मुंबई:
फिल्म 'शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी' 40- 45 साल की उम्र तक कुंवारे बैठे शीरीं और फरहाद के प्यार पर है। दोनों पारसी हैं। फरहाद अंडर गारमेंट्स की दुकान पर सेल्समैन है और ये जानते ही लड़कियां उसे रिजेक्ट कर देती हैं, लेकिन शीरीं फुग्गावाला फरहाद में छिपे एक सेंसिटिव, इमोशनल, टेलेंटेड और ईमानदार इंसान को पहचान लेती है। हल्के-फुल्के कॉमिक सीन्स के साथ धीरे-धीरे लव स्टोरी आगे बढ़ जाती है, लेकिन तभी फरहाद की मां और शीरीं के बीच एक मजेदार खुन्नस निकल आती है।
राइटर संजय लीला भंसाली ने बोमन ईरानी और फराह खान की उम्र और व्यक्तित्व को देखते हुए अच्छी कहानी और करेक्टर तैयार किए। फिर कहानी में कॉमेडी डाल दी ताकि बड़ी उम्र के कुंवारों की लव स्टोरी बोरिंग न लगे।
नतीजा अच्छा रहा। कई सीन्स देखकर आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे। पारसी समाज में कुंवारों की बढ़ती तादाद पर मजेदार जोक्स गढ़े गए, खासकर तब जब एक लड़की से शादी करने के लिए पारसी लड़कों में झगड़ा हो जाता है, लेकिन इस सबके बीच शीरीं और फरहाद के प्यार की मासूमियत कहीं नहीं खोती। न ही बढ़ती उम्र उनकी मासूमियत और संवेदनशीलता छीनती है।
पहली बार एक्टिंग कर रही फराह खान ने चुलबुली शीरीं का रोल बड़े कॉन्फिडेंस से अदा किया। बोमन ईरानी इमोशनल सीन्स में दिल छू गए। डेजी ईरानी और शम्मी के रूप में बेहतरीन सपोर्टिंग कास्ट है सो अलग। बढ़ती उम्र के अकेलेपन और उस पर….पहले प्यार की उमंगों पर अच्छे गाने हैं हालांकि गाने कुछ कम होते तो यह फिल्म कहीं-कहीं स्लो होने से बच जाती। डायरेक्टर के तौर पर बेला भंसाली सहगल की ये हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म देखने लायक है और इसके लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
राइटर संजय लीला भंसाली ने बोमन ईरानी और फराह खान की उम्र और व्यक्तित्व को देखते हुए अच्छी कहानी और करेक्टर तैयार किए। फिर कहानी में कॉमेडी डाल दी ताकि बड़ी उम्र के कुंवारों की लव स्टोरी बोरिंग न लगे।
नतीजा अच्छा रहा। कई सीन्स देखकर आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे। पारसी समाज में कुंवारों की बढ़ती तादाद पर मजेदार जोक्स गढ़े गए, खासकर तब जब एक लड़की से शादी करने के लिए पारसी लड़कों में झगड़ा हो जाता है, लेकिन इस सबके बीच शीरीं और फरहाद के प्यार की मासूमियत कहीं नहीं खोती। न ही बढ़ती उम्र उनकी मासूमियत और संवेदनशीलता छीनती है।
पहली बार एक्टिंग कर रही फराह खान ने चुलबुली शीरीं का रोल बड़े कॉन्फिडेंस से अदा किया। बोमन ईरानी इमोशनल सीन्स में दिल छू गए। डेजी ईरानी और शम्मी के रूप में बेहतरीन सपोर्टिंग कास्ट है सो अलग। बढ़ती उम्र के अकेलेपन और उस पर….पहले प्यार की उमंगों पर अच्छे गाने हैं हालांकि गाने कुछ कम होते तो यह फिल्म कहीं-कहीं स्लो होने से बच जाती। डायरेक्टर के तौर पर बेला भंसाली सहगल की ये हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म देखने लायक है और इसके लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
Film Review, Shirin Farhad Ki Toh Nikal Padi, Farah Khan, Boman Irani, Vijay Vashishtha, Vijay Dinesh Vashishtha, फिल्म समीक्षा, फिल्म रिव्यू, शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी, फराह खान, फरहा खान, बोमन ईरानी, विजय वशिष्ठ, विजय दिनेश वशिष्ठ, Shirin Farhad, शीरीं फरहाद