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This Article is From Sep 30, 2011

रिव्यू : 'फोर्स' फिल्म को ढाई स्टार

इससे पहले 'मुंबई मेरी जान' जैसी फिल्म बना चुके डायरेक्टर निशिकांत कामत की 'फोर्स' तमिल फिल्म 'काका काका' की रीमेक है।
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Mumbai: फिल्म 'फोर्स' नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो के जांबाज ऑफिसर्स पर है। एसीपी यशवर्धन यानी जॉन अब्राहम लाइफ में कभी रोमांस में नहीं पड़े क्योंकि नशीली दवाओं के सौदागरों के सामने वो कोई कमजोरी छोड़ना नहीं चाहते। लेकिन जब माया यानी जेनेलिया डिसूजा की एंट्री होती है तो ये ऑफिसर खुद को रोक नहीं पाता। लेकिन हालात तब बदल जाते हैं जब ड्रग माफिया चुन-चुन कर नार्कोटिक ऑफिसर्स के परिवारों से दुश्मनी निकालने लगता है। इससे पहले 'मुंबई मेरी जान' जैसी फिल्म बना चुके डायरेक्टर निशिकांत कामत की 'फोर्स' तमिल फिल्म 'काका काका' की रीमेक है। फिल्म के कुछ एक्शन सीन्स हटकर जरूर हैं खासकर जहां जॉन बाइक उठाकर दुश्मन को दे मारते हैं। लेकिन कई एक्शन सीन्स जोश दिलाने में नाकाम हैं। ढेरों सीन्स डिम लाइट में शूट किए गए इसीलिए भी 'फोर्स' थोड़ी डल लगती है। मुझे संदेह है कि नार्कोटिक ऑफिसर्स के बीच फास्ट पेस कॉम्प्लेक्स डायलॉग्स कॉमन मैन समझ पाएगा जिसके लिए एक्शन फिल्म 'फोर्स' बनी है। सलमान और अजय देवगन की एक्शन फिल्में अपनी सिप्लीसिटी के कारण सिंगल स्क्रीन्स में चल जाती हैं। सबसे इंप्रेसिव हैं चुलबुली और बोल्ड माया के रोल में जेनेलिया डिसूजा। उनके डायलॉग्स चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर देंगे। जेनेलिया ने जॉन के साथ लव स्टोरी में केमिस्ट्री डालने की खासी कोशिश की। काश 'गजनी' की तरह यहां भी लव स्टोरी को बढ़ाया जाता। एवरेज फिल्म 'फोर्स' के लिए मेरी रेटिंग है ढाई स्टार। 

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फोर्स, रिव्यू, जॉन अब्राहम
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