दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार (फाइल फोटो)
मुंबई:
जाने-माने फिल्म अभिनेता एवं निर्देशक मनोज कुमार को भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ष 2015 के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है। भारत सरकार के इस फैसले पर मनोज कुमार का कहना है कि यह सुखद अनुभव हैरान कर देने वाला है, इस खबर को पचाने में उन्हें थोड़ा वक्त लगेगा।
मनोज कुमार (78) ने बताया, "यह सुखद अनुभव है। मैं सो रहा था और मेरे पास दोस्तों के फोन आने शुरू हो गए। मुझे लगा कि वो मुझसे मजाक कर रहे हैं, लेकिन जब मैंने अपने बारे में एक न्यूज वेबसाइट पर खबर पढ़ी, तो मुझे पता चला कि यह सच है।"
देशभक्ति पर आधारित फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके अभिनेता ने कहा, "मुझे यह बात पचाने में वक्त लगेगा कि मुझे यह पुरस्कार मिल रहा है। यह निश्चित रूप से प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से है। मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया, मैं उनसे संतुष्ट हूं और मेरा परिवार भी इस खबर से बेहद खुश है।"
भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाले इस पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये नकद और एक शॉल प्रदान किया जाता है। मनोज कुमार को 47वें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है।
उन्होंने 'उपकार', 'हरियाली और रास्ता', 'वो कौन थी', 'हिमालय की गोद में', 'रोटी कपड़ा और मकान' और 'क्रांति' जैसी फिल्मों से अपने अभिनय की छाप छोड़ी।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और पद्मश्री से सम्मानित मनोज कुमार ने 'रोटी कपड़ा और मकान' सहित पांच से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया है।
मनोज कुमार बड़े पर्दे पर आखिरी बार 1995 की फिल्म 'मैदान-ए-जंग' में दिखाई दिए थे। उन्होंने कहा कि अब वह फिल्म उद्योग में और अधिक सक्रिय होने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने कहा, "हां, मैं सुर्खियों से गायब था और यह मेरी ही गलती है। मैं एक फिल्म बनाना और जल्द ही सक्रिय होना चाहता हूं।"
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
मनोज कुमार (78) ने बताया, "यह सुखद अनुभव है। मैं सो रहा था और मेरे पास दोस्तों के फोन आने शुरू हो गए। मुझे लगा कि वो मुझसे मजाक कर रहे हैं, लेकिन जब मैंने अपने बारे में एक न्यूज वेबसाइट पर खबर पढ़ी, तो मुझे पता चला कि यह सच है।"
देशभक्ति पर आधारित फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके अभिनेता ने कहा, "मुझे यह बात पचाने में वक्त लगेगा कि मुझे यह पुरस्कार मिल रहा है। यह निश्चित रूप से प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से है। मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया, मैं उनसे संतुष्ट हूं और मेरा परिवार भी इस खबर से बेहद खुश है।"
भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाले इस पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये नकद और एक शॉल प्रदान किया जाता है। मनोज कुमार को 47वें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है।
उन्होंने 'उपकार', 'हरियाली और रास्ता', 'वो कौन थी', 'हिमालय की गोद में', 'रोटी कपड़ा और मकान' और 'क्रांति' जैसी फिल्मों से अपने अभिनय की छाप छोड़ी।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और पद्मश्री से सम्मानित मनोज कुमार ने 'रोटी कपड़ा और मकान' सहित पांच से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया है।
मनोज कुमार बड़े पर्दे पर आखिरी बार 1995 की फिल्म 'मैदान-ए-जंग' में दिखाई दिए थे। उन्होंने कहा कि अब वह फिल्म उद्योग में और अधिक सक्रिय होने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने कहा, "हां, मैं सुर्खियों से गायब था और यह मेरी ही गलती है। मैं एक फिल्म बनाना और जल्द ही सक्रिय होना चाहता हूं।"
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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