फिल्म 'दिल्लीवाली ज़ालिम गर्लफ्रेंड' की कहानी है दिल्ली में रह रहे दो दोस्तों ध्रुव और हैप्पी की। ध्रुव का दिल एक लड़की पर फिदा हो जाता है, जो लोन देने वाली प्राइवेट कंपनी में काम करती है। इस लड़की के चक्कर में ध्रुव और हैप्पी कार लोन लेकर एक कार खरीद लेते हैं, जो बहुत जल्द चोरी हो जाती है और फिर शुरू होती है भागदौड़।
जपिंदर कौर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में कार चोरों के गिरोह को दिखाया गया है। किस तरह पार्किंग में खड़े रसीद काटने वाले से लेकर पुलिस तक इस गिरोह का साथ देती है और किस तरह कार को चोरी करके उनके रंग और नंबर को बदलकर बेचा जाता है।
फिल्म का विषय अच्छा है, मगर इसे कागज पर लिखने में और परदे पर उतारने में बहुत सारी कमियां रह गईं। ध्रुव और हैप्पी पूरी फिल्म में एक रिपोर्टर के साथ मिलकर स्टिंग ऑपरेशन के पीछे पड़े रहे, मगर उसका खुलासा उतना ही कमजोर।
फिल्म में हर चीज अधूरी लगती है। फिर वो चाहे लव हो, स्टिंग ऑपरेशन हो या कहानी हो। यहां तक की गाड़ियों की चोरी का मुद्दा भी अधूरा रह गया। हां, गाने पूरे हैं, यानी जरूरत से ज्यादा। मेरी नजर में यह एक कमजोर फिल्म है, जिसके लिए मेरी रेटिंग है 1.5 स्टार।
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