यह ख़बर 21 मार्च, 2014 को प्रकाशित हुई थी

'गैंग ऑफ घोस्ट्स' : डराते नहीं, हंसाते हैं ये भूत

मुंबई:

'गैंग ऑफ घोस्ट्स' एक हॉरर-कॉमेडी फिल्म है, जिसमें अलग अलग इलाके के भूत एक पुरानी इमारत में रहने के लिए आते हैं, क्योंकि शहर में हो रहे विकास के वजह से उनका आशियाना छिन चुका है। यह एक बंगाली हिट फिल्म 'भूतर भविष्यत' का रीमेक है। 'गैंग ऑफ घोस्ट्स' को डायरेक्ट किया है सतीश कौशिक ने।

आमतौर पर भूत आपको डराते हैं, लेकिन ये भूत आपको हंसाने की कोशिश करेंगे। हंसाने के लिए कभी राम गोपाल वर्मा की फिल्म मेकिंग का मजाक उड़ाया गया है, तो कभी फिल्मों और डायलॉग्स की भी धज्जियां उड़ाई गई हैं। साथ ही एक्ट्रेस की सस्ती पब्लिसिटी स्टंट को भी फिल्म का कॉमेडी सीन बनाया गया है।

इन भूतों की अपनी सोशल नेटवर्किंग साइट भी है, फेसबुक की तरह स्पूकबुक। ये भूत पिकनिक पर जाते हैं, पब में मजे लेते हैं और रोमांस भी करते हैं। फिल्म में कई बार यह बताने की कोशिश की गई है कि ढेर सारे इंसान शायद एक जगह सुकून से न रह पाएं, मगर भूत रहते हैं। इंसान जिंदगी में भले ही अच्छा काम न करे, लेकिन मरने के बाद वह अच्छा भूत बन सकता है।

फिल्म के पहले भाग में आपको कई सीन्स हंसा सकते हैं, मगर जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, कमजोर होती जाती है। फिल्म का दूसरा भाग तो खासतौर से कमजोर है। भूतों के किरदारों को सभी कलाकारों ने बखूबी निभाया है, मगर शरमन जोशी के पास स्टोरी नैरेशन के अलावा कोई काम नहीं है, जो एक स्ट्रगलिंग राइटर की भूमिका में हैं।

अगर आपको भूतों की मुश्किलों में कोई रुचि है, तो आप फिल्म देख सकते हैं, लेकिन अगर आपने फिल्म नहीं देखी, तो आप कुछ मिस नहीं करेंगे। मेरी ओर से फिल्म को 2 स्टार...


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