फिल्म के एक सीन में नवाजुद्दीन सिद्दकी और श्वेता त्रिपाठी
नई दिल्ली:
इस शुक्रवार रिलीज हुई फिल्मों में से एक फिल्म है 'हरामखोर' जिसे निर्देशित किया है श्लोक शर्मा ने और मुख्य भूमिका निभायी है नवाजुद्दीन सिद्दकी और श्वेता त्रिपाठी ने. इस फिल्म के कई निर्माताओं में से एक हैं अनुराग कश्यप. इस फिल्म की कहानी मैं नवाज, श्याम के किरदार में हैं जो एक स्कूल टीचर हैं और अपनी ही स्टूडेंट संध्या, जो की उम्र में काफी छोटी है, के साथ अवैध संबंध बनाता है. यहां संध्या के किरदार में हैं श्वेता त्रिपाठी.
फिल्म की खामियों की बात करें तो मुझे इसकी सबसे बड़ी कमी लगती है इसका प्रचार. दरअसल इस फिल्म का प्रचार यह कहकर किया गया कि यह फिल्म बाल शोषण पर है. लेकिन फिल्म देखकर लगता है कि फिल्म में बाल शोषण तो हैं लेकिन स्वेच्छा से है और फिल्ममेकर ने उसे मुद्दा बनाकर प्रचार का हथियार बनाया है. फिल्म की कहानी लम्हों के सहारे आगे बढ़ती है. कहानी बहुत छोटी है. बाल शोषण की बात है तो मुझे उम्मीद थी कि फिल्म में इसके खिलाफ आवाज उठाई जाएगी लेकिन ऐसा नहीं होता और आपको लगता है कि फिल्ममेकर आखिर क्या कहने की कोशिश कर रहा है. आखिर में आपको निराशा का सामना करना पड़ता है.
यह फिल्म बहतरीन एडिटिंग और स्क्रीनप्ले के चलते आपको स्क्रीन से नजर हटाने नहीं देती है. साथ ही श्लोक का निर्देशन काबिले तारीफ है. श्वेता त्रिपाठी फिल्म 'मसान' में अपनी प्रतिभा का लोहा पहले ही मनवा चुकी हैं और एक बार फिर 'हरामखोर' के सहारे उन्होंने साबित कर दिया कि वो एक मंझी हुई खिलाड़ी हैं.
नवाज एक अच्छे अभिनेता हैं और यहां भी उनका अभिनय काफी दमदार है. इस फिल्म की जान हैं फिल्म की दो बच्चे यानी मास्टर इरफान और मास्टर मोहम्मद समद, जो फिल्म को मनोरंजक बनाए रखते हैं. अभिनय तो उनका अच्छा है ही पर कास्टिंग की भी तारीफ करनी पड़ेगी. मेरे हिसाब से यह थी फिल्म की खामियां और खूबियां.
तो जाइए और देखिए 'हरामखोर' जो एक अच्छी फिल्म है. मेरी तरफ से इस फिल्म को 3.5 स्टार.
फिल्म की खामियों की बात करें तो मुझे इसकी सबसे बड़ी कमी लगती है इसका प्रचार. दरअसल इस फिल्म का प्रचार यह कहकर किया गया कि यह फिल्म बाल शोषण पर है. लेकिन फिल्म देखकर लगता है कि फिल्म में बाल शोषण तो हैं लेकिन स्वेच्छा से है और फिल्ममेकर ने उसे मुद्दा बनाकर प्रचार का हथियार बनाया है. फिल्म की कहानी लम्हों के सहारे आगे बढ़ती है. कहानी बहुत छोटी है. बाल शोषण की बात है तो मुझे उम्मीद थी कि फिल्म में इसके खिलाफ आवाज उठाई जाएगी लेकिन ऐसा नहीं होता और आपको लगता है कि फिल्ममेकर आखिर क्या कहने की कोशिश कर रहा है. आखिर में आपको निराशा का सामना करना पड़ता है.
यह फिल्म बहतरीन एडिटिंग और स्क्रीनप्ले के चलते आपको स्क्रीन से नजर हटाने नहीं देती है. साथ ही श्लोक का निर्देशन काबिले तारीफ है. श्वेता त्रिपाठी फिल्म 'मसान' में अपनी प्रतिभा का लोहा पहले ही मनवा चुकी हैं और एक बार फिर 'हरामखोर' के सहारे उन्होंने साबित कर दिया कि वो एक मंझी हुई खिलाड़ी हैं.
नवाज एक अच्छे अभिनेता हैं और यहां भी उनका अभिनय काफी दमदार है. इस फिल्म की जान हैं फिल्म की दो बच्चे यानी मास्टर इरफान और मास्टर मोहम्मद समद, जो फिल्म को मनोरंजक बनाए रखते हैं. अभिनय तो उनका अच्छा है ही पर कास्टिंग की भी तारीफ करनी पड़ेगी. मेरे हिसाब से यह थी फिल्म की खामियां और खूबियां.
तो जाइए और देखिए 'हरामखोर' जो एक अच्छी फिल्म है. मेरी तरफ से इस फिल्म को 3.5 स्टार.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
Haramkhor, Haramkhor Film Review, Film Review, Nawazudddin Siddiqui, Shweta Tripathi, Bollywood News In Hindi, हरामखोर, हरामखोर फिल्म रिव्यू, फिल्म रिव्यू, नवाजुद्दीन सिद्दिकी, श्वेता त्रिपाठी, अनुराग कश्यप