यह ख़बर 17 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

रिव्यू : 'ऑलवेज कभी कभी' देखने जाएं या नहीं...

खास बातें

  • डाइरेक्टर रोशन अब्बास की इस फिल्म की स्क्रिप्ट और स्क्रीन प्ले दोनों ही कमजोर हैं। ऐसी कहानियां पहले भी हम देख चुके हैं...
Mumbai:

'ऑलवेज कभी कभी' कहानी है स्कूल के उन बच्चों की, जो अपने माता-पिता की महत्वकांक्षाओं से परेशान हैं। वे उन्हें बताना चाहते हैं कि उनके अपने भी कुछ सपने हैं और माता-पिता की उम्मीदें उन्हें कुचल रही हैं। डाइरेक्टर रोशन अब्बास की इस फिल्म की स्क्रिप्ट और स्क्रीन प्ले दोनों ही कमजोर हैं। ऐसी कहानियां पहले भी हम देख चुके हैं, पर रोशन इसका ट्रीटमेंट तो बेहतर कर सकते थे। फिल्म में सीन्स के ब्लॉकिंग्स से लेकर किरदार तक सब नकली लगते हैं। छात्रों का जो दर्द रोशन दिखाना चाहते थे, वो न तो खुद कलाकार महसूस कर पाते है और न ही दर्शक। फिल्म के दृश्य कहानी के साथ बुने हुए नहीं लगते, बल्कि लगता है जैसे किसी ने अपने तजुर्बों को सीन्स में ढालकर फिल्म बनाने की कोशिश की है। खबरों के मुताबिक रोशन ने अपने एक नाटक को फिल्म की शक्ल देने की कोशिश की है और फिल्म देखकर यह लगता भी है। राइटर ने फिल्म में आज के स्टूडेंट्स के लिंगो जैसे JFI यानी 'जस्ट फोरगेट इट' पर तो ध्यान दिया है, पर उनकी परेशानियों की गहराइयों में नहीं झांका। फिल्म का म्यूजिक साधारण है। ऐंटेना को छोड़कर कोई गाना याद नहीं रहता। आखिर में मैं यही कहूंगा कि कभी-कभी डेब्यूडेंट डाइरेक्टर्स से ऐसी गलतियां हो जाती हैं, पर उन्हें सुधारने का मौका Is Always There...इस फिल्म को मेरी तरफ से 1.5 स्टार...


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com