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This Article is From Apr 08, 2016

बेहतरीन एक्‍शन सीक्वेंस...'द जंगल बुक' आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है...

बेहतरीन एक्‍शन सीक्वेंस...'द जंगल बुक' आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है...
'द जंगल बुक' यह नाम है इस हफ्ते रिलीज़ हुई फिल्म का। ये वही जंगल बुक है जिसे हम दूरदर्शन पर 90 के दशक में देख चुके हैं। फर्क बस इतना है कि इस बार मोगली कोई एनिमेटेड कैरेक्टर नहीं बल्कि एक जीता-जागता बच्चा है और इस लाइव एक्शन फिल्म में यह किरदार हिंदुस्तानी मूल के अमेरिकन बच्चे नील सेठी ने निभाया है।...हां नील के अलावा जो भी जानवरों के किरदार आप देखेंगे, उन्‍हें जरूर कंप्यूटर ग्राफिक्स की मदद से तैयार किया गया है। उन्हें फिल्म के इंग्लिश संस्करण के लिए आवाज़ दी है हॉलीवुड के बेन किंग्सले, बिल मुरे, इदि्रस एल्बा और स्कॉलेट जॉनसन सरीखे मशहूर एक्टरों ने,  वहीं हिंदी के लिए बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर, इरफान खान और प्रियंका चोपड़ा ने किरदारों को आवाज़ दी है।

'द जंगल बुक' रुडयार्ड किपलिंग की कहानी पर आधारित है और इसे जॉन फैबरू ने डायरेक्ट किया है। अगर आपने एनिमेशन फिल्म 'जंगल बुक' देखी है तो आपको याद होगा कि जंगल में मोगली,  बघीरा को मिलता है और फिर भेड़ियों का एक झुंड मोगली को पाल-पोस कर बड़ा करता है। फिर एक दिन शेर खान यानी शेर की नज़र मोगली पर पड़ती है  जिसे मारकर वह इंसानो से अपना बदला लेना चाहता है। ऐसे में मोगली को बचाने के लिए भेड़िये, भालू, बघीरा सरीखे उसके सारे दोस्त शेर खान से भिड़ जाते हैं।

यही कहानी है 'द जंगल बुक' में । इसकी खूबियों और कमियों की बात करता हूं...पर इस फिल्म में कुछ ज्यादा कमियां नज़र नहीं आईं। अगर कुछ लगीं भी तो उससे पहले ये लगा कि मैं बच्चों के लिए बनी फिल्म देख रहा हूं और वह भी उम्र के इस पड़ाव पर। मुझे इससे उम्र की धूल साफ कर लेनी चाहिए और सच भी यही है कि कमियां सिर्फ गिनाने भर को ही हैं। मसलन मुझे लगा मोगली, शेर खान से बचने के लिए जब इंसानों की बस्ती की ओर निकलता है तो रास्ते में उसका सामना अलग-अलग किरदारों से होता है और थोड़ी देर के लिए लगता है कि आप सीरियल के अलग-अलग एपिसोड से गुज़र रहे हैं।

पर ऐसा नहीं है कि आप इससे बोर होते हैं या स्क्रीनप्ले में इससे झटका लगता है...बल्कि आप एक दुनिया से दूसरी दुनिया में घुसते चले जाते हैं। 'द जंगल बुक' का मैंने इंग्लिश वर्जन मैंने आईमैक्स थ्री डी में देखा और ये अनुभव कमाल का था। कम्प्यूटर ग्रफिक्स से रचे गए सारे किरदार बिल्कुल एक ट्रेंड एक्टर की तरह आपको भावनात्मक सफर पर ले जाते हैं और ऊपर से सोने पर सुहागा है उन एक्टर्स की आवाज़। जिन्होंने इन किरदारों को आवाज़ दी है,  इनमें मेरे फेवरेट रहे बिल मुर्रे, बेन किंग्सले और शेर खान। यहां तक कि छोटे-छोटे किरदार भी कुछ पल के लिए आते हैं और आपको मुस्कान दे जाते है। फिल्म के कई एक्शन सीन आपकी कल्पना से परे हैं। मिसाल के तौर पर जब वानर सेना मोगली को किंग लोई तक पहुंचाती है या फिर क्लाइमैक्स में मोगली और शेर खान की भिड़ंत....इसके अलावा वो सीक्वेंस जहां मोगली शेर खान से बचने के लिए भैंसों का सहारा लेता है।

हॉलीवुड के स्टूडियो में एक जंगल की रचना करना वाकई काबिले तारीफ है और ऊपर से हैरान कर देने वाले एक्शन सीक्वेंस..। इस फिल्म की एक और खास बात जो मुझे अच्छी लगी वह यह कि निर्देशन को लेकर फिल्म में रूडयार्ड किपलिंग की कहानी से ज्यादा भटकाव नहीं है। उन्होंने असल कहानी को ही बड़े पर्दे पर उतारा है। साथ ही एक और बात मैंने सुनी है कि हिंदी संस्करण के लिए भी बॉलीवुड एक्टर्स ने फिल्म के किरदारों को आवाज़ देकर कमाल का काम किया है। इसका हिंदी वर्ज़न मुझे देखना है पर फिलहाल मैं इस फिल्म को दे रहा हूं चार स्टार।

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