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This Article is From Jun 05, 2024

कल रखा जाएगा सुहाग की सलामती के लिए वट सावित्री का व्रत, जानें पूजन विधि, महत्व और भोग रेसिपी

Vat Savitri 2024: वट सावित्री व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं.

कल रखा जाएगा सुहाग की सलामती के लिए वट सावित्री का व्रत, जानें पूजन विधि, महत्व और भोग रेसिपी
Vat Savitri 2024: कल रखा जाएगा वट सावित्री का व्रत.

Vat Savitri Vrat 2024:  हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है. इस साल 6 जून गुरुवार को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा. सौभाग्य प्राप्ति के लिए वट सावित्री व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन ही सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण बचाए थे. इसलिए वट सावित्री व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं. इस दिन सुहागन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. तो चलिए जानते हैं पूजन सामग्री, महत्व और रेसिपी.

वट सावित्री स्पेशल रेसिपीज- (Vat Savitri Special Recipe)

वट सावित्री व्रत वाले दिन कई जगहों पर पूजन में गुलगुले बनाएं जाते हैं. गुलगुले बनाना बहुत ही आसान है, इन्हें मीठे पुए भी कहा है. यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी पॉपुलर हैं. गुलगले पूजा-पाठ और तीज के त्योहार पर ज्यादातर बनाए जाते हैं. गुलगुले बनाने के लिए आटा, सौंफ, गुड़ और घी की जरूरत होती है. इन सभी चीजों को मिलाकर एक बैटर तैयार किया जाता है और गुलगुले बनाकर डीप फ्राई किया जाता है. 

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वट वृक्ष का महत्व- Importance Of Vat Tree:

हिंदू धर्म के अनुसार, वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ देव वृक्ष माना जाता है. वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. ऐसा माना जाता है कि देवी सावित्री भी इस वृक्ष में निवास करती हैं. मान्यताओं के अनुसार, वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुन: जीवित किया था. तब से ये इसे वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है. 

वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री- (Vat Savitri Pujan Samagri)

इस दिन सुबह प्रातः जल्दी उठें और स्नान करें. स्नान के बाद व्रत करने का संकल्प लें. शृंगार करें, इस दिन पीला सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है. पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल, धूप, दीप, सुहाग का समान, धूप और बरगद का फल. सबसे पहले वट वृक्ष की पूजा करें. फिर सावित्री-सत्यवान की कथा सुने दूसरों को भी सुनाएं. और सूत से वट वृक्ष की परिक्रमा लगाएं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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