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रिव्यू: ‘सन ऑफ सरदार 2’ – कॉमेडी में दम है या बस शोर?

‘सन ऑफ सरदार 2’ की कहानी पंजाब के एक सीधे-सादे आदमी (अजय देवगन) की है, जो अपनी मां (डोली आलूवालिया) के साथ रहता है जबकि उसकी पत्नी (नीरू बाजवा) कई सालों से लंदन में है.

रिव्यू: ‘सन ऑफ सरदार 2’ – कॉमेडी में दम है या बस शोर?
रिव्यू: ‘सन ऑफ सरदार 2’ – कॉमेडी में दम है या बस शोर?
नई दिल्ली:

निर्देशक: विजय कुमार अरोड़ा
लेखक: जगदीप सिंह सिद्धू, मोहित जैन
कास्ट: अजय देवगन, मृणाल ठाकुर, नीरू बाजवा, रवि किशन, दीपक डोबरियाल, कुंभा सेठ, चंकी पांडे, शरद सक्सेना, मुकुल देव, विंदू दारा सिंह, रोशनी वालिया, संजय मिश्रा, अश्विनी कालसेकर, साहिल मेहता, डोली आलूवालिया

कहानी

‘सन ऑफ सरदार 2' की कहानी पंजाब के एक सीधे-सादे आदमी (अजय देवगन) की है, जो अपनी मां (डोली आलूवालिया) के साथ रहता है जबकि उसकी पत्नी (नीरू बाजवा) कई सालों से लंदन में है. अजय अपनी पत्नी को वापस लाने की कोशिश करता है, लेकिन जब वह लंदन पहुंचता है तो उसे झटका लगता है पत्नी अब किसी और के साथ रिश्ते में है. वह दुखी होकर लौटता है, लेकिन रास्ते में उसका सामना होता है पाकिस्तानी मूल के एक बैंड ग्रुप से, जिनके साथ वह अनजाने में जुड़ जाता है.

यह ग्रुप नाच-गाने वाला है और इसकी सदस्य हैं मृणाल ठाकुर (जो चंकी पांडे की बीवी बनी हैं) और रोशनी वालिया (जो चंकी की सौतेली बेटी हैं). रोशनी को एक भारतीय लड़के से प्यार हो जाता है जो एक पारंपरिक और सम्मानित परिवार से आता है. ये परिवार जिसका नेतृत्व करते हैं शरद सक्सेना, रवि किशन, मुकुल देव और विंदू दारा सिंह पाकिस्तानियों से नफरत करता है और चाहते हैं कि उनकी बहू किसी ‘इज़्ज़तदार' घर से हो. अब सवाल ये है क्या ये शादी हो पाएगी?


कमजोरियां
    •    स्क्रिप्ट सबसे बड़ी समस्या है. जो मज़ा ‘सन ऑफ सरदार' (2012) में था, वो यहां ग़ायब है.
    •    फिल्म स्लैपस्टिक कॉमेडी पर निर्भर करती है चेहरे बनाना, ज़ोर से गिरना, हड़बड़ाना, लेकिन सिचुएशनल कॉमेडी कम ही नजर आती है.
    •    एडिटिंग कई जगह बेहद असहज है. कुछ कट्स बहुत अचानक लगते हैं.
    •    इतने सारे कलाकारों के बावजूद कोई ठोस तालमेल या मज़बूत कॉमिक टाइमिंग नहीं बन पाती.
    •    गाने याद नहीं रहते, सिवाय शायद ‘ऐनक वाला' गाने के.

खूबियां
    •    मृणाल ठाकुर ने बहुत सधा हुआ अभिनय किया है ना ज़रूरत से ज़्यादा, ना कम.
    •    दीपक डोबरियाल को फीमेल किरदार में देखकर चौंकना भी है और मुस्कुराना भी.
    •    अजय देवगन और बाकी कलाकारों ने भी ठीक-ठाक अभिनय किया है किसी ने ज़्यादा ओवर नहीं किया और सबने अपनी-अपनी भूमिका निभाने की ईमानदार कोशिश की है.
    •    फिल्म की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, लंदन के लोकेशन और भव्य सेट्स स्क्रीन पर अच्छे लगते हैं.
    •    कुछ दृश्य ऐसे हैं जहां हल्की-फुल्की हँसी आ सकती है, विशेषकर दर्शकों की निजी पसंद के अनुसार.

निष्कर्ष

‘सन ऑफ सरदार 2' एक मसाला एंटरटेनर बनने की कोशिश करती है लेकिन कमज़ोर स्क्रिप्ट, बिखरी हुई एडिटिंग और सतही हास्य के कारण प्रभाव नहीं छोड़ पाती. यह उन दर्शकों के लिए हो सकती है जो बिना लॉजिक की चिंता किए केवल अपने फेवरेट सितारों को देखना चाहते हैं और थोड़ी-बहुत हंसी में संतुष्ट हो जाते हैं. अगर आप अजय देवगन और मृणाल ठाकुर के फैन हैं, तो एक बार देख सकते हैं वरना ओटीटी पर आने का इंतज़ार कर सकते हैं.

फिल्म को 2.5 स्टार.
 

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