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फिल्म की कहानी अच्छी और अलग है... कैमरे का इस्तेमाल भी ढंग से किया गया है... कुछ मिलाकर डायरेक्टर अमोल शेटगे का काम अच्छा रहा...
आगे क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी, लेकिन फिल्म आपको बांधे रख सकती है... महेश मांजरेकर का अभिनय कमाल का है... अभिनय में दूसरे नंबर पर रहीं तृप्ता पाराशर, लेकिन काम संध्या मृदुल और कमल सिद्धू का भी अच्छा है... मुझे लगता है कि सयाली भगत को कुछ और मेहनत करने की ज़रूरत थी...
फिल्म की कहानी अच्छी और अलग है... कैमरे का इस्तेमाल भी ढंग से किया गया है, लेकिन फिल्म में कुछ खामियां भी हैं... मसलन, कुछ सीन में डायलॉगबाज़ी कुछ ज़्यादा ही नज़र आती है... फिल्म के एक-एक सीन को मल्टी कैमरे के साथ शूट किया गया है और अंत तक आते-आते फिल्म लंबी लगने लगती है... कुल मिलाकर डायरेक्टर अमोल शेटगे का काम अच्छा रहा... मेरी ओर से फिल्म की रेटिंग है - 3 स्टार...
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