
न्यूयार्क:
पूरी नींद और एक सप्ताह में पूरी तरह से की गई एक्सरसाइज़ से स्ट्रोक का रिस्क काफी कम हो जाता है। एक नए शोध से यह बात सामने आई है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि सात से आठ घंटे की औसत नींद और सप्ताह में तीन से छह बार 30 से 60 मिनट की एक्सरसाइज़ वयस्कों में स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकता है। लेकिन ज़्यादा या कम नींद से स्ट्रोक के मरीजों मे जोखिम बढ़ सकता है।
निष्कर्ष बताते हैं कि औसत नींद (7-8 घंटे) लेने वालों को आघात (स्ट्रोक) का खतरा 25 प्रतिशत कम होता है। लंबी नींद (8-9 घंटों से ज़्यादा) लेने वालों को 146 प्रतिशत आघात का खतरा अधिक होता है।
वहीं कम नींद (सात घंटे से कम) लेने वालों को 22 प्रतिशत अधिक आघात का खतरा होता है।
शोधकर्ताओं ने साल 2004-2013 के बीच हुए सर्वे में प्रतिभागियों के हेल्थ, लाइफस्टाइल, डेमोग्राफिक और अन्य फैक्टर को कम्प्यूटर से जांचा गया।
शोधकर्ताओं ने इस दौरान औसत और कम नींद का समय, व्यायाम, तैराकी, साइकिल चलाना आदि से आघात पर पड़ने वाले प्रभावों की भी जांच की।
यह शोध अमेरिका में आयोजित "अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन इंटरनैशनल स्ट्रोक कांफ्रेंस 2016" में प्रस्तुत किया गया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
निष्कर्ष बताते हैं कि औसत नींद (7-8 घंटे) लेने वालों को आघात (स्ट्रोक) का खतरा 25 प्रतिशत कम होता है। लंबी नींद (8-9 घंटों से ज़्यादा) लेने वालों को 146 प्रतिशत आघात का खतरा अधिक होता है।
वहीं कम नींद (सात घंटे से कम) लेने वालों को 22 प्रतिशत अधिक आघात का खतरा होता है।
शोधकर्ताओं ने साल 2004-2013 के बीच हुए सर्वे में प्रतिभागियों के हेल्थ, लाइफस्टाइल, डेमोग्राफिक और अन्य फैक्टर को कम्प्यूटर से जांचा गया।
शोधकर्ताओं ने इस दौरान औसत और कम नींद का समय, व्यायाम, तैराकी, साइकिल चलाना आदि से आघात पर पड़ने वाले प्रभावों की भी जांच की।
यह शोध अमेरिका में आयोजित "अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन इंटरनैशनल स्ट्रोक कांफ्रेंस 2016" में प्रस्तुत किया गया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं