विज्ञापन
This Article is From Feb 07, 2017

एनएसडी में आने के बाद मेरी बोलती बंद हो जाती है : एक्टर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी

एनएसडी में आने के बाद मेरी बोलती बंद हो जाती है : एक्टर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने मायापुरी में नसीरुद्दीन शाह का इंटरव्य पढ़कर एक्टर बनाने का फैसला किया था.
नई दिल्ली: 'एनएसडी में आने के बाद मेरी बोलती बंद हो जाती है' यह कहना था एनएसडी पासआउट और अब हिंदी सिनेमा के चर्चित अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का. जब वो एनएसडी में भारत रंग महोत्सव के दौरान एक सत्र में दर्शको, पत्रकारों और छात्रों से संवाद करने पहुंचे थे. एनएसडी में चल रहे थिएटर के सालाना जलसे 'भारत रंग महोत्सव' में दर्शकों का सूखा तब समाप्त हुआ जब नवाज़ुद्दीन एक सत्र में एनएसडी पहुंचे. उनको देखने, उनसे बात करने के लिए दर्शकों का हुजूम उमड़ पड़ा जो बाद में नाटक देखने सभागारों तक भी पहुंचा. खुद नवाज़ुद्दीन एनएसडी निदेशक वामन केंद्रे का नाटक 'मोहे पिया' देखने के लिए कमानी सभागार में गए.

इस मौके में दर्शकों, अध्यापकों, एनएसडी के छात्रों ने उनके अभिनय, संघर्ष और आगे की योजनाओं नवाज़ से खूब सवाल पूछे. 'गैंग ऑफ़ वासेपुर' के फैज़ल खान ने बारी-बारी से सबका जवाब दिया.

नवाज़ ने मायापुरी में नसीरुद्दीन शाह का इंटरव्य पढ़कर एक्टर बनाने का फैसला किया था. अभिनय की यात्रा में लखनऊ, दिल्ली होते हुए मुंबई तक पहुंचे. एनएसडी इसमें एक महत्वपूर्ण पड़ाव था, जहां अभिनय की बारीकियां सीखीं. सीखने के अनुभव को बताते हुए कहा कि 'मुझे एक्टिंग के अलावा सारे सब्जेक्ट बहुत बोरिंग लगते थे. स्टेज-क्राफ्ट सबसे बोरिंग लगता था और योगा सबसे अच्छा क्योंकि उसमें सोया जा सकता था'. एनएसडी की ट्रेनिंग से मिला आत्मविश्वास नवाज़ के आगे काम आया. 'थियेटर ने हमेशा मेरे अंदर आत्मविश्वास का संचार किया है. जब मेरे बुरे दिन थे और मैं सिनेमा के लिए संघर्ष कर रहा था, तब भी मुझे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से ही ताकत मिलती थी.   

अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए नवाज़ ने कहा कि 'एनएसडी से पासआउट होने के बाद जब मैं मुंबई गया तो मुझे पांच-छह साल तक सारी फिल्मों में केवल एक-एक सीन मिलते रहे. इन सींस में मैं ज्यादातर पीटा जाता था. मैं एनएसडी से हूं, एक ट्रेंड एक्टर हूं. इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था. फिर मुझे दो-दो सीन मिलने लगे और फिर आया साल 2012 और मेरी चार फिल्में  'गैंग्स ऑफ वासेपुर' (1 और 2, 'कहानी' और तलाश. 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के आखिरी सीन में सात-आठ सौ गोलियां चलाकर मैंने अपने इन बुरे दिनों की भड़ास निकाली.'

और जब कामायाबी मिली तो अपने लिए दूसरों के बदलाव को भी महसूस किया. 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से पहले मुंबई का कोई टेलर मेरा सूट सिलने को तैयार नहीं था. उन्हें यकीन ही नहीं होता था कि मेरी फिल्म कान में जा सकती है. मैंने बड़ी मुश्किल से वहां जाने के लिए एक सूट सिलवाया. बाद में कई डिजायनर मेरे आगे-पीछे घूमने लगे. लेकिन बाद में भी मैं वही पुराना वाला सूट पहनकर गया'. एक दर्शक ने जिक्र भी किया कि नवाज़ की फिल्म ‘रमन राघव 2.0’ को देखने के लिये कान में लंबी लाइन लगी थी.   

शॉर्टफिल्म ‘बाइपास’ में नवाज़ के सह अभिनेता और शिक्षक रहे सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ ने पूछा कि ‘बाइपास’ को कितना याद करते हैं? तो नवाज़ ने कहा कि 'बाइपास'ही वो फ़िल्म थी जिसे दिखाकर वो काम मांग सकते थे. संघर्ष से ऊब कर कुछ और चुनने के सवाल पर नवाज़ का जवाब था 'मैं ये फील्ड कैसे छोड़ता, जब मुझे और कुछ आता ही नहीं है.' रंगमंच के बारे में पूछने पर उन्होंने बेबाकी से कहा कि 'वे बहुत दिनों से रंगमंच से दूर हैं इसलिए वे अभी के रंगमंच के बारे में ज्यादा नहीं जानते. लेकिन रंगमंच करना चाहते हैं. दो सालों तक उनके पास फिल्में हैं उसके बाद वे रंगकर्म कर सकते हैं'. अंत में एनएसडी निदेशक वामन केंद्रे ने उनसे एनएसडी के छात्रों के बीच आकर उन्हें सिखाने का वादा लिया.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, एनएसडी में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, गैंग्स ऑफ वासेपुर, Nawazuddin Siddiqui, Nawazuddin Siddiqui At NSD, NSD Director Waman Kendre, Gangs Of Wasseypur, Bharat Rang Mahotsav, भारत रंग महोत्सव
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com