नई दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेत्री रानी मुखर्जी को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ जेंडर जस्टिस की तरफ से दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। रानी मुखर्जी बॉलीवुड की पहली अभिनेत्री बनीं जिन्हें ये सम्मान मिला।
यहां रानी को फ़िल्म इंडस्ट्री में उल्लेखनीय काम करने के साथ-साथ इन दिनों बच्चों की तस्करी और लड़कियों का देह व्यापार के लिए अपहरण के खिलाफ मोर्चा खोल कर जागृति फैलाने में लगी हैं।
रानी मुखर्जी ने पिछले साल 'मर्दानी' नाम की एक फ़िल्म में एक ऐसी महिला पुलिस ऑफिसर की भूमिका में नज़र आई थीं जो लड़कियों की तस्करी करने वालों से लड़ती है। और तब से रानी रियल लाइफ में भी ऐसे जुर्म से लड़ने के लिए जागृति फैलाने में लगी हैं और इसी लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ जेंडर जस्टिस के अलावा भी इन्हें कई जगह इस तरह के सम्मान से नवाज़ा जा रहा है।
रानी ने इस मौके पर कहा, 'मैं बहुत खुश हूं ये पुरुस्कार पा कर और खुश हूं कि फ़िल्म 'मर्दानी' ने सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई बल्कि दर्शकों पर भी छाप छोड़ने में सफल हुई। साथ ही खुश हूं कि मेरी छोटी सी पहल ने काम किया और उन लोगों के लिए फ़िल्म प्रेरणा बनी जो रात दिन इस जुर्म के खिलाफ लड़ रहे हैं। वो लोग मेरे लिए असल में हीरो हैं।'
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ जेंडर जस्टिस की चेयर पर्सन श्रीरूपा मित्रा चौधरी ने कहा, 'फ़िल्म मर्दानी में रानी की निडर भूमिका ने पुलिस को भी प्रेरणा दी है जुर्म के खिलाफ लड़ने की ख़ास तौर से देह व्यापार में जबरन धकेली जाने वाली लड़कियों के लिए लड़ने की। और यही वजह है कि हमने इस साल रानी को पुरुस्कार देने के लिए चुना।' रानी मुखेर्जी से पहले ये सम्मान अन्ना हज़ारे, प्रतिभा पाटिल, पंडित जसराज और महाश्वेता देवी को दिया गया है।
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