
श्री राम राघवन के निर्देशन में बनी फिल्म 'बदलापुर' इस फ़्राइडे को रिलीज हुई, जिसमें मुख्य भूमिका वरुण धवन, नवाज़ुद्दीन, हुमा क़ुरैशी, यामी गौतम, विनय पाठक, राधिका आप्टे और दिव्या दत्ता निभा रहे हैं।
फिल्म की कहानी में रघु यानी 'वरुण' की पत्नी और उनका बच्चा एक बैंक में डकैती के दौरान मारे जाते हैं और रघु अपने परिवार के कातिलों से बदला लेने के लिए निकल पड़ते हैं। फिल्म में वरुण की पत्नी का किरदार यामी गौतम ने निभाया है। बाकी कलाकारों ने क्या-क्या किरदार निभाए हैं और क्या है आगे की कहानी, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
फिलहाल बात फिल्म की खामियों और खूबियों की है। श्री राम राघवन की इस फिल्म को विकीपीडिया के अनुसार, इंडियन नीयो-नोएर एक्शन क्राइम ड्रामा की श्रेणी में रखा गया है। यह फिल्म बनाने का एक खास तरीका है। कम वक्त की वजह से इसका मतलब समझाना जरा मुश्किल है इसलिए आप खुद फिल्म देखकर शायद इसे समझ सकते हैं। खैर, फिल्म बनाने का भले ही यह अनोखा स्टाइल हो, पर एक हकीकत यह भी है कि अगर वह दिल को न छुए तो सिर्फ़ फिल्म में इसे इस्तेमाल करने भर से शायद कोई फायदा नहीं, 'बदलापुर' में कुछ ऐसा ही हुआ है।
फिल्म में कहानी कहने का जो तरीका इस्तेमाल किया गया है, वह मुझे खास पसंद नहीं आया है। किसी सीन को उसकी बात पूरी करने से पहले ही उसका कट जाना और किसी सीन का इमोशन्स के चरम तक न पहुंच पाना, आपको थोड़ा उबाऊ लग सकता है। फिल्म की गति को बनाए रखने के लिए जाहिर है निर्देशक श्री राम राघवन ने कोशिश की है, पर उन्हें इस बात का भी ख़्याल रखना चाहिए था कि जो जज़्बात वह दर्शकों तक पहुंचाना चाहते हैं क्या वह उन तक पहुंच भी रहे हैं या नहीं?
इंटरवल से पहले कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है और फिल्म ढीली लगने लगती है। फ्लैशबैक पर जाने के लिए निर्देशक ने जो शॉट्स इस्तेमाल किए हैं कई जगह वह बहुत छोटे नजर आते हैं। कई बार लगा शायद गलती से यह शॉट पर्दे पर दिखा। फिल्म की कहानी को समझने के लिए आपको शायद दिमागी मशक्कत भी करनी पड़े यह सोचने के लिए कि ये क्या हुआ, कैसे हुआ? यानी आप कई जगह उलझ सकते हैं, जो अच्छा भी है और शायद खराब भी। अच्छा इसलिए कि सीन को समझने की उधेड़-बुन शायद दर्शकों में उत्सुकता लाए और खराब इसलिए, क्योंकि हो सकता है कहानी के कुछ पहलू उलझे ही रह जाएं। ये थीं ख़ामियां।
अब बात खूबियों की करते हैं। फिल्म प्रिडिक्टिबल नहीं है यानी आगे क्या होने वाला है यह आपको पहले पता चलना मुश्किल है। फिल्म की घटनाएं आपकी सोच के विपरीत घटेगीं। फिल्म में सभी कलाकारों का अभिनय अपनी-अपनी जगह ठीक है पर दर्शकों को नवाज का अभिनय ज़्यादा पसंद आ सकता है। अगर वरुण की बात करूं तो उनकी तारीफ इस बात के लिए करनी होगी कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में ऐसा किरदार करने की हिम्मत दिखाई और अच्छी कोशिश भी की है।
हां, पर कई जगह थोड़ी और मेहनत की जरूरत थी। इसके अलावा सभी का सधा हुआ अभिनय है फिर चाहे वह विनय पाठक हों, दिव्या दत्ता या फिर राधिका आप्टे, सभी लाउड एक्टिंग से दूर दिखे। फिल्म के दो गाने जी करदा.... और जीना जीना.... मुझे अच्छे लगे फिर चाहे फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर हो या फिर सिनेमेटोग्राफ़ी, अच्छी बात यह है कि यह कहानी पर हावी नहीं होते, तो कुल मिलाकर आप बदलापुर देख सकते हैं और ख़ुद फ़ैसला भी ले सकते हैं, लेकिन मेरी तरफ से इस फिल्म को 3 स्टार्स मिलने चाहिए।
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