आज रिलीज़ हुई फिल्म 'क्वीन' की कहानी शुरू होती है, दिल्ली के एक घर से, जहां बसे परिवार में कंगना रानावत, यानि 'रानी' की शादी की तैयारियां चल रही हैं... इसी बीच अचानक, 'रानी' का मंगेतर 'विजय' उसे मिलने के लिए कॉफी शॉप में बुलाता है और कहता है कि वह 'रानी' से शादी नहीं करना चाहता... हालांकि ये दोनों कॉलेज के दिनों से ही एक-दूसरे को पसंद आ रहे हैं, मगर विजय का बदला हुआ रूप देखकर सब ग़मज़दा हो जाते हैं, क्योंकि ये दोनों पेरिस जाकर हनीमून मनाने का प्लान बना चुके थे, इसलिए शादी टूटने के बाद भी 'रानी' अकेले ही हनीमून पर पेरिस चली जाती है, और यहीं से शुरू होता है रानी का 'हनीमून ट्रैवल'...
कंगना रानावत फिल्म 'क्वीन' में वाकई 'रानी' हैं, जो फिल्म के पहले फ्रेम से लेकर आखिरी तक पर्दे पर छाई रहीं... टूटी-फूटी अंग्रेज़ी, दिल्ली की बोली का लहजा, और मिडिल क्लास लड़की के हाव-भाव को कंगना ने पर्दे पर बखूबी पेश किया है... फिल्म में लेखक-निर्देशक विकास बहल ने हर बारीकी पर नज़र रखी है... 'क्वीन' को आज के दौर के हिसाब से बनाया गया है, जिसमें फिल्म के प्लॉट से लेकर स्क्रीनप्ले, डायलॉग और चुटकुले तक, सब कुछ ताज़ातरीन लगते हैं... वैसे, फिल्म के बाकी किरदारों की कास्टिंग भी उम्दा है, और लीसा हेडन ने अपने छोटे-से किरदार में भी जान डाल दी है...
फिल्म में कुछ दृश्य ऐसे भी हैं, जो शायद दर्शकों को अटपटे लगें... कुछ दृश्य अश्लील भी लगते हैं, भले ही उन्हें मज़ाकिया अंदाज़ में दिखाया गया है... अगर आप परिवार के साथ बैठकर फिल्म देख रहे हैं, तो ऐसे दृश्यों पर नज़रें चुराने के लिए मजबूर हो जाएंगे... भले ही फिल्म ने अपनी पकड़ नहीं छोड़ी हो, लेकिन मुझे लगता है कि फिल्म की लंबाई कुछ ज़्यादा है...
हालांकि 'क्वीन' बॉलीवुड की मसाला फिल्म नहीं है, फिर भी यह किसी अन्य मसाला फिल्म से कमज़ोर भी नहीं है... इसमें इमोशन है, ट्रेजेडी है, कॉमेडी है, और ड्रामा भी है... कंगना भले ही हनीमून पर अकेली निकली हों, पर दर्शक उनके इस सफर से बोर नहीं होंगे... सो, इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 4 स्टार...
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