यानी खाते−पीते एक−तिहाई भारतीय मानते हैं कि मोटा होना खाते−पीते घर का होने की निशानी है। महाराष्ट्र के 60 फीसदी, मध्य प्रदेश के 52, ओडिशा के 45 और पश्चिम बंगाल के 40 फीसदी लोग यही मानते हैं।
बॉलीवुड के पांच अब तक के सबसे अच्छे गाने कौन से हैं?
सर्वकालीन महानतम पांच फिल्मी गीतों में कुछ−कुछ होता है ने बाजी मारी है। फिर एक−दो−तीन, मुन्नी बदनाम हुई, जय हो और रूप तेरा मस्ताना क्रमश: आते हैं।
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