फिल्म के दृश्य से ली गई तस्वीर...
मुंबई:
इस फिल्मी फ्राइडे रिलीज हुई है, मधुर भंडारकर की फिल्म 'कैलेंडर गर्ल्स'। फिल्म से पांच मॉडल्स बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं। ये पांचों हैं, अवनी मोदी, आकांक्षा पुरी, कायरा दत्ता, रूही सिंह और सतरूपा पाइन। फिल्म में इनके अलावा मीता वशिष्ठ, किरण कुमार, कीथ और राहित रॉय भी हैं। इस फिल्म में पांच कैलेंडर गर्ल्स के स्ट्रगल को दिखाया गया है। कैलेंडर गर्ल बनने से पहले और बाद की दास्तां फिल्म में नज़र आएगी।
फिल्म की खामियां
अब बात फिल्म की खामियों और खूबियों की। फिल्म की सबसे बड़ी खामी यह है कि 'कैलेंडर गर्ल्स', 'फ़ैशन', 'पेज 3' और 'हीरोइन' जैसी ही लगती है। मधुर बार-बार खुद को दोहराते हुए नजर आते हैं। फिल्मों में पांचों मॉडल्स के किरदारों को छोड़कर बाकी सभी किरदार वास्तविक नहीं दिखते और आपको प्रभावित नहीं कर पाएंगे।
फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी कमजोर दिखती है। कहीं कोई ऐसा मोड़ नहीं दिखता, जो हैरान या रोमांचित करे। जो कुछ भी इस फिल्म में है वह मधुर अपनी पुरानी फिल्मों में दिखा चुके हैं। मॉडल्स, एक्टर्स, खिलाड़ी इन सबकी जिंदगियों के कई राज मधुर पहले ही पर्दे पर खोल चुके हैं, ऐसे में उसे दोहराने से ज्यादा दिलचस्प वैसे खुलासे होते जो लोगों को नहीं पता। पांचों लड़कियों की कहानी सरसरी तौर पर आपकी आंखों के सामने से ऐसे निकलेगी कि आप उनके किरदारों की भावनाओं से जुड़ नहीं पाएंगे।
अब बात खूबियों की...
खूबियों की बता करें तो लड़कियों के काम में मेहनत झलकती है। अवनी मोदी, कायरा और सतरूपा की कहानी आपको छू सकती है, वहीं रूही का किरदार आपका थोड़ा मनोरंजन कर सकता है। फिल्म के दो गाने 'माहिया' और 'ख्वाहिशें' आपको याद रह सकते हैं।
फिल्म खिंची हुई नहीं दिखती पर मुश्किल है कि दर्शकों से जुड़ती भी नहीं। पांच लड़कियों की पांच कहानियां आपको उलझाए रखेंगी। वैसे 'कैलेंडर गर्ल्स' एक ऐसा विषय नहीं है, जिससे बड़ी संख्या में लोग इत्तेफाक रखें। छोटे शहरों में लोगों को शायद 'कैलेंडर गर्ल्स' समझने में भी वक्त लग सकता है। ऐसे में वे इनकी कहानियों से कितना और कैसे जुड़ पाएंगे ये जानने के लिए आप ज़रूर सिनेमाघरों का रुख करें और खुद फ़ैसला लें। मेरी ओर से फिल्म को 2.5 स्टार्स
फिल्म की खामियां
अब बात फिल्म की खामियों और खूबियों की। फिल्म की सबसे बड़ी खामी यह है कि 'कैलेंडर गर्ल्स', 'फ़ैशन', 'पेज 3' और 'हीरोइन' जैसी ही लगती है। मधुर बार-बार खुद को दोहराते हुए नजर आते हैं। फिल्मों में पांचों मॉडल्स के किरदारों को छोड़कर बाकी सभी किरदार वास्तविक नहीं दिखते और आपको प्रभावित नहीं कर पाएंगे।
फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी कमजोर दिखती है। कहीं कोई ऐसा मोड़ नहीं दिखता, जो हैरान या रोमांचित करे। जो कुछ भी इस फिल्म में है वह मधुर अपनी पुरानी फिल्मों में दिखा चुके हैं। मॉडल्स, एक्टर्स, खिलाड़ी इन सबकी जिंदगियों के कई राज मधुर पहले ही पर्दे पर खोल चुके हैं, ऐसे में उसे दोहराने से ज्यादा दिलचस्प वैसे खुलासे होते जो लोगों को नहीं पता। पांचों लड़कियों की कहानी सरसरी तौर पर आपकी आंखों के सामने से ऐसे निकलेगी कि आप उनके किरदारों की भावनाओं से जुड़ नहीं पाएंगे।
अब बात खूबियों की...
खूबियों की बता करें तो लड़कियों के काम में मेहनत झलकती है। अवनी मोदी, कायरा और सतरूपा की कहानी आपको छू सकती है, वहीं रूही का किरदार आपका थोड़ा मनोरंजन कर सकता है। फिल्म के दो गाने 'माहिया' और 'ख्वाहिशें' आपको याद रह सकते हैं।
फिल्म खिंची हुई नहीं दिखती पर मुश्किल है कि दर्शकों से जुड़ती भी नहीं। पांच लड़कियों की पांच कहानियां आपको उलझाए रखेंगी। वैसे 'कैलेंडर गर्ल्स' एक ऐसा विषय नहीं है, जिससे बड़ी संख्या में लोग इत्तेफाक रखें। छोटे शहरों में लोगों को शायद 'कैलेंडर गर्ल्स' समझने में भी वक्त लग सकता है। ऐसे में वे इनकी कहानियों से कितना और कैसे जुड़ पाएंगे ये जानने के लिए आप ज़रूर सिनेमाघरों का रुख करें और खुद फ़ैसला लें। मेरी ओर से फिल्म को 2.5 स्टार्स
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