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This Article is From Aug 13, 2015

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष : देखिए, टॉप 12 देशभक्ति गीत...

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष : देखिए, टॉप 12 देशभक्ति गीत...
नई दिल्ली: 'सोने की चिड़िया' कहे जाने वाले भारतवर्ष को 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों के कब्ज़े से आज़ादी मिली, और तब से देश ने हर रोज़ नई ऊंचाइयां छुई हैं... बॉलीवुड ने भी समय-समय पर देशभक्ति से जुड़ी फिल्में बनाकर देशवासियों के हृदय को झकझोरा है... इन फिल्मों की कामयाबी में आमतौर पर अभिनेताओं और पटकथाओं के साथ-साथ गीतों का अपना अलग महत्व है, क्योंकि फिल्मों के यादों से चले जाने के बावजूद गीत लंबे अरसे तक याद रहते हैं... ऐसे ही कुछ अमर गीत आज हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्हें सुनकर हम भी देश की स्वतंत्रता की 68वीं वर्षगांठ मना सकें...

मेरा रंग दे बसंती चोला...
शायद ही कोई ऐसा भारतीय होगा, जिसने यह गीत कभी न कभी न गुनगुनाया हो... अपने देशभक्ति से जुड़े किरदारों के चलते 'भारत कुमार' के नाम से मशहूर अभिनेता मनोज कुमार की फिल्म 'शहीद' का यह गीत मेरी नज़र में सदा अमर ही रहेगा...

फिल्म : शहीद (1965)
गीतकार : प्रेम धवन
संगीतकार : प्रेम धवन
पार्श्वगायक : मुकेश, महेंद्र कपूर, राजेंद्र भाटिया
पर्दे पर : मनोज कुमार, प्रेम चोपड़ा




जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़ियां...
एक बेहद खूबसूरत गीत, जो सहज ही देशभक्ति गीत कहा जा सकता है... मुझे काफी पसंद है, और बचपन से ही याद है... सो, आज आप लोगों के लिए भी प्रस्तुत है...

फिल्म : सिकन्दर-ए-आज़म (1965)
गीतकार : राजेन्द्र कृष्ण
संगीत निर्देशक : हंसराज बहल
पार्श्वगायक : मोहम्मद रफी
फिल्म निर्देशक : केदार कपूर
पर्दे पर : पृथ्वीराज कपूर, प्रेमनाथ, प्रेम चोपड़ा तथा अन्य




मेरे देश की धरती...
शायद ही कोई ऐसा हिन्दुस्तानी होगा, जिसने इस गीत को कभी न कभी सुना न होगा, या यूं कहिए, गुनगुनाया न होगा... मुझे भी यह गीत मेरे बचपन से ही कंठस्थ है... आज आप सब लोगों के लिए भी प्रस्तुत है...

फिल्म : उपकार (1967)
गीतकार : गुलशन बावरा
संगीतकार : कल्याणजी आनंदजी
पार्श्वगायक : महेन्द्र कपूर
पर्दे पर : मनोज कुमार




सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा...
यह गीत लिखने के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध रहे मोहम्मद इक़बाल का जन्म 9 नवंबर, 1877 को पंजाब के सियालकोट में हुआ, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है, और उनका निधन 21 अप्रैल, 1938 को हुआ... कम से कम हमारी पीढ़ी के हिन्दुस्तानियों के लिए यही गीत इक़बाल की पहचान है... यहां जो वीडियो हम आपको दिखा रहे हैं, वह आशा भोंसले के स्वर में है...

फिल्म : भाई बहन (1959)
संगीतकार : दत्ता नाइक
पार्श्वगायक : आशा भोंसले
पर्दे पर : बेबी नाज़




तू हिन्दू बनेगा, न मुसलमान बनेगा...
यह गीत बचपन से सुनता आ रहा हूं, सो, कंठस्थ है... सोचता हूं, बेहद खूबसूरती से लिखा हुआ (और जोश में गाया हुआ भी) यह गीत अगर हर हिन्दुस्तानी सुनें (और गुने भी), तो हिन्दुस्तान में अमन सपने की बात नहीं रह जाएगा... लेकिन अफसोस, जो मैं सोचता हूं, वही सपना है...

