मुंबई:
फिल्म 'गट्टू' बहुत ही तेज दिमाग, तिकड़मी, लेकिन अनपढ़ गरीब बच्चे की कहानी है, जो अपने चाचा की कबाड़ी की दुकान पर काम करता है। पतंगबाजी का शौकीन गट्टू हर हालत में आसमान में राज करने वाली काली पतंग को काटना चाहता है, जिसे कोई नहीं काट सका। इसके लिए गट्टू को चाहिए सबसे ऊंची छत, जो एक स्कूल के पास है।
अब कैसे गट्टू जुगत भिड़ाकर इस स्कूल में पहुंचता है, स्कूली बच्चों के बीच जगह बनाता है और छत पर जाकर काली पतंग को टक्कर देता है। कैसे स्कूल के कुछ दिन गट्टू की सोच और जिंदगी बदल देते हैं…डायरेक्टर राजन खोसा ने एक बेहतरीन स्क्रिप्ट के साथ ये सब परदे पर उतार दिया है।
'गट्टू' मिसाल है कि बड़े स्टार, आलीशान सेट्स, खूबसूरत लोकेशन्स और मेगाबजट के बिना कितनी अच्छी फिल्म बनाई जा सकती है। शातिर गट्टू के रोल में बाल कलाकार मोहम्मद समद ने जान डाल दी, वहीं नरमदिल चाचा के रोल में नरेश कुमार और स्कूल प्रिंसिपल के किरदार में जयंत दास खूब जमे हैं। क्लाइमैक्स देखकर तो आपका दिल भर आएगा।
'आई एम कलाम' के बाद आई यह बच्चों की ऐसी बेहतरीन फिल्म है, जिसे बच्चे के साथ बड़े भी एन्जॉय करेंगे। जरूर देखिए 'गट्टू', जो देश के कुछ राज्यों में टैक्स फ्री भी हो चुकी है। आप खुश होकर सिनेमाहॉल से बाहर निकलेंगे। 'गट्टू' के लिए रेटिंग है 3.5 स्टार।
अब कैसे गट्टू जुगत भिड़ाकर इस स्कूल में पहुंचता है, स्कूली बच्चों के बीच जगह बनाता है और छत पर जाकर काली पतंग को टक्कर देता है। कैसे स्कूल के कुछ दिन गट्टू की सोच और जिंदगी बदल देते हैं…डायरेक्टर राजन खोसा ने एक बेहतरीन स्क्रिप्ट के साथ ये सब परदे पर उतार दिया है।
'गट्टू' मिसाल है कि बड़े स्टार, आलीशान सेट्स, खूबसूरत लोकेशन्स और मेगाबजट के बिना कितनी अच्छी फिल्म बनाई जा सकती है। शातिर गट्टू के रोल में बाल कलाकार मोहम्मद समद ने जान डाल दी, वहीं नरमदिल चाचा के रोल में नरेश कुमार और स्कूल प्रिंसिपल के किरदार में जयंत दास खूब जमे हैं। क्लाइमैक्स देखकर तो आपका दिल भर आएगा।
'आई एम कलाम' के बाद आई यह बच्चों की ऐसी बेहतरीन फिल्म है, जिसे बच्चे के साथ बड़े भी एन्जॉय करेंगे। जरूर देखिए 'गट्टू', जो देश के कुछ राज्यों में टैक्स फ्री भी हो चुकी है। आप खुश होकर सिनेमाहॉल से बाहर निकलेंगे। 'गट्टू' के लिए रेटिंग है 3.5 स्टार।
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