Indian Superfoods: भारत विविधताओं का देश है. यहां हर राज्य, हर गांव और हर घर की रसोई में कुछ न कुछ ऐसा भोजन मिलता है, जिसे हमारे पूर्वज सदियों से खाते आए हैं. मजेदार बात यह है कि जिन चीजों को हमारे गांवों में रोजमर्रा की डाइट का हिस्सा माना जाता है, वही चीजें शहरों में सुपरफूड बनकर लाइमलाइट चुरा रही हैं. शहरों में लोग इनके फायदे गूगल पर खोजकर सप्लीमेंट, कैप्सूल या महंगे पैकेज खरीदते हैं, जबकि गांवों के लोग इन्हें रोज चुपचाप खाकर शरीर मजबूत, इम्युनिटी दुरुस्त और उम्र लंबी बना लेते हैं.
तो आइए आज नेशनल हेल्थ सेंटीमेंट के साथ जानते हैं ऐसे 5 भारतीय सुपरफूड्स के बारे में जो गांव वालों की थाली में रोज होते हैं, लेकिन शहरों में ट्रेंड बनकर वायरल होते हैं.
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1. मंडुवा/रागी (उत्तराखंड और दक्षिण भारत का कैल्शियम किंग)
रागी को गांवों में मंडुवा कहा जाता है. इसमें कैल्शियम, फाइबर और प्लांट-प्रोटीन इतना ज्यादा होता है कि यह हड्डियों को मजबूत बनाने का सबसे सस्ता और असरदार जरिया है. शहरों में इसे 200 रुपये किलो के स्पेशल पैक में बेचा जाता है, जबकि गांवों में इसे रोटी, खिचड़ी और लड्डू के रूप में रोज खाया जाता है.
फायदे:
- हड्डियों और जोड़ों को मजबूत.
- डायबिटीज और मोटापे में सहायक.
- भूख कंट्रोल में मददगार.
2. चौलाई/अमरनाथ लीफ (पहाड़ी एनर्जी फूड)
उत्तर भारत के गांवों में चौलाई का साग आम बात है, लेकिन न्यूट्रिशन साइंस इसे आयरन, प्रोटीन का पावरहाउस कहता है. यह खून बढ़ाने, एनर्जी देने और इम्युनिटी मजबूत करने में जबरदस्त प्रभावी है.
फायदे:
- एनीमिया दूर करने में मददगार.
- एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर.
- त्वचा और बालों के लिए लाभकारी.
3. गोंद (दादी का एनर्जी बूस्टर)
गोंद के लड्डू गांवों में सर्दियों का सुपरफूड हैं. यह हड्डियों, मांसपेशियों और कमर दर्द में राहत देने के लिए जाना जाता है. जिम जाने वाले युवा इसे आज फिर खोज रहे हैं, जबकि गांवों में यह हमेशा से नेचुरल प्रोटीन सप्लीमेंट रहा है.
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फायदे:
- महिलाओं में कमजोरी दूर.
- जोड़ों के दर्द में राहत.
- पाचन और स्टेमिना बढ़ाए.
4. काला चना (गरीबों का प्रोटीन, अमीरों का सुपरफूड)
शहरों में प्रोटीन पाउडर का ट्रेंड है, गांवों में काला चना रोज की थाली. इसमें फाइबर, आयरन और प्रोटीन भरपूर है, जो पेट भरता है और ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है.
फायदे:
- वजन घटाने में मदद.
- शुगर लेवल बैलेंस.
- पाचन मजबूत.
5. कोदो-कुटकी (पुराने समय का मिलेट, आज का सुपरफूड)
मिलेट मिशन के आने के बाद ये अनाज फिर सुर्खियों में हैं. गांवों में इन्हें चावल की जगह खाया जाता है. ये शरीर को धीरे-धीरे ऊर्जा देते हैं और पेट भरा रखते हैं.
फायदे:
- डायबिटीज फ्रेंडली.
- पेट हल्का व डाइजेशन बेहतर.
- दिल की सेहत सुरक्षित.
भारत के गांवों में सुपरफूड्स ट्रेंड नहीं, परंपरा हैं. शहरों में जिन्हें महंगे पैकेजिंग और ग्लॉसी विज्ञापन के साथ बेचा जाता है, गांवों में उन्हें बिना किसी शो-ऑफ के रोज खाया जाता है. अगर आप सच में हेल्थ को बूस्ट करना चाहते हैं, तो बस Google को नहीं, दादी की रसोई को फॉलो कीजिए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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