डैडी फिल्म में अर्जुन रामपाल.
नई दिल्ली:
डायरेक्टर: आशिम आहलूवालिया
कलाकार: अर्जुन रामपाल, निशिकांत कामत और ऐश्वर्या राजेश
डैडी अरुण गवली की ज़िंदगी पर बनी फ़िल्म है. फ़िल्म में अरुण गवली की ज़िंदगी को कई किरदारों के माध्यम से दिखाया गया है. फ़िल्म पूरी तरह से एक गैंगस्टर मूवी है. फ़िल्म की कहानी कुछ भी एक्सेप्शनल नहीं है. 1976 से फ़िल्म की शुरुआत होती है और 2012 तक जाती है. डैडी में एक गैंगस्टर के रॉबिनहुड बनने तक की कहानी है. डैडी कुल मिलाकर एक रूटीन गैंगस्टर मूवी है जिसमें कुछ भी याद रखने लायक नहीं है.
कितनी दमदार कहानी
अरुण की कहानी 1976 में शुरू होती है. वह एक मिल मज़दूर का बेटा है और दोस्तों के साथ मिलकर गुंडागर्दी की हरकतें करने लगता है. फिर उसका गैंग बनता है और वह भाई के लिए काम करने लगता है. भाई का नाम तो नहीं आता नहीं लेकिन यह साफ़ हो जाता है कि वह दाऊद ही है. लेकिन अरुण में एक बेचैनी है और वह अपना काम अलग से करना चाहता है. इसी चक्कर में वह भाई से दुश्मनी ले लेता है. अरुण की कहानी को कई लोगों के माध्यम से बताने की कोशिश की गई है. कहानी एकदम सामान्य है और फ़िल्म कोई भी थ्रिल पैदा नहीं करती है.
एक्टिंग के रिंग में
अर्जुन रामपाल ने अरुण के किरदार में ठीक-ठाक एक्टिंग की है लेकिन वह कोई छाप छोडने में कामयाब नहीं हो सके हैं. उनका चेहरा एकदम सपाट रहता है. कुल मिलाकर डायरेक्टर जिस तरह का कैरेक्टर खड़ा करना चाह रहे थे वैसा नहीं कर सके. पुलिस ऑफ़िसर के तौर पर निशिकांत कामत ने बढ़िया एक्टिंग की है. वे अपने रोल में जमे हैं. भाई के किरदार में फ़रहान अख़्तर बिल्कुल भी इम्प्रेस नहीं कर पाते हैं. फरहान का इस्तेमाल फिल्म में बेकार जान पड़ता है.
बातें और भी हैं
फ़िल्म का म्यूज़िक बिल्कुल भी अपीलिंग नहीं है. डैडी की लाइन और लेंथ पूरी तरह से आउट है. फ़िल्म के किरदार कनेक्ट करने में पूरी तरह असफल रहते हैं. एक समय पर आकर फ़िल्म थकाने लगती है.
कलाकार: अर्जुन रामपाल, निशिकांत कामत और ऐश्वर्या राजेश
डैडी अरुण गवली की ज़िंदगी पर बनी फ़िल्म है. फ़िल्म में अरुण गवली की ज़िंदगी को कई किरदारों के माध्यम से दिखाया गया है. फ़िल्म पूरी तरह से एक गैंगस्टर मूवी है. फ़िल्म की कहानी कुछ भी एक्सेप्शनल नहीं है. 1976 से फ़िल्म की शुरुआत होती है और 2012 तक जाती है. डैडी में एक गैंगस्टर के रॉबिनहुड बनने तक की कहानी है. डैडी कुल मिलाकर एक रूटीन गैंगस्टर मूवी है जिसमें कुछ भी याद रखने लायक नहीं है.
कितनी दमदार कहानी
अरुण की कहानी 1976 में शुरू होती है. वह एक मिल मज़दूर का बेटा है और दोस्तों के साथ मिलकर गुंडागर्दी की हरकतें करने लगता है. फिर उसका गैंग बनता है और वह भाई के लिए काम करने लगता है. भाई का नाम तो नहीं आता नहीं लेकिन यह साफ़ हो जाता है कि वह दाऊद ही है. लेकिन अरुण में एक बेचैनी है और वह अपना काम अलग से करना चाहता है. इसी चक्कर में वह भाई से दुश्मनी ले लेता है. अरुण की कहानी को कई लोगों के माध्यम से बताने की कोशिश की गई है. कहानी एकदम सामान्य है और फ़िल्म कोई भी थ्रिल पैदा नहीं करती है.
एक्टिंग के रिंग में
अर्जुन रामपाल ने अरुण के किरदार में ठीक-ठाक एक्टिंग की है लेकिन वह कोई छाप छोडने में कामयाब नहीं हो सके हैं. उनका चेहरा एकदम सपाट रहता है. कुल मिलाकर डायरेक्टर जिस तरह का कैरेक्टर खड़ा करना चाह रहे थे वैसा नहीं कर सके. पुलिस ऑफ़िसर के तौर पर निशिकांत कामत ने बढ़िया एक्टिंग की है. वे अपने रोल में जमे हैं. भाई के किरदार में फ़रहान अख़्तर बिल्कुल भी इम्प्रेस नहीं कर पाते हैं. फरहान का इस्तेमाल फिल्म में बेकार जान पड़ता है.
बातें और भी हैं
फ़िल्म का म्यूज़िक बिल्कुल भी अपीलिंग नहीं है. डैडी की लाइन और लेंथ पूरी तरह से आउट है. फ़िल्म के किरदार कनेक्ट करने में पूरी तरह असफल रहते हैं. एक समय पर आकर फ़िल्म थकाने लगती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं