Gulab Jamun ko Sanskrit me Kya Kehte hai: त्योहारों का मौसम और इसके साथ होता है मीठे का आगाज. भारतीय त्योहारों में मिठाई की एक खास ही पहचान होती है. कोई भी खुशी हो या सेलीब्रेशन मुंह मीठा किए बिना सब अधूरा रहता है. मौका चाहे जो भी हो बात जब मीठे की आती है तो गुलाब जामुन को कोई कैसे भूल सकता है. गरमा-गरम समोसे चाशनी में डूबे हुए भला किसे पसंद नहीं होते हैं. इस आर्टिकल को पढ़ते हुए आपका मन भी इसको खाने का कर ही गया होगा! अब बात जब गुलाब जामुन की हो रही है तो आपको इससे जुड़ी एक बेहद मजेदार बात भी बता देते हैं.
हम सभी जानते हैं कि दुनिया में शब्दों और भाषाओं का खेल है. एक ही चीज को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है. उसी तरह गुलाब जामुन के साथ भी है. क्या आपने कभी सोचा है कि आपके इस पसंदीदा रसगुल्ले को संस्कृत में क्या कहते हैं?
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संस्कृत भाषा का इस्तेमाल प्राचीन समय से होता आ रहा है. यहां तक की कुछ ग्रंथ भी संस्कृत में लिखे हुए हैं. हालांकि समय के साथ इसका उपयोग कम हो गया है. लेकिन आज के समय में भी कुछ ऐसे शब्द हैं जो संस्कृत भाषा से जुड़े हुए हैं. गुलाब जामुन के इतिहास की बात करें तो रिपोर्ट्स की मानें तो इसकी शुरुआत पर्शिया में हुई थी. तब इसे लुकमत-अल-कादी के नाम से जाना जाता था. वहीं बात करें संस्कृत की तो गुलाब जामुन को संस्कृत में 'दुग्धपूपिका' कहते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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