
फिल्म के दृश्य से ली गई तस्वीर
मुंबई:
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सलमान खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' रुपहले पर्दे पर रिलीज हो चुकी है। फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं, सलमान ख़ान, करीना कपूर और नवाज़ुद्दीन सिद्दिक़ी ने।
VIDEO: यहां देखे पूरा रिव्यू
'बजरंगी भाईजान' का निर्देशन किया है, कबीर ख़ान ने जो सलमान के साथ इससे पहले 'एक था टाइगर' जैसी ब्लॉक बस्टर बना चुके हैं।
फिल्म की कहानी एक पाकिस्तानी बच्ची के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी मां से बिछड़कर हिन्दुस्तान में रह जाती है और इस बच्ची की मुलाकात होती है पवन कुमार चतुर्वेदी यानी सलमान से।
सलमान इस बच्ची को वापस पाकिस्तान पहुंचाने का ज़िम्मा उठाते हैं। हिन्दुस्तान से पाकिस्तान जाने के इस सफर में क्या-क्या होता है, कैसे-कैसे मोड़ आते हैं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
बात खामियों और खूबियों की। कहानी बड़ी सीधी-सी है और अंजाम का अंदाज़ा आप खुद लगा लेंगे। फिल्म का पहला भाग मुझे कमजोर लगा। कहानी आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ती है और इस बीच आपको इसे समझने में उलझन पेश आ सकती है।
फिल्म में आपको न तो 'वॉन्टेड' के सलमान दिखेंगे न ही 'दबंग' या 'किक' वाले सलमान की झलक दिखेगी। फिल्म में हल्का-फुल्का मनोरंजन चलता रहेगा। डायलॉग भी इतने असरदार नहीं लगे। पहले भाग की स्क्रिप्ट मुझे बहुत कमज़ोर लगी।
बात खूबियों की करें तो फिल्म दूसरे भाग में काफी मजबूती से पर्दे पर आती हैं। दूसरे भाग में इंटरटेनमेंट भी ज़्यादा है और भावुक सीन्स भी। नवाज़ुद्दीन के आते ही फिल्म में इंटरटेनमेंट का तड़का लग जाता है।
खास बात यह है कि निर्देशक कबीर खान ने फिल्म के विषय को इस तरह संतुलित रखा है कि हिन्दुस्तान हो या पाकिस्तान किसी भी देश के लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
सलमान अपने भोले-भाले किरदार में सफल दिखे। शाहिदा के किरदार में हर्षाली आपका दिल जीत लेंगी। धर्म और दोनों देशों की सोच पर भी बढ़िया तंज़ है। करीना का क़िरदार सादा और सहज है। फिल्म के गाने ठीक हैं पर 'सेल्फ़ी ले ले' और 'भर दे झोली' के अलावा कोई और गाना आपकी ज़ुबान पर शायद न टिके।
तो कुल मिलाकर सीधी,सरल फ़िल्म है 'बजरंगी भाईजान', जो आपको हंसाएगी भी, पर फ़िल्म में तर्क न ढूंढें तो बेहतर होगा।
फिल्म का स्क्रीनप्ले कसा हुआ है और निर्देशन पर भी अच्छी पकड़ है। दर्शकों में सलमान प्रेम देखते हुए इस फ़िल्म को शायद 3.5 स्टार दिए जा सकते हैं पर बतौर समीक्षक मेरी ओर से फिल्म को 3 स्टार्स।
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'बजरंगी भाईजान' का निर्देशन किया है, कबीर ख़ान ने जो सलमान के साथ इससे पहले 'एक था टाइगर' जैसी ब्लॉक बस्टर बना चुके हैं।
फिल्म की कहानी एक पाकिस्तानी बच्ची के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी मां से बिछड़कर हिन्दुस्तान में रह जाती है और इस बच्ची की मुलाकात होती है पवन कुमार चतुर्वेदी यानी सलमान से।
सलमान इस बच्ची को वापस पाकिस्तान पहुंचाने का ज़िम्मा उठाते हैं। हिन्दुस्तान से पाकिस्तान जाने के इस सफर में क्या-क्या होता है, कैसे-कैसे मोड़ आते हैं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
बात खामियों और खूबियों की। कहानी बड़ी सीधी-सी है और अंजाम का अंदाज़ा आप खुद लगा लेंगे। फिल्म का पहला भाग मुझे कमजोर लगा। कहानी आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ती है और इस बीच आपको इसे समझने में उलझन पेश आ सकती है।
फिल्म में आपको न तो 'वॉन्टेड' के सलमान दिखेंगे न ही 'दबंग' या 'किक' वाले सलमान की झलक दिखेगी। फिल्म में हल्का-फुल्का मनोरंजन चलता रहेगा। डायलॉग भी इतने असरदार नहीं लगे। पहले भाग की स्क्रिप्ट मुझे बहुत कमज़ोर लगी।
बात खूबियों की करें तो फिल्म दूसरे भाग में काफी मजबूती से पर्दे पर आती हैं। दूसरे भाग में इंटरटेनमेंट भी ज़्यादा है और भावुक सीन्स भी। नवाज़ुद्दीन के आते ही फिल्म में इंटरटेनमेंट का तड़का लग जाता है।
खास बात यह है कि निर्देशक कबीर खान ने फिल्म के विषय को इस तरह संतुलित रखा है कि हिन्दुस्तान हो या पाकिस्तान किसी भी देश के लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
सलमान अपने भोले-भाले किरदार में सफल दिखे। शाहिदा के किरदार में हर्षाली आपका दिल जीत लेंगी। धर्म और दोनों देशों की सोच पर भी बढ़िया तंज़ है। करीना का क़िरदार सादा और सहज है। फिल्म के गाने ठीक हैं पर 'सेल्फ़ी ले ले' और 'भर दे झोली' के अलावा कोई और गाना आपकी ज़ुबान पर शायद न टिके।
तो कुल मिलाकर सीधी,सरल फ़िल्म है 'बजरंगी भाईजान', जो आपको हंसाएगी भी, पर फ़िल्म में तर्क न ढूंढें तो बेहतर होगा।
फिल्म का स्क्रीनप्ले कसा हुआ है और निर्देशन पर भी अच्छी पकड़ है। दर्शकों में सलमान प्रेम देखते हुए इस फ़िल्म को शायद 3.5 स्टार दिए जा सकते हैं पर बतौर समीक्षक मेरी ओर से फिल्म को 3 स्टार्स।
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