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This Article is From Jun 24, 2012

कठिन है भारतीय नृत्य को बढ़ावा देना : रेमो

मुम्बई: भारतीय युवाओं की पश्चिमी नृत्य शैलियों जैसे बी-बोइंग, हिप-हॉप और जैज में बढ़ती रूचि और भारतीय शास्त्रीय शैलियों में घटती दिलचस्पी से नृत्य निर्देशक रेमो डिसुजा खासे दुखी हैं। उनकी राय में भारतीय नृत्य को बढ़ावा देना काफी कठिन हो गया है। उन्होंने दुख प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें छऊ नृत्य पर आधारित अपनी बांग्ला फिल्म के लिए कोई वितरक नहीं मिला।

रेमो ने बताया, "समय बदल चुका है। लोग मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि मेरा बेटा नर्तक बने। हमने कभी भी ऐसा नहीं किया। मेरे समय में अगर मैं अपने पिता को कहता था कि मैं नर्तक बनना चाहता हूं, तो वह मुझे थप्पड़ लगा देते थे। यह बहुत बड़ा बदलाव है।" उन्होंने कहा, "हम भारतीय नृत्य को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि लोग, अधिकतर युवा इसे देखना नहीं चाहते। वे पश्चिमी शैली के नृत्यों को अधिक वरीयता देते हैं।"

अपने निर्देशन में बनी बांग्ला फिल्म 'लाल पहाड़ेर कथा' के बारे में रेमो ने बताया, "मैंने छऊ नृत्य पर आधारित अपनी पहली बांग्ला फिल्म का निर्माण किया। यह नृत्य एक पारम्परिक जनजातीय नृत्य शैली है। मैंने फिल्म के लिए अमेरिका, जर्मनी और अन्य देशों में खासी प्रशंसा पाई, लेकिन भारत में किसी ने इसे प्रदर्शित नहीं किया क्योंकि कोई भी इसे देखना नहीं चाहता।"

वैसे वह इस बात से खासे खुश हैं कि 'झलक दिखला जा' का पांचवां संस्करण सभी नृत्य शैलियों में अच्छा तालमेल स्थापित करेगा।

रेमो इस शो में अभिनेत्री माधुरी दीक्षित और फिल्म निर्माता करण जौहर के साथ जज की जिम्मेदारी सम्भाल रहे हैं।

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भारतीय नृत्य, Indian Dance, रेमो, Remo
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