यह ख़बर 13 नवंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

'जब तक है जान' : कहानी, इमोशन, ड्रामा, संगीत सब कुछ

खास बातें

  • अपनी आखिरी फिल्म 'जब तक है जान' में यश चोपड़ा ने एक बार फिर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने का पैक तैयार कर दिया है। इस फिल्म में कहानी, इमोशन, ड्रामा, संगीत, लोकेशन, फ्रेम सब कुछ है। चोपड़ा के सम्मान में इसकी रेटिंग नहीं की जा रही है।
मुम्बई:

फिल्म 'जब तक है जान' की कहानी शुरू होती है लद्दाख में, जहां आर्मी ऑफिसर समर आनंद बम डिफ्यूज करने में लगा है। समर आनंद यानी शाहरुख खान बिना लाइफ जैकेट के बम डिफ्यूज करते हैं, क्योंकि इन्हें खतरों से खेलने का शौक है।

थोड़े ही समय में कहानी फ्लैश बैक में जाती है, जहां मीरा और समर यानी शाहरुख और कैटरीना की प्रेम कहानी शुरू होती है। अचानक एक दुर्घटना होती है, जिसके लिए कैटरीना अपने आपको जिम्मेदार मानती है, इसलिए वह दुआ करती है कि अगर शाहरुख जिंदा बच गए, तो वह दोबारा उनसे नहीं मिलेंगी और दोनों प्रेमी जुदा हो जाते हैं।

कहानी दोबारा लद्दाख पहुंचती है, जहां अनुष्का शर्मा डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने पहुंचती है और अनुष्का को भी शाहरुख से प्यार हो जाता है। फिल्म में कहानी है, इमोशन है, ड्रामा है, संगीत है, अच्छा डांस है और खूबसूरत लोकेशन्स हैं। इतने खूबसूरत लोकेशन्स कि नजर हटाने को दिल न करे। सभी सितारों ने अच्छा अभिनय किया है।

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फिल्म 'जब तक है जान' यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म है। अगर वह जिंदा होते, तब इस फिल्म के लिए रेटिंग जरूर की जाती, लेकिन अब वह हमारे बीच नहीं हैं, इसलिए यश चोपड़ा की शान में और उनकी इज्जत में कोई रेटिंग नहीं की जा रही है, क्योंकि उन्होंने हमेशा उम्दा फिल्में देकर दर्शकों का मनोरंजन किया है।