Festival List 2024: सनातन धर्म में हर साल सितंबर से लेकर नवंबर तक कई सारे त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें कुछ बहुत ही खास होते हैं. वैसे देखा जाए तो त्योहारों का सीजन अगस्त के महीने में रक्षाबंधन के साथ ही शुरू हो जाता है. वहीं हाल ही में देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया है. अगले महीने की बात करें तो सितंबर में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. जबकि अक्टूबर में नवरात्रि और दशहरे की धूम रहेगी. जबकि, नवंबर के शुरुआत में ही रोशनी का त्योहार दीपावली मनाया जाएगा. आइए जानते हैं आने वाले प्रमुख त्योहारों की लिस्ट, पूजा का शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी प्रमुख बातें.
साल 2024 के त्योहार (Festival List Of 2024)
1. हरतालिका तीज- (Hartalika Teej 2024)
हरतालिका तीज व्रत काफी खास माना गया है और यह निर्जला व्रत होने के कारण बहुत कठिन भी है. यह व्रत अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं रखती हैं. हरतालिका तीज का व्रत इस वर्ष 6 सितंबर को रखा जाएगा.
हरतालिका तीज पूजा का मुहूर्त-
इस तिथि की शुरुआत 5 सितंबर की दोपहर में 12 बजकर 22 मिनट पर होगी और इसका समापन 6 सितंबर की सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर होगा. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 01 मिनट से लेकर 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगा.
हरतालिका तीज पर इन चीजों का लगाएं भोग-
पूजा के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती को सूजी के हलवे का भोग लगाएं. इसके अलावा आप दूध और चावल से बनी खीर का भोग भी लगा सकते हैं. वहीं भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाएं क्योंकि मोदक भी उन्हें अति प्रिय है.
इस मंत्र का करें जाप-
नन्द-गोपसुतं देवि पतिं में कुरु ते नम:
-गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया
मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।
2. गणेश चतुर्थी- (Ganesh Chaturthi 2024)
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव शुरू होता है. इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर दिन शनिवार को पड़ रही है.
गणेश चतुर्थी पूजा का मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्थी के दिन गणपति जी की पूजा दिन में 11 बजकर 03 मिनट से कर सकते हैं यह मुहूर्त दोपहर में 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.
गणेश चतुर्थी पर इन चीजों का लगाएं भोग-
पूजा के दौरान भगवान गणेश को लड्डू का भोग लगाना चाहिए. आप बेसन या बूंदी से बने लड्डू का भोग लगा सकते हैं. इसके अलावा बप्पा को मोदक बहुत ही पसंद माने जाते हैं.
इस मंत्र का जाप करें-
ॐ गं गणपतये नम:।।
3. शारदीय नवरात्रि- (Sharadiya Navratri 2024)
हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्र मनाया जाता है. इस वर्ष शारदीय नवरात्र 03 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर तक मनाया जाएगा.
शारदीय नवरात्रि पूजा का मुहूर्त-
प्रतिपदा तिथि 03 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 04 अक्टूबर को देर रात 02 बजकर 58 मिनट पर होगा. हिंदू कैलेंडर के सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है. अतः गुरुवार 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी.
शारदीय नवरात्रि पर इन चीजों का भोग लगाएं-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता को खीर पूरी और चने का भोग सबसे अधिक पसंद होता है. ऐसे में आप इसका भोग लगा सकते हैं. इसके अलावा हलवा पूरी का भोग भी लगा सकते हैं.
इस मंत्र का जाप करें-
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
4. दशहरा पर्व- (Dussehra Date 2024)
यह पर्व नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव के समापन अवसर पर मनाया जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह अश्विन महीने की दशमी तिथि के दिन पड़ता है. इस साल दशहरा शनिवार, 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
दशहरा पूजा का मुहूर्त-
दशमी तिथि का प्रारंभ 12 अक्टूबर शनिवार सुबह 10:58 बजे से होगा और इसका समापन 13 अक्टूबर 2024 रविवार सुबह 09:08 बजे होगा. पूजा का समय दोपहर 01:17 बजे से 03:35 बजे तक रहेगा.
दशहरा पूजा पर इन चीजों का भोग लगाएं-
इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम की पूजा करने के दौरान उन्हें कई तरह के भोग लगाए जाते हैं. आप मखाना खीर का भोग भी लगा सकते हैं.
इस मंत्र का जाप करें-
ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्॥
ॐ ह्रां ह्रीं रां रामाय नमः॥
5. धनतेरस- (Dhanteras Puja Date 2024)
दीपावली से दो दिन पहले धन तेरस का त्योहार आता है और इस साल यह पर्व 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार को मनाया जाएगा.
पूजा का मुहूर्त
धनतेरस पर पूजा का मुहूर्त 29 अक्टूबर की शाम 06 बजकर 30 मिनट से रात 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगा.
इन चीजों का भोग लगाएं-
धनतेरस के दिन आप दूध और चावल की खीर का भोग लगा सकते हैं. इसके अलावा गुड़ और घी से बनी लपसी का भोग महालक्ष्मी को लगा सकते हैं.
इस मंत्र का जाप करें-
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः ।।
6. दीपावली- (Dipawali Date 2024)
दीपावली का पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है.
दीपावली पूजा मुहूर्त-
इस साल दिवाली या दीपावली 1 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी. दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन मुहूर्त शाम 05 बजकर 35 मिनट से 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगा.
दीपावली पर इन चीजों का भोग लगाएं-
मां लक्ष्मी को खीर बहुत प्रिय है, इसलिए दिवाली के दिन उन्हें दूध और चावल से बनी खीर का भोग जरूर लगाना चाहिए. इसके अलावा आप मां लक्ष्मी को हलवा और मखाने का भोग भी लगा सकते हैं.
इस मंत्र का जाप करें-
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम: ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी,
महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा.
7. भाई दूज- (Bhai Dooj 2024)
भाई दूज का पर्व होली और दीपावली के बाद मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार दीवाली के बाद आने वाला भाईदूज का पर्व कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को मनाया जाता है.इस साल यह पर्व 3 नवंबर 2024, रविवार को मनाया जाएगा.
भाई दूज पूजा का मुहूर्त-
इस वर्ष भाई दूज पर पूजा का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से दोपहर 03 बजकर 21 मिनट तक रहेगा.
इन चीजों का भोग लगाएं-
इस दिन आप कोई भी मिठाई बना सकते हैं. इसके अलावा बाजार से लड्डू या मेवा को भोग के रूप में ला सकते हैं.
इस मंत्र का जाप करें-
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को।
सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।।
8. देवउठनी एकादशी- (Devuthani Ekadasi 2024)
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है. ये एकादशी साल की सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है. इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु 4 महीने की लंबी योगनिद्रा से जागते हैं. इस वर्ष 12 नवंबर को देव उठनी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है.
देवउठनी एकादशी पूजा का मुहूर्त-
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को संध्याकाल 04 बजकर 04 मिनट पर इसका समापन होगा. इस प्रकार 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है.
देवउठनी एकादशी इन चीजों का भोग लगाएं-
भगवान विष्णु को एकादशी तिथि पर पंचामृत का भोग अवश्य लगाना चाहिए. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
इस मंत्र का जाप करें-
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।। मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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