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This Article is From Nov 01, 2013

कृष 3 : न ’वाओ’ फ़ैक्टर, न ’आओ’ फैक्टर...

कृष 3 : न ’वाओ’ फ़ैक्टर, न ’आओ’ फैक्टर...
मुंबई:

इंतज़ार खत्म हुआ और रिलीज़ हो चुकी है कृष 3 जिसमें डबल रोल में हैं रितिक रौशन। इनके अलावा फ़िल्म में अहम किरदार निभा रहे हैं प्रियंका चोपड़ा, कंगना रनौत और विवेक ओबेरॉय।

कहानी पहले एपिसोड से आगे बढ़ती है जहां कृष की शादी हो चुकी है प्रियंका से... रितिक को हर नौकरी से निकाल दिया जाता है क्योंकि हर बार कृष को काम छोड़कर लोगों की मदद के लिए भागना पड़ता है। फिर आता है कृष और उसके परिवार की ज़िंदगी में काल यानी विवेक ओबेरॉय जो दुनियाभर पर हुकूमत करना चाहता है।

आगे की कहानी जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी... पर मैं आपको बताऊंगा कि मुझे फ़िल्म कैसी लगी। सबसे पहले बात कहानी की... जो मुझे लगा कि काफ़ी कमज़ोर है। स्क्रीन पर एक्शन होता रहता है पर आपके दिल को छूने में शायद ही यह कामयाब हो पाए। फ़िल्म में दिखे स्टंट्स में कोई नयापन नहीं नज़र आता। जो लोग हॉलीवुड की फ़िल्में देखते रहते हैं उनको कृष के कई सीन्स हैंकॉक, एक्स मैन, सुपर मैन से मिलते जुलते लगेंगे। इसके अलावा फ़िल्म में जो इफेक्ट्स इस्तेमाल किए गए हैं वे भी अंग्रेज़ी फ़िल्मों के मुकाबले आपको फीके लगेंगे। अभिनय सभी किरदारों का ठीक−ठाक है... रोहित के किरदार में रितिक एक बार फिर लुभा जाते हैं।

संगीत की बात करें तो सिर्फ एक ही गाना जुबान पर रहता है और वह है ’रघुपति राघव’। इसमें कोई दो राय नहीं है कि रितिक से बेहतर कोई सुपरहीरो हो नहीं सकता। कृष 3 में रितिक अच्छे लग रहे हैं। कोई मिल गया और कृष के मुकाबले कृष 3 का स्क्रीनप्ले और स्क्रिप्ट और बेहतर होने की उम्मीद थी क्योंकि इस बार दशर्कों की उम्मीदें कृष 3 से काफ़ी बढ़ी हुईं थीं। इस बार कृष की टीम पुराना जादू बरक़रार रखने में नाकामयाब रही। इस फि़ल्म में न कोई ’वाओ’ फ़ैक्टर है न ही ’आओ’ फैक्टर है।

मेरी तरफ़ से फ़िल्म को 2.5 स्टार्स।

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