नई दिल्ली:
बरेली जैसे छोटे-से शहर से अमेरिका के बोस्टन तक का सफर तय करने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा अब एक रोल मॉडल बन चुकी हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर मां-बाप जीवनपथ चुनने की आजादी दें तो बच्चे चमत्कार कर सकते हैं। वह कहती हैं कि भारत को बच्चियों के प्रति नजरिया बदलने की बेहद जरूरत है, और वह उन्हें अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जीने देने के लिए अपने अभिभावकों की आभारी हैं।
हिन्दी फिल्मोद्योग में प्यार से 'पिग्गी चॉप्स' के नाम से पुकारी जाने वाली प्रियंका चोपड़ा ने कहा, "मैं बेहद खुशकिस्मत हूं... हर कन्या संतान मेरी तरह खुशकिस्मत नहीं होती... मैं देश में कन्या संतान सशक्तीकरण का समर्थन करती हूं..."
31-वर्षीय पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा ने कहा, "मैं एक छोटे-से शहर और मध्यवर्गीय परिवार से आई हूं... मैं किसी समृद्ध पृष्ठभूमि से नहीं हूं... मैं उस जगह से नहीं हूं, जहां ज़िन्दगी में पब या डिस्कोथेक्स थे... इसके बावजूद, मैंने जो बनना चाहा, उसके लिए मेरे मां-बाप ने अवसर दिया, उन्होंने मुझे पढ़ाया, जीवनमूल्य दिए और हमेशा एक अच्छी ज़िन्दगी दी..."
एनडीटीवी-वेदांता के 'ऑवर गर्ल्स ऑवर प्राइड कैम्पेन' ('हमारी बेटियां, हमारा गौरव') का नया चेहरा बनीं इस अभिनेत्री-गायिका ने कहा, "उनके (कुछ लड़कियों) पास तो कुछ कहने या उनके जीवन के लिए विकल्प या उनका भविष्य क्या होगा, यह कहने भर तक का सामर्थ्य नहीं होता... सो, देश में बदलाव चाहिए..."
जमशेदपुर में जन्मी, और बरेली में पली-बढ़ी प्रियंका चोपड़ा ने शिशु अधिकारों और खासकर कन्या संतान के अधिकारों के प्रति आवाज बुलंद की है।
जब उनसे सवाल किया गया कि क्या उन्होंने कोई बदलाव देखा, यूनिसेफ की गुडविल एम्बैसेडर प्रियंका चोपड़ा का कहना था, "हां, मैंने बदलाव पाया..." एक क्षण सोचने के बाद उन्होंने कहा, "हम भांति-भांति के लोगों वाले देश से हैं... एक देश, जिसमें इतने सारे विचार, धर्म और संस्कृति हों, वहां बदलाव लाना कठिन तो होता है, लेकिन नामुमकिन नहीं... और, भारतीय होने के नाते हमें यह स्वीकार करने की जरूरत है..."
हिन्दी फिल्मोद्योग में प्यार से 'पिग्गी चॉप्स' के नाम से पुकारी जाने वाली प्रियंका चोपड़ा ने कहा, "मैं बेहद खुशकिस्मत हूं... हर कन्या संतान मेरी तरह खुशकिस्मत नहीं होती... मैं देश में कन्या संतान सशक्तीकरण का समर्थन करती हूं..."
31-वर्षीय पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा ने कहा, "मैं एक छोटे-से शहर और मध्यवर्गीय परिवार से आई हूं... मैं किसी समृद्ध पृष्ठभूमि से नहीं हूं... मैं उस जगह से नहीं हूं, जहां ज़िन्दगी में पब या डिस्कोथेक्स थे... इसके बावजूद, मैंने जो बनना चाहा, उसके लिए मेरे मां-बाप ने अवसर दिया, उन्होंने मुझे पढ़ाया, जीवनमूल्य दिए और हमेशा एक अच्छी ज़िन्दगी दी..."
एनडीटीवी-वेदांता के 'ऑवर गर्ल्स ऑवर प्राइड कैम्पेन' ('हमारी बेटियां, हमारा गौरव') का नया चेहरा बनीं इस अभिनेत्री-गायिका ने कहा, "उनके (कुछ लड़कियों) पास तो कुछ कहने या उनके जीवन के लिए विकल्प या उनका भविष्य क्या होगा, यह कहने भर तक का सामर्थ्य नहीं होता... सो, देश में बदलाव चाहिए..."
जमशेदपुर में जन्मी, और बरेली में पली-बढ़ी प्रियंका चोपड़ा ने शिशु अधिकारों और खासकर कन्या संतान के अधिकारों के प्रति आवाज बुलंद की है।
जब उनसे सवाल किया गया कि क्या उन्होंने कोई बदलाव देखा, यूनिसेफ की गुडविल एम्बैसेडर प्रियंका चोपड़ा का कहना था, "हां, मैंने बदलाव पाया..." एक क्षण सोचने के बाद उन्होंने कहा, "हम भांति-भांति के लोगों वाले देश से हैं... एक देश, जिसमें इतने सारे विचार, धर्म और संस्कृति हों, वहां बदलाव लाना कठिन तो होता है, लेकिन नामुमकिन नहीं... और, भारतीय होने के नाते हमें यह स्वीकार करने की जरूरत है..."
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