नई दिल्ली:
माधुरी दीक्षित ने भले ही कहा हो कि पंडित बिरजू महाराज के साथ मंच पर नृत्य करने में उन्हें डर लगता है, लेकिन इस महान कथक नर्तक का मानना है कि हिन्दी सिनेमा में वहीदा रहमान के बाद नृत्य में कौशल कोई अभिनेत्री है तो वह सिर्फ माधुरी दीक्षित है।
बरसों बाद बॉलीवुड में वापसी कर रहे पद्म विभूषण बिरजू महाराज ने ‘डेढ़ इश्कियां’ में माधुरी का नृत्य निर्देशन किया है। इससे पहले वह ‘दिल तो पागल है’ (1997) और ‘देवदास’ (2002) में माधुरी के साथ काम कर चुके हैं। वह और माधुरी ‘झलक दिखला जा’ के एक विशेष शो में साथ मंच पर थिरकते नजर आएंगे, जिसके बारे में माधुरी ने कहा था कि उसे डर लग रहा है।
बिरजू महाराज ने कहा, माधुरी को डरने की कोई जरूरत नहीं है। वह बेहतरीन नृत्यांगना है। उसे देखकर वहीदा रहमान और मीना कुमारी की याद आती है। उसके नृत्य में इतनी गरिमा है। अगर मैं कहूं कि वहीदा रहमान के समकक्ष कोई नृत्यांगना बॉलीवुड में हुई है तो वह सिर्फ माधुरी है तो गलत नहीं होगा।
माधुरी के साथ अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, 1997 में पहली बार मैंने माधुरी के साथ काम किया और आज भी जब मैं उसे निर्देशन देता हूं तो उसमें सीखने की वही ललक है। वह जीनियस है और बहुत जल्दी सीखती है। उसके चेहरे पर भाव काफी सहजता से आते हैं।
बिरजू महाराज ने कहा कि सिनेमा में शास्त्रीय नृत्यों की जगह भले ही ‘आइटम गीतों’ ने ले ली है, लेकिन पुराने गानों और उन पर नृत्य का आज भी लोग लोहा मानते हैं। उन्होंने कहा, वहीदा रहमान को ‘गाइड’ में या मीना कुमारी को ‘पाकीजा’ में कौन भूल सकता है। अब सिनेमा में कथक या कोई अन्य शास्त्रीय नृत्य कहां देखने को मिलता है। यही वजह है कि लोग आज भी पुराने गीतों को याद करते हैं। माधुरी मुझे इसलिए भी पसंद है कि शास्त्रीय नृत्य की परंपरा उसने कायम रखी है। ‘देवदास’ का ‘काहे छेड़ मोहे’ हो या ‘दिल तो पागल है’ का डांस सीक्वेंस। उसने बेहतरीन नृत्य किया है। सिनेमा में नृत्य निर्देशन में रूचि कम होने के बारे में उन्होंने कहा, आजकल विदेशी नृत्यों की कापी हो रही है। यह वो नहीं है जो मैं देखना चाहता हूं। ‘झलक दिखला जा’ में माधुरी के साथ अपने नृत्य के बारे में उन्होंने कहा कि यह कथक पर ही आधारित है।
उन्होंने कहा, इसमें ‘गाइड’ का गीत ‘पिया तोसे नैना लागे रे’ के साथ कथक का टुकड़ा है। मूल रूप से यह जुगलबंदी है, जो दर्शकों को पसंद आएगी।
बरसों बाद बॉलीवुड में वापसी कर रहे पद्म विभूषण बिरजू महाराज ने ‘डेढ़ इश्कियां’ में माधुरी का नृत्य निर्देशन किया है। इससे पहले वह ‘दिल तो पागल है’ (1997) और ‘देवदास’ (2002) में माधुरी के साथ काम कर चुके हैं। वह और माधुरी ‘झलक दिखला जा’ के एक विशेष शो में साथ मंच पर थिरकते नजर आएंगे, जिसके बारे में माधुरी ने कहा था कि उसे डर लग रहा है।
बिरजू महाराज ने कहा, माधुरी को डरने की कोई जरूरत नहीं है। वह बेहतरीन नृत्यांगना है। उसे देखकर वहीदा रहमान और मीना कुमारी की याद आती है। उसके नृत्य में इतनी गरिमा है। अगर मैं कहूं कि वहीदा रहमान के समकक्ष कोई नृत्यांगना बॉलीवुड में हुई है तो वह सिर्फ माधुरी है तो गलत नहीं होगा।
माधुरी के साथ अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, 1997 में पहली बार मैंने माधुरी के साथ काम किया और आज भी जब मैं उसे निर्देशन देता हूं तो उसमें सीखने की वही ललक है। वह जीनियस है और बहुत जल्दी सीखती है। उसके चेहरे पर भाव काफी सहजता से आते हैं।
बिरजू महाराज ने कहा कि सिनेमा में शास्त्रीय नृत्यों की जगह भले ही ‘आइटम गीतों’ ने ले ली है, लेकिन पुराने गानों और उन पर नृत्य का आज भी लोग लोहा मानते हैं। उन्होंने कहा, वहीदा रहमान को ‘गाइड’ में या मीना कुमारी को ‘पाकीजा’ में कौन भूल सकता है। अब सिनेमा में कथक या कोई अन्य शास्त्रीय नृत्य कहां देखने को मिलता है। यही वजह है कि लोग आज भी पुराने गीतों को याद करते हैं। माधुरी मुझे इसलिए भी पसंद है कि शास्त्रीय नृत्य की परंपरा उसने कायम रखी है। ‘देवदास’ का ‘काहे छेड़ मोहे’ हो या ‘दिल तो पागल है’ का डांस सीक्वेंस। उसने बेहतरीन नृत्य किया है। सिनेमा में नृत्य निर्देशन में रूचि कम होने के बारे में उन्होंने कहा, आजकल विदेशी नृत्यों की कापी हो रही है। यह वो नहीं है जो मैं देखना चाहता हूं। ‘झलक दिखला जा’ में माधुरी के साथ अपने नृत्य के बारे में उन्होंने कहा कि यह कथक पर ही आधारित है।
उन्होंने कहा, इसमें ‘गाइड’ का गीत ‘पिया तोसे नैना लागे रे’ के साथ कथक का टुकड़ा है। मूल रूप से यह जुगलबंदी है, जो दर्शकों को पसंद आएगी।
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