
बॉलीवुड के मशहूर कामेडियन जगदीप ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार ‘शोले’ देखी तब वह उन्हें काफी खराब फिल्म लगी थी लेकिन बाद में इस फिल्म ने कामयाबी के रिकार्ड तोड़ डाले जिसकी उनको उम्मीद नहीं थी।
एक गैर सरकारी संगठन के कार्यक्रम के सिलसिले में यहां आए जगदीप ने कहा कि पुराने दौर में फिल्में समाज को कोई न कोई संदेश देती थी लेकिन आज की फिल्मों में सकारात्मक संदेश नहीं होता है। गुजरे दौर के और आज के सिनेमा में यही बुनियादी फर्क है।
जगदीप ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार ‘शोले’ देखी तब वह उन्हें काफी खराब फिल्म लगी थी। लेकिन बाद में इस फिल्म ने कामयाबी के सारे रिकार्ड तोड़ डाले, जिसकी उनको उम्मीद नहीं थी। यह कमाल तकनीकी का था। उन्होंने कहा कि यह वह दौर था, जब महबूब खान, गुरुदत, वी. शांतराम जैसे निर्माता एवं निदेशक खुद एक चैनल होते थे। वह लोगों के लिए काफी स्वस्थ फिल्में बनाते थे। वह अपनी फिल्मों में काफी सकारात्मक संदेश देते थे और आज की फिल्मों में वह संदेश नहीं मिलते हैं। उन्होंने कहा कि उस वक्त फिल्म की बुनियाद होती थी, जो आज की फिल्मों में कहीं भी नहीं होती है और आज मुगले-ए-आजम, खिलौना, मंदिर इंडिया जैसी फिल्मों की जरूरत है।
कामेडी के बारे में उन्होंने कहा कि आज की कामेडी दिशा से भटकी हुई है। लोगों के सामने गंदे एवं फुहड़ चुटकुले सामने आते हैं। आज के कॉमेडियन को जो भी लिखकर दे दिया जाता है, वह उसी को पढ़ देते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी नजर में फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार सबसे अच्छे इंसान एवं एक्टर हैं और इस वक्त शाहरुख खान अच्छा काम कर रहे हैं।