फिल्म कपूर एंड संस का एक दृश्य।
मुंबई:
इस हफ्ते फिल्म 'कपूर एंड सन्स' रिलीज़ हुई। इस फिल्म को डायरेक्ट किया है शकुन बत्रा ने और मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं ऋषि कपूर, सिद्धार्थ मल्होत्रा, फ़वाद खान, आलिया भट्ट, रत्ना पाठक शाह और रजत कपूर ने।
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह एक पारिवारिक कहानी है जिसमें मियां-बीवी के झगड़े, बच्चों के बीच पक्षपात, घर के मुखिया की आखिरी इच्छा, शक और इन सबके बीच टूटता परिवार जैसे मसलों को दर्शाया गया है। फिल्म में ऋषि कपूर के बेटे के किरदार में हैं रजत कपूर और उनकी पत्नी बनी हैं रत्ना पाठक शाह, जिनके दो बेटों के किरदार में हैं सिद्धार्थ मल्होत्रा और फवाद खान। साथ ही टीया का किरदार निभाया है आलिया भट्ट ने जो बचपन में ही अपना परिवार खो चुकी हैं।
धीमी गति दर्शकों को बांधने में बाधक
यह फिल्म ज्यादातर मोमेन्ट्स के सहारे आगे बढ़ती है जिससे मुझे कोई परहेज़ नहीं है पर मुश्किल तब हो जाती है जब किरदारों और कहानी को जमाने के लिए जितने मोमेन्टस की जरूरत है उससे ज्यादा सीन्स में उन्हें बयान किया जाए। इसकी वजह से आपको लगने लगता है कि कहानी आगे नहीं बढ़ रही है और ऐसा ही इस फिल्म में होता है। फिल्म धीमी हो जाती है और आप रुचि खोने लगते हैं। दूसरी चीज जिस मध्यम वर्ग की कहानी फिल्म कहती है उसके कुछ तौरतरीके मुझे उस वर्ग के नहीं लगे। कुछ किरदार शायद फिल्म में मनोरंजन के लिए हैं जैसे बुबली पर उनके सीन्स कहानी में कुछ ज्यादा एड नहीं करते। आखिरी चीज कहानी में फिल्मकार क्या कहना चाह रहा है यह समझ नहीं आता। परिवारों में झगड़े तो होते ही हैं और निपट भी जाते हैं, पर मुद्दा क्या है सबसे बड़ा सवाल यही है।
प्रभावित करते हैं ऋषि कपूर
बात खूबियों की तो फिल्म में सबका काम अच्छा है, पर ऋषि कपूर आपको प्रभावित करेंगे वहीं रजत कपूर, रत्ना, और फ़वाद का भी काम काबिले तारीफ़ है। आलिया ठीक हैं। कहानी भावनात्मक है और कई जगह आपकी आंखें नम कर जाएगी। फिल्म के किरदारों से आप रिलेट कर पाते हैं और साथ ही ऋषि कपूर का किरदार कई जगह आपको अपने डायलॉग से हंसने पर मजबूर कर देगा। फिल्म का कैमरा और बैक ग्राउंड स्कोर मुझे अच्छा लगा। तो कुल मिलाकर यह फिल्म आपका मनोरंजन भी करेगी और इमोशनल भी करेगी।
मेरे हिसाब से इस फिल्म को मिलने चाहिए 3 स्टार।
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह एक पारिवारिक कहानी है जिसमें मियां-बीवी के झगड़े, बच्चों के बीच पक्षपात, घर के मुखिया की आखिरी इच्छा, शक और इन सबके बीच टूटता परिवार जैसे मसलों को दर्शाया गया है। फिल्म में ऋषि कपूर के बेटे के किरदार में हैं रजत कपूर और उनकी पत्नी बनी हैं रत्ना पाठक शाह, जिनके दो बेटों के किरदार में हैं सिद्धार्थ मल्होत्रा और फवाद खान। साथ ही टीया का किरदार निभाया है आलिया भट्ट ने जो बचपन में ही अपना परिवार खो चुकी हैं।
धीमी गति दर्शकों को बांधने में बाधक
यह फिल्म ज्यादातर मोमेन्ट्स के सहारे आगे बढ़ती है जिससे मुझे कोई परहेज़ नहीं है पर मुश्किल तब हो जाती है जब किरदारों और कहानी को जमाने के लिए जितने मोमेन्टस की जरूरत है उससे ज्यादा सीन्स में उन्हें बयान किया जाए। इसकी वजह से आपको लगने लगता है कि कहानी आगे नहीं बढ़ रही है और ऐसा ही इस फिल्म में होता है। फिल्म धीमी हो जाती है और आप रुचि खोने लगते हैं। दूसरी चीज जिस मध्यम वर्ग की कहानी फिल्म कहती है उसके कुछ तौरतरीके मुझे उस वर्ग के नहीं लगे। कुछ किरदार शायद फिल्म में मनोरंजन के लिए हैं जैसे बुबली पर उनके सीन्स कहानी में कुछ ज्यादा एड नहीं करते। आखिरी चीज कहानी में फिल्मकार क्या कहना चाह रहा है यह समझ नहीं आता। परिवारों में झगड़े तो होते ही हैं और निपट भी जाते हैं, पर मुद्दा क्या है सबसे बड़ा सवाल यही है।
प्रभावित करते हैं ऋषि कपूर
बात खूबियों की तो फिल्म में सबका काम अच्छा है, पर ऋषि कपूर आपको प्रभावित करेंगे वहीं रजत कपूर, रत्ना, और फ़वाद का भी काम काबिले तारीफ़ है। आलिया ठीक हैं। कहानी भावनात्मक है और कई जगह आपकी आंखें नम कर जाएगी। फिल्म के किरदारों से आप रिलेट कर पाते हैं और साथ ही ऋषि कपूर का किरदार कई जगह आपको अपने डायलॉग से हंसने पर मजबूर कर देगा। फिल्म का कैमरा और बैक ग्राउंड स्कोर मुझे अच्छा लगा। तो कुल मिलाकर यह फिल्म आपका मनोरंजन भी करेगी और इमोशनल भी करेगी।
मेरे हिसाब से इस फिल्म को मिलने चाहिए 3 स्टार।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं