गुरुदत्त ने सहायक बनकर काम करने के बजाय अपना काम शुरू करने की सलाह दी थी : श्याम बेनेगल

गुरुदत्त ने सहायक बनकर काम करने के बजाय अपना काम शुरू करने की सलाह दी थी : श्याम बेनेगल

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

श्याम बेनेगल फिल्म उद्योग में काम तलाशने के लिए जब पहली बार मुंबई आये थे, तब वह अपने चचेरे भाई और दिग्गज फिल्म निर्माता गुरुदत्त से मिले. गुरुदत्त ने उन्हें उनका सहायक बनकर काम करने के बजाय अपना काम शुरू करने की सलाह दी थी. बेनेगल ने कहा कि परिवार में गुरुदत्त जैसा निर्देशक होना उनके लिए हैदराबाद छोड़ने और मुंबई आकर फिल्म बनाने की बड़ी प्रेरणा बना.

बेनेगल ने बुधवार को कहा, ‘गुरुदत्त जैसा चचेरा भाई होना मेरे लिए बहुत फायदेमंद रहा, हालांकि उन्होंने मेरी मदद नहीं की, लेकिन उनके कारण ही मैं फिल्म निर्देशक बन सका.’ बेनेगल ने अपनी हैदराबाद की नौकरी छोड़ दी और मुंबई पहुंचे तो ‘प्यासा’ के निर्देशक गुरुदत्त से मिलने गए. उन्होंने कहा, ‘जब मैं गुरुदत्त से मिलने गया, तो उन्होंने कहा, ‘सुनो तुम मेरे काम करके क्या करने वाले हो. तुम एक सहायक बनोगे और तुम्हें कुछ भी करने का मौका नहीं मिलेगा. तुम केवल ‘गोफॉर’ बन कर रह जाओगे. केवल मेरे निर्देश पर काम करने वाले .’

81 वर्षीय बेनेगल राष्ट्रीय औद्योगिक अभियांत्रिकी संस्थान के विशेष कार्यक्रम ‘अवतरण’ में बोल रहे थे. बेनेगल को सेलिब्रिटी के साथ बातचीत के कार्यक्रम में बतौर अतिथि बुलाया गया था. इस कार्यक्रम में पियूष मिश्रा और मकरंद देशपांडे भी शामिल थे. फिल्म बनाने के सपने को पूरा करने के लिए ‘वेलकम टु सज्ज्नपुर’ के निर्देशक ने गुरुदत्त की सलाह का अनुशरण किया.

बेनेगल ने कहा, ‘उन्होंने (दत्त) कहा कि उन्होंने एक नृत्य निर्देशक के तौर पर फिल्म जगत में काम करना शुरू किया था और निर्देशक के रूप में अपनी पहचान बनाई. इसी तरह मैंने भी सोचा कि मुझे किसी विज्ञापन एजेंसी में काम शुरू कर देना चाहिये क्योंकि मेरे पास लिखने की क्षमता है।’ उन्होंने बताया कि कई सालों तक विज्ञापन एजेंसी में काम करने के बाद मुझे 1974 में ‘अंकुर’ का निर्देशन करने का मौका मिला.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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