
फाइल फोटो
जेल अधीक्षक योगेश देसाई ने 53 वर्षीय अभिनेता से पैरोल के लिए आवेदन मिलने की पुष्टि करते हुए बीमारी के बारे में बताने से इनकार कर दिया जिसका वह उपचार कराना चाहते हैं।
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पुणे:
वर्ष 1993 के बंबई विस्फोट मामले में 42 महीने की सजा भुगत रहे अभिनेता संजय दत्त ने एक अज्ञात बीमारी के उपचार के लिए पैरोल की मांग की है। यह जानकारी मंगलवार को यरवदा जेल के अधिकारियों ने दी।
सूत्रों ने कहा कि दत्त ने करीब 20 दिन पहले आवेदन सौंपा जिस पर प्रक्रिया जारी है।
जेल अधीक्षक योगेश देसाई ने 53 वर्षीय अभिनेता से पैरोल के लिए आवेदन मिलने की पुष्टि करते हुए बीमारी के बारे में बताने से इनकार कर दिया जिसका वह उपचार कराना चाहते हैं।
देसाई ने कहा, ‘हमने उनके पैरोल के आवेदन को डिविजनल आयुक्त को भेज दिया है। डिविजनल आयुक्त संबंधित थाने से विस्तृत रिपोर्ट हासिल करेंगे और फिर आवेदन पर विचार करेंगे। पैरोल देते वक्त संजय दत्त के व्यवहार पर भी विचार किया जाएगा।’’
टाडा अदालत ने अभिनेता को नौ एमएम की पिस्तौल और एक एके-56 राइफल अवैध रूप से रखने के लिए सजा सुनाई। ये हथियार मार्च 1993 में सिलसिलेवार विस्फोट करने के उद्देश्य से लाए गए हथियारों के खेप में थे। विस्फोट में 257 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।
उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष मार्च में आर्म्स एक्ट के तहत उनकी सजा बरकरार रखी, लेकिन सजा की अवधि को छह वर्ष से कम कर पांच वर्ष कर दी।
उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले वह डेढ़ वर्ष की कैद काट चुके हैं और शेष 42 महीने के सजा काटने के लिए जेल में बंद हैं।
टाडा अदालत में आत्मसमर्पण करने के बाद दत्त को 16 मई को मुंबई के आर्थर रोड जेल में भेजा गया और छह दिन बाद यरवदा जेल में भेज दिया गया।
सूत्रों ने कहा कि दत्त ने करीब 20 दिन पहले आवेदन सौंपा जिस पर प्रक्रिया जारी है।
जेल अधीक्षक योगेश देसाई ने 53 वर्षीय अभिनेता से पैरोल के लिए आवेदन मिलने की पुष्टि करते हुए बीमारी के बारे में बताने से इनकार कर दिया जिसका वह उपचार कराना चाहते हैं।
देसाई ने कहा, ‘हमने उनके पैरोल के आवेदन को डिविजनल आयुक्त को भेज दिया है। डिविजनल आयुक्त संबंधित थाने से विस्तृत रिपोर्ट हासिल करेंगे और फिर आवेदन पर विचार करेंगे। पैरोल देते वक्त संजय दत्त के व्यवहार पर भी विचार किया जाएगा।’’
टाडा अदालत ने अभिनेता को नौ एमएम की पिस्तौल और एक एके-56 राइफल अवैध रूप से रखने के लिए सजा सुनाई। ये हथियार मार्च 1993 में सिलसिलेवार विस्फोट करने के उद्देश्य से लाए गए हथियारों के खेप में थे। विस्फोट में 257 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।
उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष मार्च में आर्म्स एक्ट के तहत उनकी सजा बरकरार रखी, लेकिन सजा की अवधि को छह वर्ष से कम कर पांच वर्ष कर दी।
उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले वह डेढ़ वर्ष की कैद काट चुके हैं और शेष 42 महीने के सजा काटने के लिए जेल में बंद हैं।
टाडा अदालत में आत्मसमर्पण करने के बाद दत्त को 16 मई को मुंबई के आर्थर रोड जेल में भेजा गया और छह दिन बाद यरवदा जेल में भेज दिया गया।
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