भारतीय सिनेमा की महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक गुलज़ार का आज यानी 18 अगस्त को जन्मदिन है. वे 82 साल के हो गए हैं. वैसे तो गुलज़ार की पहचान प्रसिद्ध गीतकार के रूप में है लेकिन उन्होंने पटकथा लेखन, फिल्म निर्देशन, नाट्यकला, कविता लेखन में भी महारत हासिल है. उन्होंने मानवीय संबंधों के इर्दगिर्द घूमती कई खूबसूरत फिल्मों को निर्देशित किया है जिसमें से ज्यादातर हिट रही हैं.
खाली समय में शौकिया तौर पर लिखते थे कविताएं
संपूर्ण सिंह कालरा उर्फ़ गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1936 में दीना, झेलम जिला, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में है.देश के विभाजन के वक्त इनका परिवार पंजाब के अमृतसर में आकर बस गया. वहीं गुलज़ार साहब मुंबई चले आए. मुंबई आकर उन्होंने एक गैरेज में बतौर मैकेनिक का करना शुरू कर दिया. वह खाली समय में शौकिया तौर पर कविताएंं लिखने लगे. इसके बाद उन्होंने गैरेज का काम छोड़ हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक के रूप में काम करना शुरू कर दिया.
‘बंदिनी’से शुरू किया हिंदी सिनेमा में करियर
हिंदी सिनेमा में बतौर गीत लेखक गुलजार का करियर एस डी बर्मन की फिल्म ‘बंदिनी’ से शुरू हुआ. साल 1968 में उन्होंने फिल्म आशीर्वाद का संवाद लेखन किया. इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों के गानों के बोल लिखे जिसके लिए उन्हें हमेशा आलोचकों और दर्शकों की तारीफें मिली. आंधी (1975) गुलजार की बेहतरीन फिल्मों में से एक है. कुछ लोगों ने इस फिल्म को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से जोड़कर देखा.आपातकाल के दौरान इस फिल्म पर प्रतिबंध भी लगाया था. यह फिल्म कमलेश्वर द्वारा लिखे गए हिंदी उपन्यास ‘काली आंधी’ पर आधारित है.1996 में गुलजार द्वारा निर्देशित फिल्म ‘माचिस’ को अच्छी सफलता मिली. हु तू तू (1999) गुलजार द्वारा निर्देशित आखिरी फिल्म है. इसके बाद उन्होंने कोई फिल्म निर्देशित नहीं की.
'जय हो' गीत के लिए मिला ऑस्कर अवार्ड
गुलजार को हिंदी सिनेमा के लिए कई प्रसिद्ध अवार्ड्स से भी नवाजा जा चुका है. उन्हें 2004 में भारत के सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण भी प्रदान किया गया था. साल 2009 में उन्होंने हॉलीवुड फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर का गाना जय हो लिखा. उन्हें इस फिल्म के ग्रैमी अवार्ड से भी नवाजा गया. उन्होंने बतौर निर्देशक भी हिंदी सिनेमा में अपना बहुत योगदान दिया है. उन्होंने अपने निर्देशन में कई बेहतरीन फ़िल्में दी हैं जिन्हे दर्शक आज भी देखना पसंद करते हैं. उन्होंने बड़े पर्दे के अलावा छोटे पर्दे के लिए भी काफी कुछ लिखा है, जिसमें दूरदर्शन का शो 'जंगल बुक' भी शामिल है.
खाली समय में शौकिया तौर पर लिखते थे कविताएं
संपूर्ण सिंह कालरा उर्फ़ गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1936 में दीना, झेलम जिला, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में है.देश के विभाजन के वक्त इनका परिवार पंजाब के अमृतसर में आकर बस गया. वहीं गुलज़ार साहब मुंबई चले आए. मुंबई आकर उन्होंने एक गैरेज में बतौर मैकेनिक का करना शुरू कर दिया. वह खाली समय में शौकिया तौर पर कविताएंं लिखने लगे. इसके बाद उन्होंने गैरेज का काम छोड़ हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक के रूप में काम करना शुरू कर दिया.
‘बंदिनी’से शुरू किया हिंदी सिनेमा में करियर
हिंदी सिनेमा में बतौर गीत लेखक गुलजार का करियर एस डी बर्मन की फिल्म ‘बंदिनी’ से शुरू हुआ. साल 1968 में उन्होंने फिल्म आशीर्वाद का संवाद लेखन किया. इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों के गानों के बोल लिखे जिसके लिए उन्हें हमेशा आलोचकों और दर्शकों की तारीफें मिली. आंधी (1975) गुलजार की बेहतरीन फिल्मों में से एक है. कुछ लोगों ने इस फिल्म को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से जोड़कर देखा.आपातकाल के दौरान इस फिल्म पर प्रतिबंध भी लगाया था. यह फिल्म कमलेश्वर द्वारा लिखे गए हिंदी उपन्यास ‘काली आंधी’ पर आधारित है.1996 में गुलजार द्वारा निर्देशित फिल्म ‘माचिस’ को अच्छी सफलता मिली. हु तू तू (1999) गुलजार द्वारा निर्देशित आखिरी फिल्म है. इसके बाद उन्होंने कोई फिल्म निर्देशित नहीं की.
'जय हो' गीत के लिए मिला ऑस्कर अवार्ड
गुलजार को हिंदी सिनेमा के लिए कई प्रसिद्ध अवार्ड्स से भी नवाजा जा चुका है. उन्हें 2004 में भारत के सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण भी प्रदान किया गया था. साल 2009 में उन्होंने हॉलीवुड फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर का गाना जय हो लिखा. उन्हें इस फिल्म के ग्रैमी अवार्ड से भी नवाजा गया. उन्होंने बतौर निर्देशक भी हिंदी सिनेमा में अपना बहुत योगदान दिया है. उन्होंने अपने निर्देशन में कई बेहतरीन फ़िल्में दी हैं जिन्हे दर्शक आज भी देखना पसंद करते हैं. उन्होंने बड़े पर्दे के अलावा छोटे पर्दे के लिए भी काफी कुछ लिखा है, जिसमें दूरदर्शन का शो 'जंगल बुक' भी शामिल है.
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