यह ख़बर 14 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

बुरी नहीं है 'यमला पगला दीवाना'...

खास बातें

  • धर्मेन्द्र, सनी और बॉबी इमोशनल सीन भी बखूबी कर सकते हैं, लेकिन डायरेक्टर औसत स्क्रिप्ट के कारण मौका भुना नहीं पाए...
Mumbai:

नमस्कार, मैं हूं विजय वशिष्ठ... कॉमेडी फिल्म 'यमला पगला दीवाना' में परमवीर सिंह, यानि सनी देओल बचपन में बिछुड़े भाई और पिता को ढूंढने भारत आते हैं... भाई हैं गजोधर, यानि बॉबी देओल और पिता धरम सिंह, यानि धर्मेन्द्र... ये दोनों नंबरी जालसाज हैं, लेकिन धरम न सिर्फ बड़े बेटे को पहचानने से मना कर देता है, बल्कि छोटे बेटे से यह राज छिपाए भी रखता है... अब परमवीर बाप-भाई को मनाने के लिए इनकी जालसाजी से लेकर लव स्टोरी तक में साथ देने लगता है और यहीं आते हैं कई मज़ेदार पल... फिल्म शुरुआत अच्छी लेती है, जहां परमवीर को उसकी फिरंगी पत्नी हिन्दी गालियों के साथ लताड़ती है, लेकिन भारत आते ही, खासकर बॉबी देओल की लव स्टोरी शुरू होते ही, कॉमेडी में भारी कमी आ जाती है... धर्मेन्द्र और सनी के आगे बॉबी कोई छाप नहीं छोड़ पाए हैं, और फिल्म का फर्स्ट हाफ डल है, लेकिन सेकंड हाफ में डायरेक्टर ने फिल्म को संभालकर कसर पूरी कर दी। कई कॉमेडी सीन हैं, जिन पर आप हंसे बगैर नहीं रहेंगे... देओल परिवार ने अपनी ही फिल्मों का जमकर मज़ाक भी उड़ाया है... वैसे डायरेक्टर समीर कार्णिक के पास चमत्कारी तिकड़ी कहे जाने वाले धर्मेन्द्र, सनी और बॉबी एक साथ थे, जो कॉमेडी के साथ इमोशनल सीन भी बखूबी कर सकते हैं, लेकिन कार्णिक औसत स्क्रिप्ट के कारण मौका ढंग से भुना नहीं पाए... फिर भी जब आप सिनेमाहॉल से निकलेंगे तो चेहरे पर मुस्कुराहट होगी... बहरहाल 'यमला पगला दीवाना' बुरी फिल्म नहीं है, और इसके लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार...


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