फिल्म : धूल का फूल (1959)
गीतकार : साहिर लुधियानवी
संगीतकार : एन दत्ता
पार्श्वगायक : मोहम्मद रफी
फिल्म निर्देशक : यश चोपड़ा (यह इनकी निर्देशक के रूप में पहली फिल्म थी)
फिल्म निर्माता : बीआर चोपड़ा
पर्दे पर : मनमोहन कृष्ण




ऐ मेरे वतन के लोगों...
यह अमर गीत कवि प्रदीप (वास्तविक नाम - रामचंद्र द्विवेदी) ने लिखा था, और भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए भारतीय वीरों को समर्पित इस गीत को संगीतबद्ध किया था सी रामचंद्र ने... भारतकोकिला कही जाने वाली लता मंगेशकर ने वर्ष 1963 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के रामलीला मैदान में इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में गाया था... विशेष बात यह है कि इस गीत से जुड़े किसी भी कलाकार या तकनीशियन (गायक, लेखक, संगीत निर्देशक, वाद्ययंत्र बजाने वालों, रिकॉर्डिंग स्टूडियो, साउंड रिकॉर्डिस्ट आदि) ने कोई पारिश्रमिक नहीं लिया था, और बाद में लेखक कवि प्रदीप ने इस गीत की रॉयल्टी भी 'वार विडोज़ फंड' (War Widow Fund) को दे दी थी... जो वीडियो आप देख रहे हैं, वह काफी साल बाद आयोजित किए गए एक कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग है...



इंसाफ की डगर पे...
कवि प्रदीप (वास्तविक नाम - रामचंद्र द्विवेदी) के लिखे अमर गीतों में से एक यह भी है, जो आज भी पूरी तरह प्रासंगिक है...

फिल्म : गंगा जमुना (1961)
पार्श्वगायक : हेमंत कुमार
संगीतकार : नौशाद
गीतकार : कवि प्रदीप (वास्तविक नाम - रामचंद्र द्विवेदी)




आओ बच्चो, तुम्हें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की...
देशवासियों की वीरता की गाथाएं बेहद सुरीले अंदाज़ में नई पीढ़ी को समझाता-बताता यह गीत आज भी सैकड़ों-हज़ारों स्कूलों में प्रार्थना की तरह गाया जाता है...

फिल्म : जागृति (1954)
पार्श्वगायक : मोहम्मद रफी
संगीतकार : हेमंत कुमार
गीतकार : कवि प्रदीप




हम लाए हैं तूफान से...
वर्ष 1954 की फिल्म 'जागृति' में कवि प्रदीप के लिखे कई गीत इस्तेमाल किए गए थे, और सभी आज तक गाए, सुने और गुनगुनाए जाते हैं, और यकीन मानिए, जब भी सुने जाते हैं, रोंगटे खड़े कर देते हैं...

फिल्म : जागृति (1954)
पार्श्वगायक : मोहम्मद रफी
संगीतकार : हेमंत कुमार
गीतकार : कवि प्रदीप




दे दी हमें आज़ादी, बिना खड़ग, बिना ढाल...
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरुदावलि के रूप में लिखा कवि प्रदीप का यह गीत हमेशा अमर रहा है, और रहेगा...

फिल्म : जागृति (1954)
पार्श्वगायिका : लता मंगेशकर
संगीतकार : हेमंत कुमार
गीतकार : कवि प्रदीप




ऐ मेरे प्यारे वतन...
भजनों और संस्कृत श्लोकों के अतिरिक्त जो मुझे बेहद पसंद है, वह देशभक्ति गीत हैं... और मुझे खुशी होती है कि मैं उन लोगों में से हूं, जो इन गीतों को सिर्फ 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर ही नहीं, सारे साल लगभग रोज़ ही सुनता हूं... सो, एक ऐसा ही गीत आपके लिए भी...

फिल्म : काबुलीवाला (1961)
गीतकार : गुलज़ार
संगीतकार : सलिल चौधरी
पार्श्वगायक : मन्ना डे
पर्दे पर : बलराज साहनी




अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं...
'ट्रेजेडी किंग' कहे जाने वाले सुपरस्टार दिलीप कुमार की पर्दे पर मौजूदगी ने इस देशभक्ति गीत को एक नया आयाम दिया, और यह उस समय ही नहीं, आज भी बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर रहता है...

फिल्म : लीडर (1964)
पार्श्वगायक - मोहम्मद रफी
संगीतकार - नौशाद
गीतकार - शकील बदायूंनी
पर्दे पर : दिलीप कुमार


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